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ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर सियासी घमासान, कांग्रेस और जयराम रमेश ने उठाए कई सवाल

ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर सियासी घमासान, कांग्रेस और जयराम रमेश ने उठाए कई सवाल

कांग्रेस ने ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल उठाए। जयराम रमेश ने पर्यावरण, वन क्षेत्र कटाई और जनजातीय समुदायों पर संभावित असर को लेकर कई गंभीर प्रश्न पूछे, जबकि मंत्री भूपेंद्र यादव ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा प्रोजेक्ट बताया।

नई दिल्ली: केंद्र सरकार के ग्रेट निकोबार इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को लेकर सियासी और पर्यावरणीय विवाद तेज़ हो गया है। कांग्रेस ने इस परियोजना के कई पहलुओं पर आपत्ति जताई है, जबकि सरकार इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक महत्व का बताया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इस प्रोजेक्ट को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए हैं और पर्यावरण तथा जनजातीय समुदायों पर इसके संभावित नकारात्मक प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त की है।

कांग्रेस ने पर्यावरण और जनजातीय हितों पर चिंता जताई

जयराम रमेश ने कहा कि देश का ध्यान पर्यावरण और इंसानों पर गंभीर खतरे की ओर आकर्षित करना नेगिटिव राजनीति नहीं बल्कि जिम्मेदार नेतृत्व की निशानी है। उन्होंने सवाल किया कि इस मेगा इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के तहत लाखों पेड़ों की कटाई की योजना राष्ट्रीय वन नीति 1988 के उल्लंघन के दायरे में नहीं आती, जिसमें अंडमान-निकोबार के ट्रॉपिकल रेनफॉरेस्ट को संरक्षित रखने की बात कही गई है।

रमेश ने बताया कि प्रोजेक्ट के तहत पेड़ों की कटाई की भरपाई हरियाणा में की जाएगी, जो वहां के पर्यावरणीय हालात से बिल्कुल अलग है। उन्होंने पूछा कि क्या यह उचित है कि हरियाणा में माइनिंग के लिए जमीन दी जाए और वहीं वनीकरण के लिए उचित बचत न की जाए।

उन्होंने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग और ग्रेट निकोबार के जनजातीय परिषद की राय को नजरअंदाज करने पर भी सवाल उठाए। जयराम रमेश ने यह भी कहा कि शोमपेन और निकोबारी समुदायों के सामाजिक और पारिस्थितिक हितों का अध्ययन करने वाली सामाजिक प्रभाव आकलन (SIA) रिपोर्ट में इन समुदायों का उल्लेख नहीं है।

प्रोजेक्ट से पर्यावरणीय और प्राकृतिक खतरे

जयराम रमेश ने यह भी सवाल उठाया कि 2004 की सुनामी के दौरान द्वीप पर हुए भू-स्खलन (subsidence) और भूकंपीय गतिविधियों को देखते हुए क्या यह प्रोजेक्ट सुरक्षित और टिकाऊ है। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट से लेदरबैक कछुआ, मेगापोड और खारे पानी के मगरमच्छ जैसी प्रजातियों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।

रमेश ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव पर भी निशाना साधा और कहा कि प्रोजेक्ट से जुड़ी महत्वपूर्ण रिपोर्टें सार्वजनिक नहीं की जा रही हैं, जबकि इसके व्यापक प्रभावों के बारे में जनता को जानकारी होना आवश्यक है।

केंद्र सरकार का पक्ष

पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कांग्रेस पर प्रोजेक्ट को लेकर भ्रम फैलाने और नेगेटिव राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट राष्ट्रीय सुरक्षा और हिंद महासागर में रणनीतिक संपर्क के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

भूपेंद्र यादव के अनुसार, प्रोजेक्ट में केवल 1.78% वन क्षेत्र का उपयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट अंतरराष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल, ग्रीनफील्ड अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, 450 MVA गैस और सौर ऊर्जा आधारित पावर प्लांट तथा 16 वर्ग किलोमीटर के टाउनशिप का निर्माण करेगा।

सोनिया गांधी का विरोध

कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी प्रोजेक्ट पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि सरकार कानूनी प्रक्रियाओं और परामर्श प्रक्रियाओं को दरकिनार करते हुए इस परियोजना को जबरन आगे बढ़ा रही है। उनका मानना है कि निकोबारी जनजाति के गांव प्रोजेक्ट के दायरे में आते हैं और 2004 की सुनामी के बाद इन्हें विस्थापित होना पड़ा था।

सोनिया गांधी ने चेतावनी दी कि यह प्रोजेक्ट शोमपेन समुदाय के रिजर्व को डी-नोटिफाई कर सकता है और द्वीप पर भारी संख्या में लोगों और पर्यटकों के आगमन से सामाजिक और पारिस्थितिक संतुलन प्रभावित होगा।

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