प्रदेश के राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को एक बार फिर अपमान का सामना करना पड़ा। यह पहला मौका नहीं है जब प्रदेश में कांग्रेस को इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ा हो; इससे पहले भी पार्टी को नेकां की नजरों से अनदेखा किया गया था।
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर (J&K) की राजनीति में एक बार फिर गठबंधन सहयोगियों कांग्रेस (Congress) और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के बीच टकराव खुलकर सामने आ गया है। राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Elections 2025) को लेकर दोनों दलों के बीच मनमुटाव इतना बढ़ गया कि कांग्रेस ने चुनाव मैदान से ही हटने का फैसला कर लिया। सूत्रों के अनुसार, मनचाही सीट न मिलने से नाराज कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव न लड़ने की घोषणा की है और अब पूरा मामला पार्टी हाईकमान के पास पहुंच गया है।
राज्यसभा चुनाव में फिर दिखी गठबंधन का दरार
कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच गठबंधन की दरार कोई नई बात नहीं है। लेकिन इस बार मामला राज्यसभा की चार सीटों को लेकर गंभीर हो गया। जानकारी के अनुसार, नेकां ने कांग्रेस से बिना सलाह-मशविरा किए तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए, जबकि केवल एक सीट कांग्रेस के लिए छोड़ी — वह भी ऐसी, जहां से जीत की संभावना लगभग नगण्य थी।
कांग्रेस ने इसे “गठबंधन धर्म” का उल्लंघन बताते हुए नाराजगी जताई और चुनाव से दूर रहने का फैसला किया। पार्टी का कहना है कि अगर गठबंधन में समान भागीदारी नहीं होगी तो सहयोग का अर्थ ही समाप्त हो जाता है।
2024 विधानसभा चुनावों से ही जारी है विवाद
कांग्रेस और नेकां के बीच यह टकराव नया नहीं है। 2024 के विधानसभा चुनावों से पहले भी दोनों दलों के बीच सीट बंटवारे और नेतृत्व को लेकर तनाव देखा गया था। दोनों पार्टियों ने गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था, लेकिन नेकां ने 42 सीटें जीतीं जबकि कांग्रेस को मात्र छह सीटों पर सफलता मिली। सरकार बनाने के लिए आवश्यक 46 सीटों का आंकड़ा पूरा करने के लिए नेकां ने निर्दलीय और छोटे दलों के समर्थन से बहुमत हासिल कर लिया।
लेकिन सत्ता में आने के बाद कांग्रेस को अपेक्षित सम्मान नहीं मिला। यहां तक कि मंत्री पदों के वितरण में भी कांग्रेस को नजरअंदाज किया गया, जिससे पार्टी के भीतर असंतोष गहराता गया।
कांग्रेस नेताओं की नाराजगी और हाईकमान की भूमिका
राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस की उपेक्षा ने पार्टी नेताओं को एक बार फिर नाराज कर दिया है। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रविंदर शर्मा ने कहा, कांग्रेस ने गठबंधन धर्म का सम्मान करते हुए हमेशा नेकां का साथ दिया, लेकिन हमें बार-बार नजरअंदाज किया जा रहा है। पार्टी ने लम्बी चर्चा के बाद राज्यसभा चुनाव में हिस्सा न लेने का फैसला किया है। अब भविष्य का निर्णय कांग्रेस हाईकमान करेगा और प्रदेश इकाई उसी के अनुसार आगे की रणनीति तय करेगी।”
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव से जुड़े सभी घटनाक्रमों की रिपोर्ट हाईकमान को भेज दी है। पार्टी आलाकमान जल्द ही इस पर अंतिम निर्णय लेगा कि आगे गठबंधन जारी रहेगा या नहीं।
नेकां का रुख: ‘कांग्रेस ने खुद मौका गंवाया’
वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) का कहना है कि उन्होंने अंतिम समय तक कांग्रेस का इंतजार किया, लेकिन जब कांग्रेस ने स्पष्ट रुख नहीं दिखाया, तब पार्टी को अपने उम्मीदवार घोषित करने पड़े। नेकां के सूत्रों के मुताबिक, राज्यसभा की चारों सीटों पर उम्मीदवार तय किए जा चुके हैं। हमने कांग्रेस के निर्णय का इंतजार किया, लेकिन जब उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार किया तो हमें खुद प्रत्याशी उतारने पड़े। अब नेकां पूरी ताकत से इन चुनावों में हिस्सा लेगी।”
नेकां का यह भी दावा है कि कांग्रेस की यह नाराजगी “राजनीतिक रणनीति” का हिस्सा है और चुनाव परिणामों के बाद दोनों दलों के बीच संबंध फिर सामान्य हो जाएंगे।