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मेहसाणा से अयोध्या तक 1338 किमी पैदल यात्रा, जयंतीलाल ने 1990 में लिया था संकल्प

मेहसाणा से अयोध्या तक 1338 किमी पैदल यात्रा, जयंतीलाल ने 1990 में लिया था संकल्प

गुजरात के 73 वर्षीय जयंतीलाल पटेल ने भगवान राम के प्रति अपनी अटूट भक्ति दिखाते हुए 1338 किमी पैदल चलकर मेहसाणा से अयोध्या की यात्रा पूरी की। उन्होंने 34 साल बाद अपने 1990 के संकल्प को पूरा किया।

अयोध्या: गुजरात के मेहसाणा जिले के 73 वर्षीय जयंतीलाल हरजीवनदास पटेल ने वो कर दिखाया, जो बहुतों के लिए असंभव लगता है। उन्होंने भगवान राम के प्रति अपनी अटूट श्रद्धा और 34 साल पुराने संकल्प को निभाने के लिए 1,338 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा पूरी की। 40 दिन की यह यात्रा उन्होंने मेहसाणा के मोदीपुर गांव से शुरू की थी और अब वे अयोध्या में रामलला के दर्शन कर अपने जीवन का लक्ष्य पूरा कर चुके हैं।

34 साल बाद पूरा हुआ आस्था का संकल्प

जयंतीलाल पटेल ने वर्ष 1990 में लालकृष्ण आडवाणी की सोमनाथ-अयोध्या रथ यात्रा में भाग लिया था। उसी दौरान उन्होंने संकल्प लिया था कि वे पैदल अयोध्या पहुंचकर रामलला के दर्शन करेंगे।

समय के साथ उम्र बढ़ी, पर उनकी आस्था और निष्ठा अटल रही। 73 वर्ष की आयु में उन्होंने यह कठिन यात्रा शुरू की और हर दिन 33 से 35 किलोमीटर पैदल चलकर अयोध्या पहुंचे। यह यात्रा न केवल धार्मिक समर्पण का प्रतीक है, बल्कि देशभर में भक्ति और संकल्प की मिसाल बन गई है।

आस्था के सहारे पूरी की लंबी पदयात्रा

पटेल ने अपनी यात्रा 30 अगस्त को शुरू की थी। उन्होंने रास्ते में मंदिरों, सार्वजनिक पार्कों और धर्मशालाओं में रुककर विश्राम किया। परिवार और रिश्तेदार लगातार फोन पर उनके अगले पड़ाव की जानकारी साझा करते रहे, ताकि उनकी यात्रा सुरक्षित और व्यवस्थित ढंग से आगे बढ़ सके।

उनका कहना है कि उन्होंने यह यात्रा पूरी तरह आस्था और आत्मबल के सहारे की। कई जगह स्थानीय लोगों ने उन्हें भोजन, पानी और रात्रि विश्राम की सुविधा दी, जिसे वे भगवान राम का आशीर्वाद मानते हैं।

अयोध्या पहुंचकर किए रामलला के दर्शन

अयोध्या पहुंचने पर जयंतीलाल पटेल ने सबसे पहले श्री राम जन्मभूमि परिसर में जाकर दर्शन किए। उन्होंने वहां रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद बने नए मंदिर के दर्शन कर 34 साल पुराने संकल्प को पूरा किया।

यात्रा पूरी करने के बाद वे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय से भी मिले। उन्होंने कहा कि यह यात्रा उनके लिए केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि “जीवन का अधूरा सपना पूरा होने जैसा” अनुभव था।

73 की उम्र में पूरी की आस्था यात्रा

इतनी लंबी दूरी पैदल तय करना किसी युवा के लिए भी आसान नहीं, लेकिन 73 वर्षीय जयंतीलाल ने अनुशासन, श्रद्धा और दृढ़ संकल्प से यह सफर पूरा किया। उन्होंने बताया कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद उन्हें लगा कि अब अपने संकल्प को पूरा करने का सही समय आ गया है।

उनकी यात्रा से प्रेरित होकर कई लोग अब अयोध्या पदयात्रा करने की तैयारी कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी जयंतीलाल की कहानी व्यापक रूप से साझा की जा रही है।

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