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Kalava: महिलाओं के लिए कलावा बांधने के नियम और सही तरीका

Kalava: महिलाओं के लिए कलावा बांधने के नियम और सही तरीका

हिंदू धर्म में कलावा या रक्षासूत्र बुरी शक्तियों से सुरक्षा और शुभता का प्रतीक है। महिलाओं के लिए इसके नियम विशेष हैं: अविवाहित लड़कियों के लिए सीधे हाथ पर और विवाहिता महिलाओं के लिए उल्टे हाथ पर बांधना शुभ माना जाता है। कलावा को तीन बार लपेटना जरूरी होता है, जिससे धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ सुनिश्चित होते हैं।

Kalava: हिंदू धर्म में कलावा, जिसे रक्षासूत्र भी कहा जाता है, बुरी शक्तियों से सुरक्षा और शुभता का प्रतीक है। यह परंपरा विशेष रूप से महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है। अविवाहित लड़कियों के लिए सीधे हाथ पर और शादीशुदा महिलाओं के लिए उल्टे हाथ पर कलावा बांधना शुभ माना जाता है। मंदिरों और पंडितों की देखरेख में, तीन बार लपेटे जाने वाले कलावे से मानसिक शांति, आत्मविश्वास और पारिवारिक सुख सुनिश्चित होता है। यह धार्मिक रीति न केवल सुरक्षा देती है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ाती है।

हिंदू धर्म में कलावा का महत्व

हिंदू धर्म में कलावा, जिसे रक्षासूत्र भी कहा जाता है, बुरी शक्तियों से सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। यह न केवल सुरक्षा का माध्यम है बल्कि धार्मिक आस्था और संस्कृति से भी गहरा जुड़ा हुआ है। मंदिरों और पंडितों के मार्गदर्शन में कलाई पर कलावा बांधते समय विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, जिससे इसका आध्यात्मिक महत्व बढ़ जाता है। यह परंपरा लोगों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सुरक्षा का विश्वास जगाती है।

लड़कियों के लिए कलावा के विशेष नियम

कलावा बांधने की परंपरा लड़कियों और महिलाओं के लिए विशेष नियमों के साथ जुड़ी हुई है। अविवाहित लड़कियों को ब्रह्मचारी माना जाता है, इसलिए उन्हें शादी से पहले सीधे हाथ पर कलावा बांधने की परंपरा है। सीधे हाथ का संबंध कर्म, अनुशासन और आध्यात्मिक संयम से है। यह परंपरा लड़कियों की सुरक्षा और शुभता सुनिश्चित करती है और उनके जीवन में आत्मविश्वास, शक्ति और ऊर्जा बढ़ाती है।

विवाह के बाद महिलाएं अर्धांगिनी स्वरूप में प्रवेश करती हैं और उनका आधा अंग बाएं तरफ माना जाता है। इसलिए शादी के बाद कलावा उल्टे हाथ पर बांधना शुभ माना जाता है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार यह परंपरा वैवाहिक जीवन में सौम्यता, संतुलन और पारिवारिक सुख-समृद्धि बनाए रखने में मदद करती है।

सीधे और उल्टे हाथ की शक्ति

शास्त्रों के अनुसार सीधे हाथ का संबंध सूर्य नाड़ी या पिंगला नाड़ी से होता है। सीधे हाथ में कलावा बांधने से ब्रह्मचारी पुरुष और स्त्रियों की शक्ति, ऊर्जा और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। वहीं उल्टे हाथ का संबंध चंद्र नाड़ी या ईडा नाड़ी से जुड़ा है। शादी के बाद महिलाओं के लिए उल्टे हाथ में कलावा बांधने की परंपरा वैवाहिक जीवन और पारिवारिक सामंजस्य को बढ़ाने में मदद करती है।

कलावा को कितनी बार लपेटना चाहिए

हिंदू परंपरा के अनुसार कलावा को कलाई पर तीन बार लपेटना शुभ माना जाता है। यह तीन प्रकृतियों वात, पित्त और कफ का प्रतीक है। साथ ही, यह त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश को दर्शाता है। इसके अलावा, यह त्रिऋण देवऋण, ऋषिऋण और पितृ ऋण का प्रतीक भी माना जाता है। इसलिए हमेशा कलावा को तीन बार ही लपेटना चाहिए, जिससे आध्यात्मिक और धार्मिक लाभ सुनिश्चित होते हैं।

कलावा बांधने की विधि

देवताओं और पंडितों की देखरेख में कलावा बांधना शुभ माना जाता है। घर के आंगन में चौक बनाकर भगवान विष्णु के चरणों की आकृति तैयार की जाती है और ओखली में गेरू से चित्र बनाए जाते हैं। इस पर फल, मिठाई और सिंघाड़े अर्पित किए जाते हैं। रात के समय तुलसी माता और भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराया जाता है। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन सुखी और समृद्ध बनता है।

महिलाओं के लिए कलावा और मनोवैज्ञानिक लाभ

कलावा न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि इसका मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक प्रभाव भी होता है। सीधे हाथ पर कलावा बांधने से अनुशासन और आत्मविश्वास बढ़ता है, जबकि उल्टे हाथ पर बांधने से मानसिक शांति, संतुलन और परिवारिक सामंजस्य सुनिश्चित होता है। यह परंपरा महिलाओं को उनके जीवन के विभिन्न चरणों में सुरक्षा और शुभता की भावना देती है।

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