अगर आपने कोई ज़मीन या प्रॉपर्टी बेचकर अच्छा खासा मुनाफा कमाया है, तो उस पर इनकम टैक्स देना अनिवार्य हो सकता है। लेकिन इनकम टैक्स एक्ट में कुछ ऐसे प्रावधान भी मौजूद हैं, जिनके तहत आप टैक्स से पूरी तरह या आंशिक रूप से छूट पा सकते हैं। इसके लिए सही योजना और नियमों की जानकारी बेहद जरूरी है।
नई दिल्ली: जब कोई व्यक्ति ज़मीन या संपत्ति बेचता है और उससे लाखों-करोड़ों का मुनाफा होता है, तो वह इनकम टैक्स विभाग की नजर में आता है। इनकम टैक्स एक्ट के तहत इस लाभ को कैपिटल गेन कहा जाता है और इस पर टैक्स देना पड़ता है। हालांकि, भारत सरकार ने कुछ स्थितियों में टैक्स में छूट देने के लिए विशेष प्रावधान बनाए हैं। इनमें खासतौर पर सेक्शन 54, 54F और 54B शामिल हैं, जिनकी मदद से टैक्स की राशि को कम या पूरी तरह से बचाया जा सकता है।
कैपिटल गेन क्या होता है?
जब कोई संपत्ति, जैसे ज़मीन, मकान या प्लॉट, खरीदी जाती है और कुछ समय बाद अधिक कीमत पर बेची जाती है, तो जो अतिरिक्त राशि मिलती है, वह कैपिटल गेन कहलाती है। यह दो प्रकार की होती है:
- शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन: अगर संपत्ति 24 महीने से कम समय तक रखी गई हो।
- लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन: अगर संपत्ति 24 महीने या उससे अधिक समय तक रखी गई हो।
शॉर्ट टर्म गेन को व्यक्ति की सामान्य आय में जोड़ा जाता है और उस पर व्यक्ति के इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है। वहीं लॉन्ग टर्म गेन पर 20% टैक्स की दर से कर लगाया जाता है, लेकिन इंडेक्सेशन का फायदा मिलता है जिससे टैक्स घट सकता है।
टैक्स से बचाव के प्रमुख तरीके
सेक्शन 54F के तहत छूट
अगर आपने अपनी ज़मीन बेचकर जो पैसा कमाया है, उसका उपयोग एक रिहायशी मकान खरीदने या बनाने में करते हैं, तो सेक्शन 54F के तहत टैक्स से पूरी छूट मिल सकती है। शर्त यह है कि:
- नया घर एक साल पहले खरीदा गया हो या
- दो साल के अंदर खरीदा जाए या
- तीन साल के भीतर बनवाया जाए
सेक्शन 54B – कृषि भूमि की बिक्री पर छूट
अगर आपने शहरी कृषि भूमि बेची है और मुनाफे की राशि से दो साल के भीतर दूसरी कृषि भूमि खरीदी है, तो सेक्शन 54B के तहत टैक्स से राहत मिल सकती है। यह छूट तभी लागू होती है जब भूमि का उपयोग बिक्री से पहले कम से कम दो साल तक कृषि के लिए किया गया हो।
कैपिटल गेन डिपॉजिट अकाउंट स्कीम (CGDAS)
अगर आपने अभी तक नई संपत्ति नहीं खरीदी है, तो मुनाफे की राशि को Capital Gains Deposit Account Scheme में जमा किया जा सकता है। इस योजना के तहत टैक्स तत्काल नहीं देना पड़ता, लेकिन राशि का उपयोग समयबद्ध तरीके से संपत्ति खरीदने में किया जाना चाहिए।
शहरी और ग्रामीण भूमि में अंतर
- अगर भूमि नगरपालिका या नगर निगम की सीमा से 2 किमी या उससे अधिक दूर स्थित है और जहां की जनसंख्या 10,000 से कम है, तो उसे ग्रामीण कृषि भूमि माना जाता है। ऐसी जमीन बेचने पर कोई कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता।
- लेकिन यदि जमीन शहरी क्षेत्र में आती है, भले ही वह कृषि भूमि क्यों न हो, तो उस पर बिक्री से हुए मुनाफे पर टैक्स लगेगा।
टैक्स देने से पहले क्या रखें ध्यान?
- भूमि का प्रकार और स्थिति: यह तय करें कि जमीन शहरी क्षेत्र में आती है या ग्रामीण क्षेत्र में।
- समय का हिसाब: कितने समय तक आपने जमीन रखी है – 24 महीने से ज्यादा या कम?
- खरीद मूल्य और बिक्री मूल्य का अंतर: इंडेक्सेशन के साथ गणना करें ताकि वास्तविक टैक्स लायबिलिटी सामने आए।
- नई संपत्ति की योजना: क्या आप मुनाफे से नया घर या कृषि भूमि खरीदने जा रहे हैं?
- CGDAS में निवेश: अगर तुरंत निवेश न किया हो तो पैसा इस खाते में डालें।
नियमों में बदलाव की संभावना
टैक्स से जुड़े नियम समय-समय पर सरकार द्वारा संशोधित किए जा सकते हैं। इसलिए, संपत्ति बेचने से पहले वर्तमान वित्तीय वर्ष के प्रावधान जरूर जांचें। किसी भी बड़े लेनदेन से पहले चार्टर्ड अकाउंटेंट या टैक्स विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित होता है ताकि आप अनजाने में कोई गलती न कर बैठें और भविष्य में पेनल्टी से बच सकें।