इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड, जो कि देश की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी इंडिगो (IndiGo) को ऑपरेट करती है, उसने अपनी पहली तिमाही यानी Q1 के वित्तीय नतीजे जारी कर दिए हैं। इस तिमाही में कंपनी का नेट प्रॉफिट सालाना आधार पर 20 फीसदी की गिरावट के साथ 2176 करोड़ रुपये रहा है। पिछले साल इसी तिमाही में कंपनी ने 2728 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था।
सीएनबीसी टीवी18 के पोल में जहां 2484 करोड़ रुपये के मुनाफे का अनुमान लगाया गया था, वहां कंपनी का प्रदर्शन अपेक्षा से कमज़ोर रहा है।
कंपनी की आय में सिर्फ मामूली बढ़त
इस तिमाही में कंपनी की कुल आय (Revenue) 4.7 फीसदी बढ़कर 20496 करोड़ रुपये रही है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 19571 करोड़ रुपये था।
हालांकि यह बढ़त राहत देने वाली है, लेकिन बाजार में पहले से ही 21150 करोड़ रुपये की आय का अनुमान था। यानी राजस्व का आंकड़ा भी उम्मीद से कम ही रहा।
मार्जिन में गिरावट, दबाव में दिखा ऑपरेशनल मोर्चा
तिमाही के दौरान IndiGo का ऑपरेटिंग मार्जिन 26.4 फीसदी से घटकर 25.5 फीसदी हो गया है। यानी कंपनी की कमाई पर खर्च का बोझ बढ़ा है और ऑपरेशनल एफिशिएंसी में थोड़ी गिरावट आई है।
सीएनबीसी टीवी18 के मुताबिक, इस मोर्चे पर 25.7 फीसदी के मार्जिन की उम्मीद थी, लेकिन आंकड़ा उससे भी नीचे निकलकर आया है।
एबिटडा बढ़ा लेकिन अनुमान से नीचे
IndiGo का एबिटडा (EBITDA - ब्याज, टैक्स, डिप्रिसिएशन और अमोर्टाइजेशन से पहले की कमाई) 5158 करोड़ रुपये से बढ़कर 5226 करोड़ रुपये रहा है, लेकिन विश्लेषकों ने 5455 करोड़ रुपये के EBITDA की उम्मीद जताई थी।
इसका मतलब है कि कंपनी की ऑपरेशनल परफॉर्मेंस में थोड़ी बहुत बढ़त जरूर हुई है, मगर यह भी अनुमानों को पूरा नहीं कर पाई है।
स्टॉक ने नतीजों से पहले ही दिखा दी थी कमजोरी
IndiGo के ये तिमाही नतीजे बाजार बंद होने के बाद जारी किए गए, लेकिन इसके पहले ही स्टॉक में कमजोरी देखी गई थी। बीएसई पर इंटरग्लोब एविएशन का शेयर 0.6 फीसदी की गिरावट के साथ 5721 रुपये पर बंद हुआ है।
कारोबार के दौरान यह 5701 रुपये तक गिर गया था। खास बात यह है कि इसी महीने कंपनी का शेयर 6019 रुपये के साल के नए उच्चतम स्तर पर पहुंचा था।
इसका मतलब है कि निवेशकों को नतीजों में थोड़ी कमजोरी का अंदेशा पहले से था और उन्होंने सतर्कता बरती।
कमज़ोरी के कारणों पर फोकस
विशेषज्ञों के अनुसार, इंडिगो के नतीजों में आई यह कमजोरी कई वजहों से हो सकती है। एक तरफ जहां जेट फ्यूल की कीमतें उतनी स्थिर नहीं रही हैं, वहीं अंतरराष्ट्रीय उड़ानों से भी अनुमानित रिटर्न नहीं आया है।
कंपनी लगातार अपने नेटवर्क का विस्तार कर रही है, जिसमें नए विमान, रूट्स और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का जोड़ शामिल है। इससे खर्च में इज़ाफा हुआ है, लेकिन रेवेन्यू ग्रोथ उसके मुकाबले उतनी तेज़ नहीं रही।
कंपनी का विस्तार और भविष्य की योजनाएं
IndiGo फिलहाल तेज़ी से अपने रूट नेटवर्क और बेड़े का विस्तार कर रही है। कंपनी ने हाल ही में कई अंतरराष्ट्रीय रूट्स की घोषणा की है, और उसने नए विमानों की डिलीवरी भी शुरू कर दी है।
इसका असर कंपनी के खर्च पर पड़ता है, खासकर मेंटेनेंस, स्टाफिंग और अन्य संचालन लागतों के रूप में।
हालांकि, यात्रियों की संख्या में इज़ाफा देखने को मिला है और घरेलू रूट्स पर कंपनी की पकड़ मजबूत बनी हुई है। फिर भी, मार्जिन दबाव और बढ़ते कॉम्पिटिशन के चलते ऑपरेशनल स्तर पर चुनौती बरकरार है।
अनुमानों से कमजोर परफॉर्मेंस ने चौंकाया
विश्लेषकों ने उम्मीद जताई थी कि कंपनी अपने पिछले साल के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ सकती है, लेकिन यह अनुमान पूरी तरह सही नहीं निकला।
प्रॉफिट, रेवेन्यू, एबिटडा और मार्जिन—चारों ही मोर्चों पर कंपनी के प्रदर्शन ने बाजार को चौंकाया है। यही वजह रही कि स्टॉक में पहले ही गिरावट दर्ज की गई और आने वाले सत्रों में भी निवेशकों की नज़र इंडिगो की स्ट्रैटेजी और फॉरवर्ड गाइडेंस पर टिकी रहेगी।
बाजार की नजर अगली तिमाही पर
अब सभी की निगाहें इंडिगो की अगली तिमाही यानी Q2 के प्रदर्शन पर रहेंगी। कंपनी के लिए चुनौती यह है कि वह मुनाफे की गति को फिर से पटरी पर लाए, जबकि ऑपरेशनल मार्जिन को बनाए रखना भी एक बड़ी कसौटी होगी।
इसके साथ ही, एयरलाइन इंडस्ट्री में कॉम्पिटिशन लगातार बढ़ रहा है। वीवीआईपी रूट्स पर नई एंट्री करने वाली कंपनियों से इंडिगो को कड़ी टक्कर मिल सकती है।
फिलहाल इंडिगो की स्थिति
IndiGo देश की सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन है और इसका मार्केट शेयर करीब 60 फीसदी के आसपास है। कंपनी की सेवाएं देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों में फैली हुई हैं और वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपना विस्तार तेज़ी से कर रही है।
लेकिन इस तिमाही के आंकड़े यह दिखाते हैं कि केवल यात्रियों की संख्या या रेवेन्यू बढ़ना काफी नहीं होता, ऑपरेशनल कुशलता और खर्च नियंत्रण भी ज़रूरी है।