ईरान में असंतोष के बीच रजा शाह पहलवी ने दावा किया कि उन्होंने एक सीक्रेट डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया है, जिससे ईरानी सेना के अधिकारी संपर्क कर रहे हैं। उनका लक्ष्य खामेनेई सरकार को हटाकर लोकतंत्र स्थापित करना है।
Iran: ईरान में राजनीतिक अस्थिरता और सत्ता के खिलाफ बढ़ते असंतोष के बीच पूर्व शासक के बेटे रजा शाह पहलवी के हालिया दावों ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। पहलवी ने दावा किया है कि उन्होंने एक सीक्रेट डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार किया है, जिसके माध्यम से ईरानी सेना और सरकार से जुड़े अधिकारी उनसे लगातार संपर्क कर रहे हैं। उनका उद्देश्य है- वर्तमान शासन को उखाड़ फेंकना और ईरान को लोकतांत्रिक व्यवस्था की ओर ले जाना।
सीक्रेट प्लेटफॉर्म का नेटवर्क और विस्तार
पहलवी ने अपने बयान में कहा कि इस डिजिटल नेटवर्क से हर हफ्ते नए लोग जुड़ रहे हैं। वे इस डेटा का विश्लेषण कर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि संपर्क करने वाले लोग वास्तविक और ईरान की सत्ता व्यवस्था में सक्रिय हैं। उनके अनुसार, यह प्रयास पूरी तरह से अहिंसक और संगठित आंदोलन के रूप में चलाया जा रहा है, जिसमें सैन्य और प्रशासनिक समर्थन भी शामिल है।
म्यूनिख सम्मेलन से मिली नई ऊर्जा
हाल ही में 26 जुलाई 2025 को जर्मनी के म्यूनिख शहर में नेशनल कोऑपरेशन कन्वेंशन नामक एक बड़ा सम्मेलन आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में ईरान के कई विपक्षी नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, कलाकार और खिलाड़ी शामिल हुए। इसे 1979 की ईरानी क्रांति के बाद सबसे बड़े विपक्षी सम्मेलन के रूप में देखा जा रहा है। इस आयोजन को रजा पहलवी के नेतृत्व वाले आंदोलन के लिए एक नई ताकत के रूप में देखा जा रहा है।
पहलवी पर सवाल भी उठे
जहां एक ओर रजा शाह पहलवी को ईरानी शासन के विरोध में एक मजबूत चेहरा माना जा रहा है, वहीं कुछ आलोचक उन्हें लेकर सवाल भी उठा रहे हैं। आलोचकों का मानना है कि पहलवी ने अब तक विभिन्न विपक्षी गुटों को एक मंच पर लाने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए हैं। इसके अलावा, उनके शाही पृष्ठभूमि के कारण कुछ लोग उन्हें लोकतंत्र की राह में रुकावट मानते हैं। हालांकि, पहलवी का दावा है कि पचास हजार से अधिक लोग उनके साथ हैं। इस दावे की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हो सकी है।
ईरान में इससे पहले भी सरकार और सुप्रीम लीडर खामेनेई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं। वर्ष 2022 में महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में मौत के बाद हिजाब विरोधी प्रदर्शन हुए थे। इन प्रदर्शनों में कई शहरों में हिंसा भड़क उठी थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इन घटनाओं में कम से कम 26 लोगों की जान गई थी, जबकि स्वतंत्र स्रोतों ने 40 से अधिक मौतों का दावा किया था।