महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण पर बॉम्बे हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने खुद को सुनवाई से अलग किया। याचिकाओं में मराठा समुदाय को कुंबी जाति प्रमाण पत्र देने के फैसले को चुनौती दी गई है। मामला मुख्य न्यायाधीश की बेंच को भेजा गया।
Mumbai: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। यह फैसले उन याचिकाओं से जुड़ा है जिनमें मराठा समुदाय के सदस्यों को आरक्षण के लिए कुंबी जाति प्रमाण पत्र (Caste Certificate) जारी करने का आदेश दिया गया था।
ओबीसी (Other Backward Classes) समुदाय के सदस्यों ने इस निर्णय का विरोध करते हुए याचिकाएं दायर की हैं। उनका कहना है कि मराठा समुदाय को कुंबी जाति प्रमाण पत्र देने से ओबीसी समुदाय के अधिकार प्रभावित होंगे।
बेंच ने बिना कारण बताए किया अलग
सोमवार को न्यायाधीश रेवती मोहिते डेर और संदीप पाटिल की बेंच के समक्ष यह मामले सुनवाई के लिए पेश हुए। हालांकि जस्टिस संदीप पाटिल ने स्पष्ट किया कि वे इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकते। इसके बाद बेंच ने बिना किसी कारण बताए खुद को सुनवाई से अलग कर लिया। अब यह मामला मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंकड़ की बेंच के समक्ष विचार के लिए रखा जाएगा।
याचिकाकर्ता और उनके दावे
ये याचिकाएं कुंबी सेना, महाराष्ट्र माली समाज महासंघ, अहिर सुवर्णकार समाज संस्था, सदानंद मंडलिक और महाराष्ट्र नाभिक महामंडल द्वारा दायर की गई हैं। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि सरकार का निर्णय मनमाना (arbitrary), असंवैधानिक और कानून के खिलाफ है। उनका कहना है कि मराठा समुदाय को कुंबी जाति प्रमाण पत्र जारी करना न्याय और नियमों के विपरीत है।
कुंबी सेना ने याचिका में कहा कि सरकार के निर्णय ने कुंबी, कुंबी मराठा और मराठा कुंबी जातियों के प्रमाण पत्र जारी करने के आधार और मानदंडों को बदल दिया है। इससे प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया जटिल और अस्पष्ट हो गई है।
सरकार के निर्णय को बताया जटिल
याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि यह निर्णय अस्पष्ट है और इससे पूरी प्रक्रिया में अराजकता (chaos) फैल सकती है। ओबीसी से मराठा समुदाय को जाति प्रमाण पत्र देने का यह तरीका जटिल और असमान है।
सरकार का यह निर्णय तब आया जब कोटा कार्यकर्ता मनोज जारंगे ने 29 अगस्त से दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में पांच दिन भूख हड़ताल की। उनका मुख्य उद्देश्य मराठा समुदाय के लिए आरक्षण सुनिश्चित करना था।
संकल्प (GR) के तहत समिति का गठन
दो सितंबर को महाराष्ट्र सरकार ने हैदराबाद गजेटियर में एक संकल्प (Government Resolution - GR) जारी किया। इसमें मराठा समुदाय के उन सदस्यों के लिए कुंबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए समिति बनाने की घोषणा की गई, जो प्रमाणित दस्तावेज (documentary evidence) प्रस्तुत कर सकते हैं कि उन्हें अतीत में कुंबी के रूप में मान्यता दी गई थी।
समिति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल योग्य और प्रमाणित मराठा समुदाय के सदस्य ही कुंबी जाति प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकें। इससे आरक्षण के नियमों का पालन होगा और ओबीसी समुदाय के अधिकार सुरक्षित रहेंगे।