लखनऊ में KGMU की नर्सिंग ऑफिसर से शादी का झांसा देकर ठगी की गई। आरोपी ने खुद को जज बताकर 59.50 लाख रुपये की ठगी की। पुलिस आरोपी अंशुमान विक्रम सिंह और उसके सहयोगी सीमांत अग्रवाल की तलाश कर रही है।
लखनऊ: राजधानी लखनऊ में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) की नर्सिंग ऑफिसर संगीता सिंह के साथ एक गंभीर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। आरोपी अंशुमान विक्रम सिंह ने खुद को सिविल जज बताकर महिला और उसके परिवार को अपने जाल में फंसा लिया। शादी का झांसा देकर उसने 59 लाख रुपये से अधिक की ठगी कर दी। पुलिस ने पीड़िता की तहरीर पर अंशुमान और उसके साथी सीमांत अग्रवाल के खिलाफ कानपुर के कर्नल गंज थाना में एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
शादी का झांसा देकर नर्सिंग ऑफिसर को फंसाया
फरवरी महीने में नर्सिंग ऑफिसर के पिता ने अपनी बेटी के लिए एक एड मैट्रिमोनियल साइट पर प्रोफाइल डाली थी। इसी दौरान अंशुमान विक्रम सिंह ने संपर्क किया और खुद को आजमगढ़ का सिविल जज (JD) बताकर रिश्ता पक्का किया। बातचीत के दौरान उसने पीड़िता के पिता को विश्वास में लेकर बेटी का नंबर ले लिया।
इसके बाद पीड़िता से आरोपी ने खुद को ACJ (JD) सीतापुर बताकर फोन पर लगातार संपर्क बनाए रखा। उसने शादी का झांसा देकर पीड़िता का विश्वास जीत लिया। रिश्ते को पक्का दिखाकर आरोपी ने धीरे-धीरे पीड़िता को अपने जाल में फंसाना शुरू किया।
महंगी गाड़ी का बहाना और 59 लाख की ठगी
आरोपी ने पीड़िता से कहा कि वह उसके नाम पर एक करोड़ रुपये की महंगी गाड़ी दिलाएगा और पैसे कुछ दिन में वापस कर देगा। इसके चलते पीड़िता ने बैंक में मौजूद अपने 14 लाख रुपये निकाल दिए। इसके अलावा आरोपी ने सहयोगी सीमांत अग्रवाल के जरिए पीड़िता का लोन कराया, जिससे पीड़िता के खाते में अलग-अलग बैंकों से 44.54 लाख रुपये जमा हो गए।
कुल मिलाकर पीड़िता ने अपने खाते से और लोन के जरिए आए पैसों सहित 59.50 लाख रुपये आरोपी को दे दिए। पैसों को लेकर आरोपी ने पीड़िता को कानपुर बुलाया और बैग में रखे रुपये लेने के बाद फ़िल्म देखने का बहाना बनाया। इसके बाद वह स्वास्थ्य ठीक न होने का नाटक कर फरार हो गया।
पुलिस ने दर्ज की एफआईआर और शुरू की जांच
पीड़िता ने मामले की जानकारी देने के बाद कानपुर के कर्नल गंज थाना में अंशुमान विक्रम सिंह और सीमांत अग्रवाल के खिलाफ तहरीर दी। पुलिस ने उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 319(2), 318(4), 338, 336(3) और 340(2) के तहत एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
पुलिस ने बताया कि आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छानबीन तेज कर दी गई है। बैंक लेन-देन की पूरी जानकारी और मोबाइल कॉल रिकॉर्ड की जांच की जा रही है, ताकि ठगी में शामिल अन्य लोगों का भी पता लगाया जा सके।