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IND W vs AUS W: जेमिमा रोड्रिग्स की जज्बे की कहानी - 'मैं हर दिन रोई', अब फाइनल में भारत का सपना होगा साकार

IND W vs AUS W: जेमिमा रोड्रिग्स की जज्बे की कहानी - 'मैं हर दिन रोई', अब फाइनल में भारत का सपना होगा साकार

भारत की महिला क्रिकेट टीम ने इतिहास रच दिया है। महिला वर्ल्ड कप 2025 के दूसरे सेमीफाइनल में भारत ने सात बार की चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को 5 विकेट से हराकर फाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली।

स्पोर्ट्स न्यूज़: 18 साल की उम्र में भारत के लिए डेब्यू करना हर किसी के बस की बात नहीं होती। राष्ट्रीय टीम में जगह बनाना जितना कठिन है, उससे भी ज्यादा मुश्किल है टीम में अपनी जगह बनाए रखना इसके लिए असाधारण कौशल और मजबूत मानसिकता की जरूरत होती है। जेमिमा रॉड्रिग्ज के लिए करियर की शुरुआत शानदार रही, लेकिन 2022 वर्ल्ड कप टीम से बाहर किए जाने के बाद उनका सफर अचानक मुश्किल मोड़ पर पहुंच गया।

इस झटके ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया। वह कई रातों तक रोती रहीं और अपने दोस्तों व परिवार से अपनी भावनाओं को छुपाने की कोशिश करती रहीं। हालांकि कुछ समय बाद उन्होंने खुद को संभाला और अपना ध्यान फिर से अपने पहले प्यार क्रिकेट की ओर केंद्रित किया।

339 रन का पहाड़, जेमिमा की शानदार चढ़ाई

ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम के खिलाफ 339 रन का लक्ष्य आसान नहीं था। शुरुआती झटकों के बाद जब मैच का पलड़ा ऑस्ट्रेलिया की ओर झुकता दिख रहा था, तब जेमिमा रोड्रिग्स मैदान पर डटी रहीं। उन्होंने अपने संयम, तकनीक और क्लास से खेल को संभाला। 134 गेंदों में नाबाद 127 रन की उनकी यह पारी न सिर्फ उनके करियर की सर्वश्रेष्ठ पारी रही, बल्कि भारत की महिला क्रिकेट इतिहास की भी एक ऐतिहासिक पारी बन गई।

उनकी बल्लेबाजी के दौरान हर रन में उनकी मेहनत, आत्मविश्वास और सालों की तपस्या झलक रही थी। उन्होंने कप्तान हरमनप्रीत कौर के साथ मिलकर भारत की जीत की मजबूत नींव रखी।

मैं मानसिक तौर पर परेशान थी, हर दिन रोई – जेमिमा

मैच खत्म होने के बाद जब जेमिमा रोड्रिग्स मीडिया के सामने आईं, तो उनकी आंखों में आंसू थे। उन्होंने कहा, पिछली बार मुझे वर्ल्ड कप टीम से बाहर कर दिया गया था। वह मेरे जीवन का सबसे कठिन दौर था। मैं मानसिक तौर पर परेशान थी और हर दिन रोती थी। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मैंने बाइबिल का स्क्रिप्चर पढ़ा, जिससे मुझे शांति मिली और विश्वास लौटा।

2022 में वर्ल्ड कप टीम से बाहर होना उनके लिए किसी झटके से कम नहीं था। उन्होंने बताया कि उस समय उन्होंने खुद को संभालने के लिए अपने परिवार, दोस्तों और कोचों का सहारा लिया। मैंने ठान लिया था कि मैं खुद को फिर से साबित करूंगी। मैंने अपनी ट्रेनिंग पर ध्यान दिया, कठिन पिचों पर अभ्यास किया और स्थानीय सर्किट में पुरुष गेंदबाजों के खिलाफ खेलना शुरू किया। आज जब मैं मैदान पर उतरी, तो बस यही सोचा कि मुझे अपने देश के लिए खेलना है। और भगवान ने सब कुछ संभाल लिया।

स्थानीय कोच और फैंस का बड़ा योगदान

जेमिमा ने अपनी सफलता का श्रेय अपने कोचों, साथियों और फैंस को भी दिया। उन्होंने कहा कि नवी मुंबई के दर्शकों ने जिस तरह उनका समर्थन किया, उसने उन्हें अतिरिक्त ऊर्जा दी। नवी मुंबई मेरे लिए बहुत खास है। लोग इतनी बड़ी संख्या में आए, उनका जोश देखकर दिल भर आया। मैं सबका धन्यवाद करना चाहती हूं।

जेमिमा का क्रिकेट सफर बचपन से ही प्रेरणादायक रहा है। वह महज 10 साल की थीं, जब भारत ने 2011 में विश्व कप जीता था। उनका घर उस समय सचिन तेंदुलकर के घर के ठीक पीछे था। उन्होंने बताया कि जब सचिन घर लौटे और पूरा मोहल्ला उनका स्वागत कर रहा था, तभी उन्होंने तय कर लिया था कि उन्हें भी देश के लिए विश्व कप जितना है। मैंने सचिन सर को उस दिन देखा और बस मन में एक ही ख्वाहिश जगी — एक दिन मैं भी भारत के लिए कुछ बड़ा करूं।

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी यह पारी केवल एक जीत नहीं, बल्कि एक कहानी है आत्मविश्वास, पुनर्जन्म और आस्था की। 2022 में टीम से बाहर होना, मानसिक संघर्षों से जूझना, और अब 2025 में भारत को फाइनल तक पहुंचाना यह जेमिमा की प्रेरणादायक यात्रा है।

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