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जबलपुर एयरपोर्ट पर फ्लाइट्स की कमी, हाईकोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार; न्यायिक आदेश की चेतावनी

जबलपुर एयरपोर्ट पर फ्लाइट्स की कमी, हाईकोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार; न्यायिक आदेश की चेतावनी

जबलपुर हाईकोर्ट ने डुमना एयरपोर्ट में घटती फ्लाइट संख्या पर सख्त रुख अपनाया। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए कि भोपाल-इंदौर की फ्लाइट को जबलपुर से जोड़ें, अन्यथा न्यायिक आदेश जारी किया जाएगा।

जबलपुर: मध्य प्रदेश के जबलपुर में डुमना एयरपोर्ट से हवाई कनेक्टिविटी घटने के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने कहा कि भोपाल-इंदौर के बीच संचालित फ्लाइट को जबलपुर से भी जोड़ा जाए। कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को आवश्यक न्यायिक आदेश जारी करने और आगामी सुनवाई तक हल निकालने के निर्देश दिए हैं।

एयर कनेक्टिविटी घटने पर हाईकोर्ट की नाराजगी

हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि जबलपुर राज्य की मुख्य न्यायिक सीट है, जबकि भोपाल प्रशासनिक मुख्यालय है। ऐसे में जबलपुर को अन्य शहरों की तुलना में पिछड़ा नहीं होना चाहिए। डुमना एयरपोर्ट के विस्तार पर करीब 500 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे, बावजूद इसके यहां फ्लाइट संख्या लगातार घटती जा रही है।

कोर्ट ने बताया कि वर्तमान में जबलपुर में सिर्फ 9 उड़ानें संचालित हो रही हैं, जबकि भोपाल से प्रतिदिन 40, इंदौर से 80 और ग्वालियर से 25 फ्लाइट्स चल रही हैं। युगलपीठ ने अधिकारियों से सवाल किया कि क्या सिर्फ पर्यटन या एयरलाइन कंपनियों की सुविधा के कारण जबलपुर को ‘सेकेंड हैंड’ ट्रीटमेंट दिया जा रहा है।

जबलपुर एयर कनेक्टिविटी पर जनहित याचिका

यह मामला नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच और लॉ स्टूडेंट पार्थ श्रीवास्तव द्वारा दायर जनहित याचिका से जुड़ा है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि पहले जबलपुर से मुंबई, पुणे, कोलकाता और बेंगलुरू के लिए उड़ानें थीं, लेकिन अब संख्या घटकर बहुत कम हो गई है।

सीनियर वकील आदित्य सांघी ने कोर्ट को बताया कि साल 2011 में डुमना एयरपोर्ट के विस्तार और रात में लैंडिंग की सुविधा का वादा किया गया था। विस्तार के चार साल बाद भी यहां सिर्फ पांच उड़ानें संचालित हो रही हैं। जबकि रीवा के हवाई अड्डे को ग्रीनफील्ड में रखा गया है और वहां अधिक फ्लाइट्स चल रही हैं।

कोर्ट ने अधिकारियों को दिए निर्देश

युगलपीठ ने असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल और संबंधित विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे याचिकाकर्ताओं और विमानन कंपनियों के वकीलों के साथ संयुक्त बैठक करें और फ्लाइट संख्या बढ़ाने का ठोस निर्णय लेकर कोर्ट को अगली सुनवाई तक अवगत कराएं। अगली सुनवाई 6 नवंबर को निर्धारित की गई है।

कोर्ट ने कहा कि अगर फ्लाइट संचालित नहीं करनी थी, तो 500 करोड़ का एयरपोर्ट विस्तार करने का कोई औचित्य नहीं था। यह कदम एयर कनेक्टिविटी और यात्रियों की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।

जबलपुर में फ्लाइट संख्या बढ़ाने की योजना

पिछली सुनवाई में इंडिगो एयरलाइंस की मूल कंपनी इंटरग्लोब सहित अन्य एयरलाइन कंपनियों को निर्देश दिए गए थे कि वे फ्लाइट संख्या बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार से आवश्यक रियायतों का सुझाव प्रस्तुत करें। विमानन कंपनी के वकील सिद्धार्थ शर्मा ने कोर्ट को बताया कि मध्य प्रदेश के लिए आरएफपी जारी किया गया है और नवंबर माह से दिल्ली के लिए नई फ्लाइट प्रारंभ की जाएगी।

हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि न्यायालय का उद्देश्य केवल पर्यटन नहीं बल्कि पेशेवर और व्यावसायिक यात्रियों की सुविधा सुनिश्चित करना है। इससे जबलपुर एयरपोर्ट की उपयोगिता और शहर की एयर कनेक्टिविटी दोनों बढ़ेंगी।

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