Meta ने अपने AI डिवीजन का पुनर्गठन करते हुए 'Meta Superintelligence Labs' शुरू किया है। इसका नेतृत्व Alexander Wang करेंगे और इसका उद्देश्य सुपरइंटेलिजेंस आधारित AI तकनीक विकसित करना है।
Meta: दुनिया भर की टेक कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की अगली क्रांति में एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में हैं। अब इस दौड़ में मेटा (Meta) ने भी बड़ा दांव खेला है। कंपनी के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने Meta के एआई डिवीजन को पूरी तरह पुनर्गठित करते हुए एक नई यूनिट — Meta Superintelligence Labs (MSL) — की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य है: सुपरइंटेलिजेंस जैसी शक्तिशाली एआई टेक्नोलॉजी का विकास, जो आने वाले वर्षों में मानव जीवन के हर क्षेत्र को बदल सकती है।
क्या है Meta Superintelligence Labs?
Meta Superintelligence Labs (MSL) दरअसल मेटा की नई एआई रिसर्च यूनिट है, जिसे कंपनी के मौजूदा एआई डिवीजन को नया आकार देकर स्थापित किया गया है। यह टीम अब कंपनी के लिए अगली पीढ़ी के बड़े भाषा मॉडल्स (LLMs), मल्टीमॉडल AI और सुपरइंटेलिजेंस सिस्टम विकसित करने पर फोकस करेगी।
इस यूनिट का नेतृत्व कर रहे हैं Alexander Wang, जो पूर्व में Scale AI के संस्थापक और सीईओ रह चुके हैं। उनके साथ साझेदारी में काम कर रहे हैं Nat Friedman, जो GitHub के पूर्व सीईओ हैं।
जुकरबर्ग ने Wang को 'अपनी पीढ़ी का सबसे प्रभावशाली संस्थापक' बताया और साफ कर दिया कि मेटा अब सिर्फ सोशल मीडिया की कंपनी नहीं, बल्कि एआई के फ्रंटियर पर सबसे आगे रहने वाली टेक दिग्गज बनने की राह पर है।
टॉप टैलेंट की सुपर टीम तैयार
Meta ने MSL के लिए एआई इंडस्ट्री के सबसे टॉप टैलेंट को अपनी टीम में शामिल किया है। ये सभी नए सदस्य पहले OpenAI, Google DeepMind, Anthropic जैसी कंपनियों में AI मॉडल्स के निर्माण में अहम भूमिका निभा चुके हैं।
कुछ प्रमुख नाम और योगदान:
- ट्रैपिट बंसल: ओपनएआई के O-सीरीज मॉडल के सह-निर्माता।
- शुचाओ बी: GPT-4o के वॉयस मोड के प्रमुख डेवेलपर।
- हुइवेन चांग: GPT-4o की इमेज जेनरेशन तकनीक के सह-निर्माता।
- जैक रे: DeepMind के Gemini और Gopher मॉडल्स के ट्रेनिंग लीडर।
- शेंगजिया झाओ: GPT-4 और मिनी मॉडल्स के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाई।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इनमें से अधिकतर इंजीनियरों को आठ अंकों (मल्टी-मिलियन डॉलर) की सैलरी पर हायर किया गया है, जो मेटा की इस मिशन में प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
क्यों ज़रूरी है Superintelligence?
मार्क जुकरबर्ग का मानना है कि अब हम AI के अगले चरण में प्रवेश कर चुके हैं, जहां एआई न सिर्फ इंसानों की नकल करेगा, बल्कि खुद सोचने, निर्णय लेने और नवाचार करने में सक्षम होगा — यानि सुपरइंटेलिजेंस।
MSL का उद्देश्य सिर्फ एक नया चैटबॉट बनाना नहीं है, बल्कि ऐसा एआई इंजन तैयार करना है जो किसी भी कार्य को इंसानों से अधिक प्रभावी ढंग से कर सके। इसमें साइंटिफिक रिसर्च, हेल्थकेयर, कोडिंग, डिजाइन, और जटिल तर्कशक्ति वाले कार्य शामिल हैं।
एआई वॉर में Meta का अगला कदम
OpenAI का GPT-4o, Google का Gemini और Anthropic का Claude जैसे AI मॉडल पहले से बाजार में धूम मचा रहे हैं। ऐसे में Meta की यह नई पहल सीधे तौर पर इन दिग्गजों को टक्कर देने की दिशा में उठाया गया कदम है।
Meta पहले से LLaMA जैसे ओपन-सोर्स एआई मॉडल पर काम कर रहा है, लेकिन अब MSL के ज़रिए कंपनी क्लोज-सोर्स, कमर्शियल और एडवांस्ड एआई सिस्टम्स की दिशा में भी गंभीरता से काम करेगी।
भारत और दुनिया के यूज़र्स पर असर
MSL में हो रहे रिसर्च का प्रभाव कुछ महीनों में Meta के प्रोडक्ट्स में दिखने लगेगा:
- Instagram, Facebook, WhatsApp जैसे प्लेटफॉर्म्स पर ज़्यादा इंटेलिजेंट AI फीचर्स देखने को मिल सकते हैं — जैसे पर्सनलाइज्ड कंटेंट, स्मार्ट रिप्लाई, इमेज-टू-वीडियो कन्वर्ज़न।
- मेटा के AR/VR प्लेटफॉर्म्स, जैसे Quest और Horizon, में सुपरइंटेलिजेंस बेस्ड AI इंटरैक्शन शामिल हो सकते हैं।
- बिज़नेस टूल्स, जैसे Meta Ads और Insights, अब AI की मदद से बेहद परिष्कृत एनालिटिक्स दे सकते हैं।
चुनौतियाँ भी हैं
हालांकि मेटा की यह पहल क्रांतिकारी है, लेकिन इसके साथ कई चुनौतियाँ भी हैं:
- नैतिकता और नियंत्रण: सुपरइंटेलिजेंस एआई के साथ जवाबदेही और पारदर्शिता पर सवाल खड़े होंगे।
- प्राइवेसी जोखिम: अधिक डेटा-सेंसेटिव AI मॉडल्स, यूज़र्स की निजी जानकारी के दुरुपयोग का खतरा बढ़ा सकते हैं।
- कॉम्पिटिशन व लॉबिंग: अन्य कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा में कानूनी और तकनीकी चुनौतियाँ भी उभर सकती हैं।