देश में मानसून 2025 ने किसानों और आम जनता के लिए राहत की खबर दी है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने शुक्रवार को बताया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून 15 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से धीरे-धीरे वापस लौटना शुरू कर सकता है।
Weather Update: दक्षिण-पश्चिम मानसून 15 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से वापसी शुरू कर सकता है। यह जानकारी भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने शुक्रवार को दी। मानसून सामान्य रूप से 1 जून को केरल में दस्तक देता है और 8 जुलाई तक पूरे देश में फैल जाता है। उत्तर-पश्चिम भारत से मानसून की वापसी आमतौर पर 17 सितंबर के आसपास शुरू होती है और यह पूरी तरह से 15 अक्टूबर तक लौट जाता है।
इस साल मानसून की सामान्य और वास्तविक बारिश
IMD के आंकड़ों के अनुसार, देश में अब तक मानसून के दौरान 778.6 मिलीलीटर सामान्य बारिश के मुकाबले 836.2 मिलीलीटर बारिश हुई है, यानी 7 प्रतिशत अधिक। इस अतिरिक्त बारिश ने कृषि क्षेत्र में बेहतर फसल उत्पादन और जलाशयों में जल संचयन को बढ़ावा दिया है। मानसून का प्रारंभिक आगमन इस वर्ष काफी जल्दी हुआ।
केरल में 24 मई को मानसून दस्तक दे चुका था, जो 2009 के बाद से सबसे जल्दी आगमन था। पूरे भारत में 8 जुलाई तक मानसून फैल चुका था, जो सामान्य तारीख से नौ दिन पहले था। 2020 के बाद यह सबसे जल्दी पूरे देश में फैलने वाला मानसून था।
मानसून की वापसी की तारीख
IMD ने कहा है कि 15 सितंबर के आसपास पश्चिमी राजस्थान और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों से दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी शुरू होगी।
- मानसून आमतौर पर जून की शुरुआत में केरल में प्रवेश करता है।
- जुलाई के पहले सप्ताह तक यह पूरे देश में फैल जाता है।
- सितंबर के मध्य से उत्तर-पश्चिमी राज्यों से वापसी शुरू होती है।
- 15 अक्टूबर तक यह पूरी तरह वापस लौट जाता है।
IMD ने चेताया है कि मानसून की वापसी के दौरान मौसम की अनिश्चितताओं के कारण कुछ क्षेत्रों में बाढ़ या अचानक बारिश की संभावना बनी रहती है।मानसून भारत के कृषि क्षेत्र के लिए जीवनरेखा की तरह है। कृषि भारत की लगभग 42 प्रतिशत आबादी की आजीविका का समर्थन करती है। इस दौरान जलाशयों में पर्याप्त जल संचय होता है, जो पेयजल और बिजली उत्पादन के लिए जरूरी है।
IMD के पूर्वानुमान के अनुसार, जून-सितंबर 2025 के दौरान भारत में 87 सेंटीमीटर दीर्घकालिक औसत वर्षा होने की संभावना थी। मानसून की वास्तविक बारिश इस अनुमान से 106 प्रतिशत तक अधिक रही, जो कि दीर्घकालिक औसत वर्षा के 96 से 104 प्रतिशत की ‘सामान्य’ सीमा से ऊपर है।