कांग्रेस नेता शशि थरूर ने ट्रंप को असामान्य राष्ट्रपति बताया। उन्होंने कहा कि अमेरिका के टैरिफ से सूरत में 1.35 लाख नौकरियां चली गई हैं। भारत को नए एक्सपोर्ट मार्केट खोजकर नुकसान कम करना होगा।
Shashi Tharoor: वरिष्ठ कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर ने सिंगापुर में भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र के शीर्ष उद्योग संगठन CREDAI द्वारा आयोजित सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी। थरूर ने कहा कि ट्रंप निश्चित रूप से कूटनीति में अस्थिर व्यवहार का प्रदर्शन करते हैं और पारंपरिक कूटनीतिक मानकों का पालन नहीं करते। उन्होंने स्पष्ट किया कि ट्रंप का व्यवहार केवल अमेरिका तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर भारत और अन्य देशों पर भी पड़ रहा है।
थरूर ने बताया कि अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत का टैरिफ लगाया है, जिससे सूरत में रत्न और आभूषण उद्योग, सीफूड और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में लगभग 1.35 लाख लोगों की नौकरियां चली गई हैं। इसके चलते भारत को नए एक्सपोर्ट मार्केट की तलाश करने की आवश्यकता है ताकि नुकसान को कम किया जा सके।
ट्रंप का असामान्य व्यवहार और कूटनीति पर असर
थरूर ने कहा कि मिस्टर ट्रंप का मिजाज बेहद चंचल है और अमेरिकी सिस्टम में राष्ट्रपति को अत्यधिक छूट है। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, "उनसे पहले 44 या 45 राष्ट्रपति हुए हैं, लेकिन किसी ने भी व्हाइट हाउस में इस तरह का व्यवहार नहीं किया।" थरूर ने ट्रंप को हर पैमाने पर एक असामान्य राष्ट्रपति बताया और कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति निश्चित रूप से कूटनीतिक व्यवहार के पारंपरिक मानकों का सम्मान नहीं करते।
थरूर ने उदाहरण देते हुए कहा कि क्या किसी विश्व नेता को आपने यह कहते सुना है कि वह नोबेल शांति पुरस्कार के हकदार हैं या कि सभी देश उनकी पीठ थपथपाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने भारत और रूस की अर्थव्यवस्थाओं को "डेड इकोनॉमी" बताया और यह भाषा किसी भी हेड ऑफ द स्टेट से पहले कभी नहीं सुनी गई।
ट्रंप के टैरिफ से भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान
थरूर ने बताया कि ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ का भारत पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। सूरत में रत्न और आभूषण उद्योग, सीफूड और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में लगभग 1.35 लाख लोगों की नौकरियां चली गई हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि भारतीय व्यवसायों ने जल्द ही नए मार्केट खोजने में कदम नहीं उठाए तो और नुकसान होगा।
थरूर ने कहा, "मैं नहीं चाहता कि किसी को यह भ्रम हो कि हम इसे यूं ही खत्म कर देंगे। शुरुआती 25 प्रतिशत टैरिफ के कारण कई उत्पादों का निर्यात अव्यवहारिक हो गया है और अतिरिक्त जुर्माने ने कम टैरिफ वाले भारतीय प्रतिस्पर्धियों के साथ अमेरिकी बाजार में प्रवेश लगभग असंभव बना दिया है।"
सैंक्शन पॉलिसी और अमेरिका के अस्थिर रवैये पर चिंता
थरूर ने अमेरिकी सैंक्शन पॉलिसी पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अमेरिका को रूस से तेल खरीदने वाले हर देश के लिए समान नीति अपनानी चाहिए। वर्तमान सैंक्शन पॉलिसी पूरी तरह से विचित्र और अस्थिर प्रतीत होती है। उन्होंने चेतावनी दी कि चाहे भारत कितनी भी सफल बातचीत करे, जब तक प्रतिबंध हटेंगे नहीं, भारतीय व्यवसायों को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
भारत को निर्यात बाजार में विविधता लाने की आवश्यकता
थरूर ने कहा कि भारत को अपने निर्यात बाजारों में विविधता लाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि ब्रिटेन के साथ हालिया व्यापार समझौता इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है। इसके जरिए भारत के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम किया जा सकेगा। उन्होंने उद्योग जगत और सरकार से अपील की कि वे नई मार्केट खोजने और उत्पादन को बढ़ाने के लिए सक्रिय कदम उठाएं।
सूरत में नौकरियों के नुकसान का उदाहरण
थरूर ने स्पष्ट किया कि सूरत में रत्न और आभूषण उद्योग में लगभग 1.35 लाख लोगों की नौकरियां चली गई हैं। इसके अलावा, सीफूड और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि यह केवल प्रारंभिक असर है और यदि भारत ने एक्सपोर्ट मार्केट में विविधता नहीं लाई तो नुकसान और बढ़ सकता है।