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लेंस पहनने से आंखों में जलन और इंफेक्शन का खतरा! जानिए कॉन्टैक्ट लेंस से जुड़ा खतरा

लेंस पहनने से आंखों में जलन और इंफेक्शन का खतरा! जानिए कॉन्टैक्ट लेंस से जुड़ा खतरा

देश के कई इलाकों में AQI 200 पार होने और PM2.5 स्तर बढ़ने से डॉक्टरों ने कॉन्टैक्ट लेंस पहनने से बचने की सलाह दी है। प्रदूषण में मौजूद सूक्ष्म कण आंखों की सतह पर चिपककर जलन, सूजन और संक्रमण का कारण बनते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि लेंस की जगह चश्मा पहनना और आंखों को बार-बार धोना बेहतर है।

Air Pollution impact on eyes: देश के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 200 से ऊपर पहुंच गया है, जिससे प्रदूषण का असर आंखों पर बढ़ने लगा है। एम्स और दिल्ली आई सेंटर के डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि जिन क्षेत्रों में PM2.5 स्तर 100 से अधिक है, वहां कॉन्टैक्ट लेंस पहनना आंखों के लिए खतरनाक हो सकता है। प्रदूषण में मौजूद नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और धूल के बारीक कण लेंस पर चिपककर जलन, खुजली, सूजन और संक्रमण का खतरा बढ़ाते हैं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि बाहर निकलते समय चश्मा पहनें, लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप्स का उपयोग करें और आंखों को नियमित रूप से धोएं।

पीएम 2.5 कणों से आंखों को कैसे होता है नुकसान

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हवा में मौजूद पीएम 2.5 का स्तर 100 से कम होना चाहिए। लेकिन देश के कई इलाकों में यह 150 से 250 तक पहुंच चुका है। पीएम 2.5 दरअसल बहुत ही छोटे कण होते हैं, जो बाल से भी कई गुना पतले होते हैं। इनमें सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन के सूक्ष्म तत्व होते हैं। जब ये हवा में मौजूद होते हैं, तो सांस के साथ शरीर में और हवा के संपर्क से आंखों में पहुंच जाते हैं।

डॉक्टरों का कहना है कि ये कण आंखों की नमी के साथ मिलकर जलन, खुजली और सूजन जैसी दिक्कतें पैदा करते हैं। खासकर उन लोगों को ज्यादा दिक्कत होती है जो कॉन्टैक्ट लेंस पहनते हैं।

एम्स के डॉक्टर बोले – 50% बढ़े आंखों के मरीज

एम्स के आरपी सेंटर में नेत्र रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजेश सिन्हा ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में आंखों से जुड़ी शिकायतें काफी बढ़ गई हैं। उनके अनुसार, जलन, सूखापन और आंखों में पानी आने की शिकायत वाले मरीजों की संख्या लगभग 50 प्रतिशत बढ़ी है।

उन्होंने कहा कि प्रदूषण के दौरान हवा में मौजूद सूक्ष्म कण आंखों में प्रवेश कर जाते हैं। इससे आंखों में किरकिरापन महसूस होता है और कॉर्निया को नुकसान पहुंच सकता है। कई मरीजों को ऐसा लगता है जैसे आंख में कोई रेत का कण चला गया हो। यह असल में प्रदूषण के छोटे कण होते हैं, जो आंखों की सतह पर चिपक जाते हैं।

कॉन्टैक्ट लेंस पहनने वालों को ज्यादा खतरा

दिल्ली आई सेंटर के चेयरमैन और प्रमुख नेत्र विशेषज्ञ डॉ. हरबंश लाल बताते हैं कि कॉन्टैक्ट लेंस पहनने वाले लोगों के लिए यह समय बेहद जोखिम भरा है। उन्होंने कहा कि लेंस आंख के कॉर्निया पर सीधे चिपकता है। जब व्यक्ति बाहर प्रदूषित हवा में जाता है, तो हवा में मौजूद पीएम 2.5 जैसे छोटे कण लेंस पर चिपक जाते हैं।

यह कण धीरे-धीरे आंख की सतह को नुकसान पहुंचाने लगते हैं। इससे आंखें सूखने लगती हैं, खुजली बढ़ जाती है और कई बार कॉर्नियल इंफ्लेमेशन यानी सूजन भी हो सकती है। लंबे समय तक लेंस पहने रहने पर संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, जो आंखों में घाव तक बना सकता है।

बढ़ते एक्यूआई के बीच डॉक्टरों की सख्त चेतावनी

विशेषज्ञों का कहना है कि जिन इलाकों में एक्यूआई 200 से अधिक और पीएम 2.5 का स्तर 100 से ज्यादा है, वहां कॉन्टैक्ट लेंस पहनने से बचना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति लेंस पहनता भी है, तो उसे लंबे समय तक बाहर रहने से बचना चाहिए।

डॉ. हरबंश लाल कहते हैं कि ऑफिस या घर के अंदर लेंस पहनना ठीक है, लेकिन खुले वातावरण में जहां धूल और प्रदूषण ज्यादा हो, वहां यह आंखों के लिए खतरा बन सकता है। प्रदूषण के संपर्क में आने से लेंस पर गंदगी और रासायनिक तत्व चिपक जाते हैं, जिससे आंखों में सूजन और संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

आंखों की सुरक्षा के लिए क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ

नेत्र रोग विशेषज्ञों का कहना है कि इस मौसम में आंखों की सुरक्षा बेहद जरूरी है। बाहर निकलते समय चश्मा पहनना चाहिए ताकि धूल और प्रदूषण सीधे आंखों तक न पहुंचे। इसके अलावा आंखों को दिन में कई बार ठंडे पानी से धोना चाहिए।

डॉ. लाल के अनुसार, प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल फायदेमंद है। इससे आंखों की नमी बनी रहती है और सूखापन कम होता है। अगर आंखों में जलन या खुजली हो, तो उन्हें मलना नहीं चाहिए क्योंकि इससे स्थिति और बिगड़ सकती है।

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