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केरल में कुलपतियों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा: 'एक्सपर्ट जस्टिस धूलिया की रिपोर्ट का होगा इंतजार'

केरल में कुलपतियों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा: 'एक्सपर्ट जस्टिस धूलिया की रिपोर्ट का होगा इंतजार'

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर की याचिका पर सुनवाई से पहले शीर्ष अदालत के पूर्व जज सुधांशु धूलिया की रिपोर्ट का इंतजार करने का निर्देश दिया।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (22 सितंबर) को केरल के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर की उस याचिका पर सुनवाई करने से पहले शीर्ष अदालत के पूर्व जज सुधांशु धूलिया की रिपोर्ट का इंतजार करने का निर्देश दिया। यह याचिका राज्य के दो विश्वविद्यालयों के कुलपतियों (Vice Chancellors) की नियुक्ति प्रक्रिया से संबंधित है, जिसमें राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को चयन समिति से हटाने का अनुरोध किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल थे। राज्यपाल की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने याचिका का उल्लेख करते हुए तत्काल सुनवाई की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इन आवेदनों को जस्टिस धूलिया की प्रक्रिया में किसी भी तरह से बाधा डालने के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

पूर्व CJI को मध्यस्थता के लिए किया गया नियुक्त

अटॉर्नी जनरल ने अपने तर्क में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल-कुलपति विवाद का उदाहरण दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व CJI यूयू ललित को मध्यस्थता के लिए नियुक्त किया था। इसके तहत कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि चयन समिति को मुख्यमंत्री द्वारा सुझाए गए वरीयता क्रम का पालन करना अनिवार्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय लिया कि जस्टिस धूलिया की रिपोर्ट का इंतजार किया जाएगा। जस्टिस पारदीवाला ने कहा, “रिपोर्ट आने दीजिए। उसके आधार पर हम समग्र दृष्टिकोण अपनाएंगे और प्रक्रिया में संतुलन बनाएंगे।

राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और केरल डिजिटल विश्वविद्यालय के कुलपतियों के चयन में मुख्यमंत्री की भूमिका अनावश्यक रूप से शामिल की गई। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि दोनों विश्वविद्यालयों में चयन प्रक्रिया में राज्यपाल की भूमिका महत्वपूर्ण है, जबकि मुख्यमंत्री का हस्तक्षेप अनधिकृत था।

याचिका में कहा गया कि दोनों विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी तरह कानूनी प्रावधानों और राज्य के नियमों के अनुसार होनी चाहिए। राज्यपाल ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि चयन प्रक्रिया में मुख्यमंत्री को बाहर रखा जाए।

केरल की समिति की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल

राज्यपाल के वकील ने यह तर्क दिया कि हाल ही में जारी आदेशों के संशोधन ने नियुक्ति प्रक्रिया में राज्यपाल की भूमिका को प्रभावी रूप से बहाल किया है। इससे केरल की कुलपति चयन समिति की कार्यप्रणाली पर सवाल उठते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जस्टिस धूलिया की रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद ही इस मामले पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। रिपोर्ट आने के बाद कोर्ट समिति की कार्यप्रणाली और संशोधित आदेश दोनों पर गौर करेगी।

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