पैरोल की अवधि और आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कपिलमुनि करवरिया और उनके भाई सूरजभान करवरिया को 4 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक पैरोल पर रहने की अनुमति दी।
कोर्ट ने यह भी कहा कि इस अवधि के दौरान वे पुलिस हिरासत (their own expense) में रहेंगे और निर्धारित समय पर जेल वापस लौटेंगे।
पिछली जमानत याचिकाएँ एवं राहत
पहले भी हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत मंजूर की थी, परंतु कैद जेल अधीक्षक ने भ्रष्टाचार के एक अन्य मामले (मंझनपुर थाना क्षेत्र में) में जमानत न होने के कारण रिहाई से इनकार कर दिया।
हाईकोर्ट ने उन्हें व्यक्तिगत मुचलके (personal bond) एवं दो प्रतिभूतियों (securities) के साथ जमानत देने का आदेश दिया था।
मुकदमे व सजा
कपिलमुनि करवरिया, उनके भाई उदयभान और सूरजभान, तीनों को जवाहर पंडित हत्या केस में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
उनका मुकाबला राजनीतिक मामला और भ्रष्टाचार के आरोपों से भी है — एक भ्रष्टाचार मामला मंझनपुर थाना में दर्ज है।
भ्रष्टाचार मामले के अलावा, उनके खिलाफ चुनाव आचार संहिता उल्लंघन का मुकदमा भी है।
शर्तें और दायित्व
पैरोल पर रिहाई के दौरान उन्हें स्थानीय थाना को सूचित करना होगा। (मुख्य खबर में यह शर्त उल्लेखित है)
यदि समय पर वापस नहीं लौटे, तो जमानत निरस्त हो सकती है और उन पर एवं उनके जमानतदारों पर कार्रवाई हो सकती है।
—पैरोल अवधि को उनकी सजा में नहीं जोड़ा जाएगा।