महाराष्ट्र की महायुति सरकार की लाडकी बहिन योजना में 164 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया। उद्धव गुट के विधायक आदित्य ठाकरे ने इसे राजनीतिक आशीर्वाद और सरकारी मशीनरी के बिना असंभव करार दिया और योजना की तीखी आलोचना की।
मुंबई: महाराष्ट्र में महायुति सरकार की लाडकी बहिन योजना अब विवादों में घिरी हुई है। योजना में 164 करोड़ रुपये का बड़ा घोटाला उजागर होने के बाद शिवसेना उद्धव गुट के विधायक आदित्य ठाकरे ने सरकार की आलोचना की है। आदित्य ठाकरे ने ट्वीट कर कहा कि यह घोटाला सरकारी मशीनरी और राजनीतिक आशीर्वाद के बिना संभव नहीं था।
उन्होंने लिखा, "लाडकी बहिन योजना का लाभ उठाकर फर्जी लाभार्थियों द्वारा 164 करोड़ रुपये की हेराफेरी हुई है। क्या यह बिना सरकार के आशीर्वाद के संभव हो सकता है? योजनाओं के नाम पर जनता का पैसा बर्बाद करना और सरकारी खजाना खाली करना बीजेपी-मिंधे की पुरानी चाल है।"
किसानों को लेकर सरकार को घेरा
आदित्य ठाकरे ने अपने ट्वीट में किसानों की स्थिति पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि दिवाली के समय हमारे किसान भाई और बलिराजा बिना मदद के अंधेरे में रह गए। भारी बारिश से प्रभावित किसानों को दिवाली से पहले सहायता देने का वादा केवल कागज़ों तक सीमित रहा। आदित्य ने चेतावनी दी कि जनता सब देख रही है और इसका हिसाब मांगेंगी।
लाडकी बहिन योजना में घोटाले का तरीका

सूचना के अधिकार के माध्यम से मिली जानकारी के अनुसार, लाडकी बहिन योजना में 12,431 पुरुषों ने 13 महीनों तक डेढ़-डेढ़ हजार रुपये की रकम हासिल की। महिला एवं बाल विकास विभाग ने जांच में पाया कि 77,980 महिलाओं को अयोग्य घोषित कर दिया गया, जबकि 12,000 फर्जी पुरुष लाभार्थियों के खातों में 24 करोड़ रुपये और अपात्र बहनों के खातों में 140 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए।
इस घोटाले की जांच में यह सामने आया कि योजना के लाभार्थियों की पहचान और सत्यापन में भारी चूक हुई। अधिकारियों का कहना है कि फर्जी लाभार्थियों ने सरकारी खातों का इस्तेमाल कर योजना का गलत लाभ उठाया।
राजनीतिक संरक्षण पर उठता सवाल
आदित्य ठाकरे का आरोप है कि इस घोटाले में राजनीतिक संरक्षण और सरकारी समर्थन के बिना इस प्रकार की धोखाधड़ी संभव नहीं थी। उनका कहना है कि योजना का वास्तविक लाभ जनता तक नहीं पहुंचा, बल्कि केवल कुछ फर्जी लाभार्थियों और संबंधित अधिकारियों तक सीमित रहा।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को उजागर करता है। ऐसे घोटालों से जनता का विश्वास प्रभावित होता है और सरकारी खजाने में भी भारी नुकसान होता है।













