कर्नाटक हाईकोर्ट ने सिद्धारमैया सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें निजी संगठनों को सरकारी संपत्ति या सार्वजनिक स्थानों पर कार्यक्रम करने से पहले अनुमति लेना अनिवार्य किया गया था। कोर्ट के फैसले से आरएसएस की शाखाओं पर लगी रोक हट गई है।
बेंगलुरु: कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार को मंगलवार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। धारवाड़ बेंच ने राज्य सरकार के उस विवादित आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें सरकारी संपत्ति या सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी निजी संगठन या संघ द्वारा कार्यक्रम आयोजित करने से पहले अनुमति लेना अनिवार्य किया गया था। अदालत ने इस आदेश को नागरिकों के मौलिक अधिकारों से जुड़ा मुद्दा बताते हुए अगली सुनवाई तक इसे स्थगित कर दिया है।
अदालत ने सरकारी आदेश पर लगाई रोक
18 अक्टूबर को कर्नाटक सरकार ने एक निर्देश जारी किया था कि कोई भी निजी संस्था, समूह या संगठन सरकारी भूमि, पार्क या सार्वजनिक स्थल का उपयोग करने से पहले तीन दिन पूर्व प्रशासन से अनुमति लेगा। इस आदेश को लेकर राज्य में व्यापक असंतोष फैल गया था, क्योंकि इसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों पर अप्रत्यक्ष रोक के रूप में देखा जा रहा था।
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने कहा कि सरकार का आदेश नागरिकों के एकत्रित होने और संगठनों के गठन के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन करता है। न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 13(2) के तहत किसी भी सरकारी कार्रवाई से मौलिक अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता।
याचिकाकर्ता ने आदेश को बताया स्वतंत्रता पर रोक

इस आदेश को पुनश्चेतन सेवा संस्था नामक संगठन ने अदालत में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक हरनहल्ली ने दलील दी कि सरकार का यह निर्णय नागरिकों की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगाने जैसा है।
उन्होंने कहा कि आदेश में 10 से अधिक लोगों के एकत्र होने के लिए भी अनुमति अनिवार्य कर दी गई है, जिससे किसी सार्वजनिक पार्क में योग, प्रार्थना या सांस्कृतिक कार्यक्रम भी कानूनी जटिलता में आ जाएगा। अदालत ने इन तर्कों को स्वीकार करते हुए सरकार के आदेश पर फिलहाल रोक लगाने का फैसला सुनाया और 17 नवंबर को अगली सुनवाई की तारीख तय की।
विहिप ने फैसले को बताया सत्य की जीत
सरकारी आदेश पर रोक के बाद विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और आरएसएस से जुड़े संगठनों ने इसे “सत्य की जीत” बताया। विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि सिद्धारमैया सरकार ने आरएसएस विरोध में संविधान विरोधी कदम उठाए थे, जिसे अदालत ने निरस्त कर दिया।
बंसल ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “आरएसएस से नफरत में कांग्रेस सरकार तुगलकी फरमान जारी कर रही थी। अब न्यायपालिका ने लोकतंत्र की रक्षा की है।” उन्होंने सवाल किया कि क्या अब लोग पार्कों में योग, ध्यान या देशभक्ति गीत भी नहीं गा सकते?













