आदिवासी संगठनों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के समर्थन में 25 अक्टूबर को कोल्हान में आर्थिक नाकेबंदी का ऐलान किया। उनका संघर्ष जंगल और स्थानीय आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा से जुड़ा हुआ है।
रांची: झारखंड के कोल्हान क्षेत्र में सारंडा सेंचुरी विवाद अब और गंभीर रूप ले चुका है। आदिवासी संगठनों ने 25 अक्टूबर को आर्थिक नाकेबंदी का ऐलान किया है। उनका कहना है कि यह कदम स्थानीय लोगों के अधिकार, आजीविका और जनजीवन की रक्षा के लिए जरूरी है।
15 अक्टूबर को आदिवासी नेताओं ने प्रदेश के गवर्नर के नाम डीसी को ज्ञापन सौंपा और राज्यपाल से मामले पर फिर से विचार करने की अपील की। आदिवासी संगठनों का जोर है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में लड़ा जा रहा केस सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि स्थानीय जीवन से जुड़ी लड़ाई है।
'जंगल बसाने वालों को परेशान न किया जाए'
सारंडा जंगल क्षेत्र के आदिवासी नेताओं ने कहा कि जो लोग जंगल में बसते हैं, उन्हें नियम और कानून के नाम पर परेशान नहीं किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि स्थानीय लोगों की पारंपरिक जीवनशैली और आजीविका सुरक्षित रहनी चाहिए।
संगठनों ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके आंदोलन में किसी पर कोई हिंसा या आंच नहीं आएगी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी जंगल और उसके मूल निवासियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और इस मामले में उनके पक्ष में हैं।
हेमंत सोरेन का संदेश
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि खनिज संसाधनों को कुछ समय के लिए नजरअंदाज किया जा सकता है, लेकिन आदिवासी लोगों के अधिकारों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस मुद्दे को कोर्ट तक ले जाने का निर्णय इसलिए ले रही है ताकि क्षेत्र के निवासियों के अधिकार सुरक्षित रहें।
सोरेन ने यह स्पष्ट किया कि उनका प्रयास न केवल कानूनी रूप से सही है बल्कि जंगल और लोगों के जीवन को संरक्षित करने की दिशा में भी है। उन्होंने कहा कि सरकार हमेशा अपने लोगों के हितों के लिए खड़ी रहेगी और किसी भी अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेगी।
वाइल्ड लाइफ सेंचुरी का विरोध
आदिवासियों ने 14 अक्टूबर को जन आक्रोश रैली भी निकाली थी। उनका कहना है कि सारंडा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी बनाने का प्रस्ताव उनकी आजीविका और पारंपरिक जीवनशैली को खतरे में डाल सकता है।
संगठनों की मांग है कि यह प्रस्ताव तुरंत वापस लिया जाए। उनका जोर है कि किसी भी कीमत पर सारंडा जंगल को वाइल्ड लाइफ सेंचुरी बनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।