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Jane Street vs SEBI: हाई-स्पीड ट्रेडिंग केस की अहम सुनवाई आज, जानें पुरी डिटेल

Jane Street vs SEBI: हाई-स्पीड ट्रेडिंग केस की अहम सुनवाई आज, जानें पुरी डिटेल

Jane Street और SEBI के बीच विवाद पर आज तीन जजों की अपील्स कोर्ट में सुनवाई शुरू होगी। जेन स्ट्रीट ने सेबी के अंतरिम आदेश के खिलाफ अपील की है और जांच रोकने की मांग की है। मामला भारत के हाई-स्पीड इक्विटी डेरिवेटिव्स मार्केट के लिए अहम माना जा रहा है और इससे अन्य ट्रेडिंग फर्मों पर असर पड़ सकता है।

Jane Street vs SEBI: अमेरिकी ट्रेडिंग फर्म Jane Street और भारतीय मार्केट रेगुलेटर SEBI के बीच विवाद पर आज तीन जजों की अपील्स कोर्ट में सुनवाई शुरू हो रही है। जेन स्ट्रीट ने SEBI के जुलाई 2025 के अंतरिम आदेश के खिलाफ अपील दायर की है, जिसमें उस पर हेराफेरी के आरोप लगाए गए हैं। कंपनी ने अपने बचाव के लिए जरूरी दस्तावेज़ों का एक्सेस मांगा है और सुनवाई पूरी होने तक SEBI की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की है। यह मामला भारत के हाई-स्पीड डेरिवेटिव मार्केट और अन्य विदेशी ट्रेडिंग फर्मों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

मामला क्या है

जुलाई 2025 में सेबी ने जेन स्ट्रीट के खिलाफ अंतरिम आदेश जारी किया था। इस आदेश में अमेरिकी ट्रेडिंग कंपनी पर हेराफेरी और मार्केट में अनुचित लाभ लेने का आरोप लगाया गया था। इसके खिलाफ जेन स्ट्रीट ने अपील दायर की है। जेन स्ट्रीट का दावा है कि उसे अपनी रक्षा के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स सेबी ने उपलब्ध नहीं कराए।

कंपनी ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि सुनवाई पूरी होने तक सेबी की कार्रवाई पर रोक लगाई जाए। अगर यह अनुरोध स्वीकार हो जाता है, तो जेन स्ट्रीट को अंतरिम राहत मिल सकती है और सेबी को जांच के दौरान कुछ प्रतिबंधों का पालन करना होगा।

आज की सुनवाई में क्या हो सकता है

पहली सुनवाई में आम तौर पर सुनवाई का रोडमैप तय किया जाता है। इसके तहत कोर्ट यह निर्धारित कर सकती है कि सेबी को जेन स्ट्रीट की अपील पर जवाब देना होगा या नहीं। मुंबई की लॉ फर्म सराफ एंड पार्टनर्स के पार्टनर अभिराज अरोड़ा के मुताबिक, फिलहाल दोनों पक्षों का मुख्य ध्यान अंतरिम राहत पर है।

अगर ट्रिब्यूनल जेन स्ट्रीट को अंतरिम राहत देता है, तो सेबी की कार्रवाई फिलहाल रुकेगी। इसके अलावा कोर्ट यह भी तय कर सकती है कि जेन स्ट्रीट को कौन-कौन से डॉक्यूमेंट्स उपलब्ध कराए जाएं।

जेन स्ट्रीट ने किन दस्तावेजों की मांग की

जेन स्ट्रीट ने सेबी और दुबई के हेज फंड मैनेजर मयंक बंसल के बीच ईमेल सहित अन्य दस्तावेजों की मांग की है। कंपनी का कहना है कि यही ईमेल और संवाद सेबी को अमेरिकी फर्म के भारत में ट्रेडिंग की जानकारी देने में शामिल थे। इसके अलावा, जेन स्ट्रीट ने एनएसई के साथ हुई आंतरिक ईमेल का भी एक्सेस मांगा है।

जेन स्ट्रीट का तर्क है कि जांच में इन दस्तावेजों को अप्रासंगिक बताकर उन्हें उपलब्ध नहीं कराया गया। कंपनी का कहना है कि यह दस्तावेज उसके बचाव के लिए महत्वपूर्ण हैं।

सेबी का नया आदेश

सेबी का कहना है कि उसकी सर्विलांस टीम पहले ही जेन स्ट्रीट की ट्रेडिंग गतिविधियों की समीक्षा कर चुकी है। दिसंबर 2024 में किए गए रिव्यू में किसी भी तरह की हेराफेरी के सबूत नहीं मिले थे। एनएसई ने भी इसी निष्कर्ष पर पहुंचा था।

अक्षया भंसाली, मैनेजिंग पार्टनर माइंडस्प्राइट लीगल, का कहना है कि सेबी यह भी कह सकती है कि उसके अंतरिम आदेश का एनएसई की रिपोर्ट से कोई संबंध नहीं है। इसके अलावा, सेबी यह तर्क दे सकता है कि साल की शुरुआत में की गई आंतरिक कम्युनिकेशन की समीक्षा नए आदेश से अलग है।

मार्केट पर असर

इस मामले पर मार्केट की नजर इसलिए है क्योंकि भारत का डेरिवेटिव मार्केट हाई-स्पीड ट्रेडिंग फर्मों के लिए आकर्षक बन गया है। जेन स्ट्रीट जैसे मामले में अंतरिम राहत मिलने या न मिलने से अन्य फर्मों जैसे जंप ट्रेडिंग, सिटाडेल सिक्योरिटीज और आईएमसी ट्रेडिंग की रणनीतियों पर असर पड़ सकता है।

सेबी की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में रिटेल ट्रेडर्स को फ्यूचर्स और ऑप्शंस ट्रेडिंग में करीब $1200 का नुकसान हुआ, जिसका लाभ मुख्य रूप से ट्रेडिंग फर्मों को मिला। इस विवाद का समाधान मार्केट के भरोसे और नियमों की स्पष्टता के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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