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मैसूर दशहरा 2025: बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक करेंगी उद्घाटन, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की विरोध वाली याचिका

मैसूर दशहरा 2025: बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक करेंगी उद्घाटन, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की विरोध वाली याचिका

कर्नाटक में आयोजित होने वाले मैसूर दशहरा 2025 का उद्घाटन इस साल बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका बानू मुश्ताक करेंगी। इस फैसले के खिलाफ दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया। 

बेंगलुरु: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका बानू मुश्ताक को इस साल के मैसूर दशहरा समारोह का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किए जाने का विरोध किया गया था।  सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि भारत का संविधान धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर आधारित है और राज्य सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रम किसी निजी संस्था के आयोजन के समान नहीं हैं। 

याचिकाकर्ता का तर्क था कि मैसूर दशहरा केवल सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि हिंदू धार्मिक परंपराओं और आस्थाओं से जुड़ा पवित्र अनुष्ठान है, जिसमें वैदिक मंत्रोच्चार और चामुंडेश्वरी देवी की पूजा की जाती है। ऐसे में बानू मुश्ताक जैसे मुस्लिम महिला को उद्घाटन के लिए बुलाना परंपरा और धार्मिक भावनाओं के विरुद्ध है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों किया विरोध खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भारत का संविधान धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर आधारित है। राज्य सरकार द्वारा आयोजित मैसूर दशहरा जैसे सार्वजनिक कार्यक्रम किसी निजी आयोजन के रूप में नहीं हैं। अदालत ने यह भी कहा कि किसी धर्म विशेष के आधार पर भेदभाव करना न्यायसंगत नहीं है। याचिकाकर्ता का तर्क था कि मैसूर दशहरा केवल सांस्कृतिक उत्सव नहीं बल्कि हिंदू धार्मिक परंपराओं से जुड़ा पवित्र अनुष्ठान है। इसकी शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चार और देवी चामुंडेश्वरी की पूजा से होती है। ऐसे में किसी मुस्लिम महिला को उद्घाटन के लिए आमंत्रित करना परंपरा और धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि 2017 में भी प्रसिद्ध मुस्लिम कवि निसार अहमद ने मैसूर दशहरा का उद्घाटन किया था। अदालत ने स्पष्ट किया कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है और किसी धर्म विशेष के आधार पर भेदभाव करना उचित नहीं है।

हाईकोर्ट का निर्णय

कर्नाटक हाईकोर्ट की बेंच, जिसमें मुख्य न्यायाधीश विभू बाखरू और जस्टिस सीएम जोशी शामिल थे, ने 15 सितंबर को कहा था कि किसी के अधिकार का उल्लंघन नहीं हुआ है। कोर्ट ने यह भी कहा कि विजयादशमी का त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है और यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि बानू मुश्ताक ने हिंदू विरोधी बयान दिए हैं और कन्नड़ भाषा के खिलाफ टिप्पणी की है। इसके बावजूद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए यह स्पष्ट किया कि मैसूर दशहरा किसी विशेष धर्म का कार्यक्रम नहीं, बल्कि क्षेत्रीय और सांस्कृतिक उत्सव है।

बानू मुश्ताक एक बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका हैं और उन्होंने साहित्यिक क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है। उन्हें मैसूर दशहरा 2025 के उद्घाटन के लिए आमंत्रित करना इस बात का प्रतीक है कि यह त्योहार सांस्कृतिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का उत्सव है। मैसूर दशहरा में पारंपरिक रूप से देवी चामुंडेश्वरी को फूल चढ़ाए जाते हैं और रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। 

इस वर्ष बानू मुश्ताक उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेंगी। राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह धार्मिक कार्यक्रम नहीं बल्कि सांस्कृतिक उत्सव है, जो पूरे क्षेत्र और राज्य के लोगों के लिए समर्पित है।

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