भारत की कुछ कंपनियों को चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट्स आयात करने की मंजूरी मिल गई है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहन और डिफेंस सेक्टर को मजबूती मिलेगी। विदेश मंत्रालय ने बताया कि कंपनियों को इसके लिए लाइसेंस जारी किए गए हैं। यह कदम चीन-अमेरिका के बीच रेयर अर्थ विवाद सुलझने के बाद भारत के लिए बड़ी राहत साबित होगा।
Rare Earth Import: भारत के लिए हाई-टेक उद्योगों से जुड़ी बड़ी खबर आई है। विदेश मंत्रालय ने 30 अक्टूबर को बताया कि कुछ भारतीय कंपनियों को चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट्स आयात करने की अनुमति दे दी गई है। ये तत्व मोबाइल फोन, इलेक्ट्रिक वाहनों, पवन टरबाइन और मिसाइल सिस्टम जैसी तकनीकों में जरूरी होते हैं। यह कदम ऐसे समय पर आया है जब अमेरिका और चीन के बीच रेयर अर्थ को लेकर चला विवाद सुलझ गया है। चीन से लाइसेंस मिलने के बाद भारत की मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को सप्लाई में राहत मिलेगी और घरेलू उत्पादन पर दबाव कम होगा।
क्या हैं रेयर अर्थ मेटल्स
रेयर अर्थ मेटल्स ऐसे विशेष तत्व होते हैं जिनका उपयोग आधुनिक तकनीक के लगभग हर क्षेत्र में होता है। इनका इस्तेमाल मोबाइल फोन, लैपटॉप, इलेक्ट्रिक वाहनों, पवन टरबाइनों, सोलर पैनलों, मिसाइल सिस्टम और अन्य एडवांस टेक्नोलॉजी उपकरणों में किया जाता है। ये मेटल्स कई उत्पादों में छोटी मात्रा में उपयोग किए जाते हैं, लेकिन इनके बिना हाई-टेक उद्योगों का विकास असंभव है।
दुनिया भर में इन धातुओं के उत्पादन और निर्यात पर चीन का दबदबा है। लगभग 70 प्रतिशत रेयर अर्थ मेटल्स की ग्लोबल सप्लाई चीन से होती है। यही वजह है कि भारत के लिए चीन से इन धातुओं का आयात शुरू होना एक रणनीतिक रूप से अहम कदम माना जा रहा है।
भारत को चीन से मिली मंजूरी
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने बताया कि भारत की कुछ कंपनियों को चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट्स आयात करने के लिए लाइसेंस जारी किए गए हैं। इससे देश के कई औद्योगिक क्षेत्रों को राहत मिलेगी, खासतौर पर इलेक्ट्रॉनिक्स, डिफेंस और ऑटोमोबाइल सेक्टर को।
इस फैसले के बाद भारत की कई हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को जरूरी कच्चे माल की सप्लाई में आसानी होगी। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन में तेजी आने की उम्मीद है, वहीं डिफेंस सेक्टर में भी नई तकनीक के उपकरणों का निर्माण सुचारु रूप से जारी रह सकेगा।
भारतीय उद्योगों के लिए बड़ी राहत

भारत लंबे समय से रेयर अर्थ मेटल्स की सप्लाई के लिए वैकल्पिक स्रोतों की तलाश कर रहा था। देश में इन धातुओं का सीमित उत्पादन होता है, जबकि मांग लगातार बढ़ रही है। अब चीन से लाइसेंस मिलने के बाद भारतीय कंपनियां अपने उत्पादन को सुचारु रूप से जारी रख सकेंगी।
इलेक्ट्रिक व्हीकल उद्योग के लिए यह निर्णय बेहद अहम है क्योंकि रेयर अर्थ मैग्नेट्स का इस्तेमाल ईवी मोटर्स और बैटरियों में किया जाता है। इसके अलावा रक्षा क्षेत्र में भी मिसाइल, रडार और अन्य अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों के निर्माण में इनका उपयोग होता है। इससे भारत की स्वदेशी रक्षा परियोजनाओं को भी गति मिलेगी।
आत्मनिर्भर भारत अभियान को मिलेगी गति
सरकार के इस कदम को भारत की औद्योगिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस निर्णय से घरेलू उत्पादन पर दबाव कम होगा और भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को आवश्यक संसाधन आसानी से मिल पाएंगे।
देश में चल रहे “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” अभियानों को भी इससे बल मिलेगा। जब जरूरी कच्चा माल उपलब्ध रहेगा, तब स्थानीय कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहन, हाई-टेक उपकरण और रक्षा सामग्री के निर्माण में तेजी ला सकेंगी।
 
                                                                        
                                                                             
                                                











