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कैशलेस इलाज विवाद: 1 सितंबर से बंद हो सकता है कैशलेस इलाज? जानें पूरा मामला

कैशलेस इलाज विवाद: 1 सितंबर से बंद हो सकता है कैशलेस इलाज? जानें पूरा मामला

1 सितंबर 2025 से बजाज आलियांज और CARE हेल्थ इंश्योरेंस के लिए भारत के कई अस्पताल कैशलेस इलाज बंद करने वाले थे। यह कदम रिन्बर्समेंट दरों और भुगतान में देरी के विवाद के कारण उठाया गया। हालांकि IRDAI ने स्पष्ट किया कि अस्पतालों को कैशलेस सुविधा देने से इनकार नहीं करना चाहिए और नियमों का पालन अनिवार्य है।

Cashless treatment facility suspended: भारत में 15,000 से अधिक अस्पताल बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस और CARE हेल्थ इंश्योरेंस के तहत कैशलेस इलाज 1 सितंबर 2025 से बंद करने का प्रस्ताव दे चुके थे। अस्पतालों का आरोप है कि बीमाकर्ता रिन्बर्समेंट दरें अपडेट नहीं करता और दावों का निपटान में देरी करता है। इस विवाद पर IRDAI ने हस्तक्षेप किया और स्पष्ट किया कि नेटवर्क अस्पतालों को कैशलेस सुविधा से इनकार नहीं करना चाहिए। बीमा कंपनियों को नियमों का पालन न करने वाले अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है, जिससे मरीजों को पहले भुगतान करने की स्थिति से बचाया जा सके।

अस्पताल अब कैशलेस सेवा से नहीं टाल सकते

इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने इस विवाद की निगरानी शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार, IRDAI ने स्पष्ट कर दिया है कि नेटवर्क अस्पताल कैशलेस सर्विस से इनकार नहीं कर सकते। नियमों के अनुसार, बीमा कंपनियां उन अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती हैं, जो मौजूदा निर्देशों का पालन नहीं करते। IRDAI की मॉनिटरिंग के बाद बीमा कंपनियों और अस्पतालों के बीच विवाद को सुलझाने की प्रक्रिया तेज हो गई है।

बजाज आलियांज का बयान

बजाज आलियांज के सीईओ तपन सिंघल ने कहा कि उन्हें अब तक किसी भी दावे में कैशलेस इनकार का मामला नहीं मिला है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कंपनी हमेशा अपने ग्राहकों के हित में खड़ी रहेगी और इलाज से पहले भुगतान सुनिश्चित करेगी।

विवाद का कारण

AHPI का आरोप है कि 15,000 से अधिक अस्पतालों ने लंबे समय से रिन्बर्समेंट दरों, भुगतान में देरी और क्लेम सेटलमेंट प्रैक्टिसेज पर बीमाकर्ताओं से शिकायत की है। AHPI के अनुसार, बजाज आलियांज द्वारा दी जाने वाली रिन्बर्समेंट दर वर्षों से अपडेट नहीं की गई हैं। इसके अलावा, बीमाकर्ता एकतरफा कटौती करता है और दावों के निपटान में देरी करता है, जिससे अस्पतालों पर वित्तीय दबाव बढ़ता है। इस कारण AHPI ने 1 सितंबर से कैशलेस सुविधा न देने का निर्णय लिया है।

1 सितंबर से कैशलेस इलाज पर असर

बीमा कंपनियों के नियम के अनुसार टर्नअराउंड समय सख्त होता है। आमतौर पर प्राधिकरण का निपटान एक घंटे और डिस्चार्ज के तीन घंटे के भीतर होना चाहिए। यदि कोई अस्पताल कैशलेस सुविधा देने से इनकार करता है, तो उसे बीमा कंपनी के शिकायत निवारण तंत्र के माध्यम से आगे बढ़ना चाहिए। नेटवर्क अस्पताल बीमा कंपनियों के साथ समझौतों के तहत कैशलेस सेवाएं प्रदान करने के लिए बाध्य होते हैं।

यदि 1 सितंबर से कैशलेस सुविधा बंद होती है, तो मरीजों को अस्पताल में पहले भुगतान करना होगा और बाद में बीमा कंपनी से रिम्बर्समेंट लेना पड़ेगा। इस प्रक्रिया में समय लगने और दस्तावेजों की जटिलता के कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

IRDAI की पहल से मिलेगा समाधान

IRDAI ने अस्पतालों और बीमा कंपनियों को मिलकर विवाद का समाधान निकालने के लिए कहा है। सूत्रों के अनुसार, कई अस्पतालों ने पहले भी बीमा कंपनियों के साथ बातचीत की है। अब इस मामले में त्वरित समाधान की आवश्यकता है ताकि मरीजों की सुविधा प्रभावित न हो।

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