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इंदौर में सड़क नाम विवाद: 'लोहा गेट' बन गया 'रजा गेट', पार्षद पर होगी कार्रवाई?

इंदौर में सड़क नाम विवाद: 'लोहा गेट' बन गया 'रजा गेट', पार्षद पर होगी कार्रवाई?

मध्य प्रदेश के इंदौर नगर निगम ने मुस्लिम बहुल इलाकों में लगे विवादित सड़क नामों वाले साइनबोर्ड हटा दिए हैं। यह कदम तब उठाया गया जब बीजेपी नेता आकाश विजयवर्गीय ने आरोप लगाया कि ये साइनबोर्ड अवैध रूप से लगाए गए हैं और विशेष धर्म से जुड़े हैं।

इंदौर: मध्य प्रदेश के इंदौर नगर निगम ने मुस्लिम बहुल इलाकों में लगे सड़कों के नए नाम वाले साइनबोर्ड हटा दिए हैं। आरोप है कि ये साइनबोर्ड विवादित हैं क्योंकि इन रास्तों का अवैध रूप से नामकरण किया गया था। इस मामले पर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बेटे और बीजेपी नेता आकाश विजयवर्गीय ने आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि इन सड़कों के नाम विशेष धर्म से जुड़े हैं। 

आकाश विजयवर्गीय ने नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा को पत्र लिखकर यह दावा किया कि चंदन नगर की कुछ सड़कों पर बिना प्रशासन की जानकारी के ऐसे साइनबोर्ड लगाए गए थे, जो अवैध रूप से परिवर्तित नाम दिखा रहे थे।

मामला कैसे उठा

इंदौर में चंदन नगर के कुछ इलाकों में नगर निगम ने पुराने नामों के बजाय नए साइनबोर्ड लगाए थे। इन साइनबोर्ड पर सड़क के दो नाम लिखे गए थे। उदाहरण के लिए: ‘रजा गेट' के साथ ही ‘लोहा गेट रोड’ भी लिखा था। ‘सकीना मंजिल रोड' के साथ ‘चंदन नगर सेक्टर-बी वॉर्ड क्रमांक दो’ लिखा था। स्थानीय लोगों का कहना है कि ये साइनबोर्ड आम जनता के लिए मार्गदर्शन के उद्देश्य से लगाए गए थे। इन इलाकों में अक्सर एक ही सड़क के अलग-अलग नाम चलते हैं, जिससे दिशा-निर्देश की जरूरत होती है।

बीजेपी नेता आकाश विजयवर्गीय ने नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि इन साइनबोर्ड में विशेष धर्म से जुड़े नाम हैं और इन्हें बिना प्रशासन की अनुमति के लगाए जाने से विवाद उत्पन्न हो सकता है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर तुरंत साइनबोर्ड नहीं हटाए गए तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।

मेयर ने लिया संज्ञान

इंदौर के मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने गुरुवार (21 अगस्त) को कहा कि इस मामले में वार्ड पार्षद के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि नगर निगम की अनुमति के बिना किसी भी सड़क का नाम बदलना या बोर्ड लगाना अवैध है। इस बीच, पार्षद के पति रफीक खान ने सभी आरोपों को खारिज किया। उनका कहना है कि उनकी पत्नी ने मुस्लिम बहुल इलाकों में नए नाम की मंजूरी नहीं दी थी। 

रफीक खान ने दावा किया कि नगर निगम ने दो साल पहले ही अनुरोध किया था कि सड़कों के नाम वाले बोर्ड लगाए जाएं ताकि लोगों को रास्ता ढूंढने में आसानी हो। इसके बाद नगर निगम ने पुराने नामों के आधार पर बोर्ड तैयार कराकर लगाए। यह विवाद शहर में राजनीतिक हलचल भी पैदा कर गया। आकाश विजयवर्गीय ने इसे धर्म विशेष से जुड़े मुद्दे के रूप में उठाया, जबकि नगर निगम और पार्षद का पक्ष रहा कि यह केवल सार्वजनिक सुविधा और मार्गदर्शन के लिए किया गया था।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि सड़कों के दो नाम होने से उन्हें दिशा समझने में मदद मिलती है। अगर एक नाम हटा दिया गया तो लोगों को सही जगह तक पहुंचने में कठिनाई हो सकती है।

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