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RBI का बड़ा कदम! इन देशों में बजेगा भारत के रुपए का डंका, जानिए RBI की नई पॉलिसी

RBI का बड़ा कदम! इन देशों में बजेगा भारत के रुपए का डंका, जानिए RBI की नई पॉलिसी

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अब भारतीय बैंक भूटान, नेपाल और श्रीलंका में स्थानीय लोगों को रुपए में लोन दे सकेंगे। यह कदम रुपए को डॉलर और युआन जैसी ग्लोबल करेंसी के मुकाबले मजबूत बनाएगा और भारत की आर्थिक स्थिति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाएगा।

RBI Said: भारतीय रिजर्व बैंक ने एक अक्टूबर 2025 को रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण को लेकर कई अहम फैसलों की घोषणा की थी, जिन पर अब अमल शुरू हो गया है। आरबीआई ने बताया कि भारतीय बैंक अब भूटान, नेपाल और श्रीलंका में स्थानीय लोगों और बैंकों को रुपए में लोन दे सकेंगे। यह कदम सीमापार व्यापार को आसान बनाने और भारतीय रुपए के वैश्विक उपयोग को बढ़ाने के लिए उठाया गया है। साथ ही, आरबीआई रेफ्रेंस रेट्स को और पारदर्शी बनाने और विशेष रुपया वास्ट्रो खातों के उपयोग को भी विस्तृत करने की दिशा में काम कर रहा है। इन सुधारों से चीन से लेकर अमेरिका तक चिंता बढ़ी है, क्योंकि रुपया अब ग्लोबल करेंसी की दौड़ में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

रुपए में लोन देने की शुरुआत से बढ़ेगा भारत का व्यापार

आरबीआई के अनुसार, भारत के बैंक अब इन तीन देशों में रुपए में लोन देकर सीमापार व्यापार और भुगतान को आसान बनाएंगे। यह सुविधा विदेशी विनिमय प्रबंधन (उधारी एवं ऋण) विनियम, 2018 और विदेशी मुद्रा खाता प्रबंधन विनियम, 2015 में संशोधन के बाद शुरू की गई है। इसका उद्देश्य भारत और उसके पड़ोसी देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को और गहरा करना है।

भूटान, नेपाल और श्रीलंका में यह पहल भारत के रुपए को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। इन देशों के साथ भारत का व्यापार पहले से ही मजबूत है। अब जब वहां के लोग और बैंक सीधे रुपए में लेनदेन कर सकेंगे, तो डॉलर या युआन पर निर्भरता कम होगी।

रुपए के अंतरराष्ट्रीयकरण की नई दिशा

भारत लंबे समय से अपनी करेंसी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की कोशिश कर रहा है। आरबीआई के इस कदम से अब रुपए को एक स्थिर और भरोसेमंद करेंसी के रूप में देखा जा सकेगा। चीन के युआन और अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व के बीच भारत का यह प्रयास काफी अहम माना जा रहा है।

आरबीआई ने कहा है कि इन देशों में अगर यह पहल सफल रहती है, तो भविष्य में दक्षिण एशिया के अन्य देशों और अफ्रीकी बाजारों में भी इसी मॉडल को अपनाया जा सकता है। इस तरह रुपया धीरे-धीरे वैश्विक व्यापार का हिस्सा बन सकेगा।

निर्यातकों को दी गई नई सुविधा

आरबीआई ने हाल ही में एक और बड़ा कदम उठाया है। जनवरी 2025 में भारतीय निर्यातकों को यह अनुमति दी गई थी कि वे विदेशों में किसी बैंक में विदेशी मुद्रा खाता खोल सकते हैं और अपने निर्यात की प्राप्तियों को वहां रख सकते हैं। पहले इन खातों की अप्रयुक्त राशि को अगले महीने के अंत तक भारत में वापस भेजना जरूरी था। लेकिन अब आरबीआई ने यह अवधि बढ़ाकर तीन महीने कर दी है, बशर्ते खाता भारत के आईएफएससी में किसी बैंक में हो।

यह बदलाव निर्यातकों को विदेशी ग्राहकों के साथ व्यापार में लचीलापन देगा और विदेशी मुद्रा प्रबंधन को और आसान बनाएगा।

आरबीआई के तीन बड़े कदम

आरबीआई ने अपने बयान में तीन प्रमुख सुधारों का उल्लेख किया था। पहला कदम यह कि अब अधिकृत डीलर (एडी) बैंक भूटान, नेपाल और श्रीलंका के अनिवासी व्यक्तियों और बैंकों को भारतीय रुपए में व्यापारिक लोन दे सकेंगे। इससे भारत और इन देशों के बीच रुपए आधारित व्यापारिक समझौते मजबूत होंगे।

दूसरा कदम भारत के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों की करेंसी के लिए पारदर्शी रेफरेंस रेट्स स्थापित करने का है। इससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में कीमत तय करने की प्रक्रिया और अधिक स्थिर होगी। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने कहा था कि यह कदम क्रॉस करेंसी रेट्स पर निर्भरता को घटाएगा और रुपए को एक भरोसेमंद ट्रेडिंग करेंसी बनाएगा।

शंकर ने यह भी बताया था कि इंडोनेशियाई रुपिया और यूएई दिरहम जैसी मुद्राओं के लिए भी रेफरेंस रेट्स तय करने पर विचार किया जा रहा है। वर्तमान में आरबीआई अमेरिकी डॉलर, यूरो, जापानी येन और ब्रिटिश पाउंड के लिए ही रेफरेंस रेट्स प्रकाशित करता है।

तीसरे कदम के तहत आरबीआई ने विशेष रुपया वास्ट्रो खातों (एसआरवीए) के उपयोग को बढ़ाने का फैसला किया है। अब इन खातों में मौजूद राशि का उपयोग कॉर्पोरेट बॉन्ड और कमर्शियल पेपर्स में निवेश के लिए किया जा सकेगा। इससे विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजार में निवेश के नए अवसर मिलेंगे।

रुपए की वैश्विक यात्रा में नई रफ्तार

आरबीआई पहले भी रुपए के वैश्विक उपयोग को बढ़ाने के लिए कई पहल कर चुका है। इसमें रुपए में द्विपक्षीय व्यापार समझौते, यूपीआई जैसी भारतीय भुगतान प्रणालियों को सीमा पार लेनदेन में अपनाना और रुपए की अस्थिरता को कम करने जैसे कदम शामिल हैं।

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