तेजा सज्जा एक बार फिर बड़े पर्दे पर लौटे हैं और इस बार वे अपने नए प्रोजेक्ट ‘मिराई’ के साथ दर्शकों का ध्यान खींच रहे हैं। फिल्म में भव्य दृश्य, रोमांचक एक्शन, गहरी आध्यात्मिकता और भारतीय पौराणिक कथाओं का बेहतरीन समावेश देखने को मिलता है।
- फिल्म रिव्यू: मिराई
- स्टार रेटिंग: 3.5/5
- पर्दे पर: 12 सितंबर 2025
- डायरेक्टर: कार्तिक गट्टामनेनी
- शैली: माइथोलॉजिकल फैंटेसी
एंटरटेनमेंट: फिल्में सिर्फ कहानियाँ नहीं होतीं, वे एक ऐसा अनुभव देती हैं जो दर्शकों को भावनात्मक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्तर तक छू जाता है। निर्देशक कार्तिक गट्टामनेनी की फिल्म ‘मिराई’ भी ऐसी ही एक सिनेमाई कृति है, जो पौराणिक कथाओं, फैंटेसी और आधुनिक विज्ञान को मिलाकर एक ऐसी दुनिया रचती है जो कल्पना से भी आगे की प्रतीत होती है।
यह फिल्म 12 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। अगर आप रिलीज से पहले जानना चाहते हैं कि यह फिल्म देखने लायक है या नहीं, तो यह रिव्यू आपके लिए है।
कहानी: पौराणिकता और विज्ञान का अनोखा मेल
‘मिराई’ की कहानी एक काल्पनिक लेकिन गहराई से भारतीय परंपरा में रची-बसी दुनिया में घटित होती है। कथा की शुरुआत सम्राट अशोक से होती है, जो युद्धप्रिय राजा से शांति की ओर अग्रसर होते हैं और अपनी दिव्य शक्तियों को नौ महाग्रंथों में विभाजित कर सुरक्षित कर देते हैं। ये ग्रंथ नौ अलग-अलग योद्धाओं के पास पीढ़ियों से संरक्षित हैं।
दूसरी तरफ महाबीर लामा (मनोज मांचू) नामक काला जादूगर इन ग्रंथों को हासिल कर अमरता और भगवान बनने की चाह में अधर्म का मार्ग अपनाता है। उसे रोकने का दायित्व उठाती है अंबिका (श्रिया सरन), जो अपने बेटे वेदा (तेजा सज्जा) को बलिदान देकर दुनिया की रक्षा का संकल्प लेती है। वेदा की यात्रा एक साधारण युवक से लेकर भाग्य द्वारा चुने गए रक्षक तक की है। उसे नौवें महाग्रंथ की रक्षा करनी होती है और इसके लिए उसे महाबीर लामा जैसे खतरनाक विरोधी से भिड़ना पड़ता है।
‘मिराई’ नामक दिव्य अस्त्र, जो भगवान राम के काल में निर्मित हुआ था, इस कथा का केंद्र बिंदु बनता है। फिल्म एक्शन, फैंटेसी, और आध्यात्मिकता का ऐसा संगम प्रस्तुत करती है, जो भारतीय दर्शकों के साथ-साथ वैश्विक दर्शकों को भी आकर्षित कर सकती है।
तेजा सज्जा की परफॉर्मेंस: एक नई ऊर्जा
तेजा सज्जा ने वेदा के रूप में शानदार अभिनय किया है। ‘हनुमान’ के बाद वे और अधिक परिपक्व, संतुलित और प्रभावशाली दिखते हैं। वेदा का चरित्र साहस, मासूमियत और आत्मबल का प्रतीक है। तेजा की स्क्रीन पर उपस्थिति इतनी मजबूत है कि वे दर्शकों को कहानी से जोड़े रखते हैं। मनोज मांचू का महाबीर लामा के रूप में अभिनय प्रभावशाली है। उनका डरावना लुक, संवादों में गहराई, और रहस्यपूर्ण उपस्थिति फिल्म में तनाव और रोमांच बढ़ाती है।
श्रिया सरन ने अंबिका का किरदार निभाते हुए भावनात्मक मजबूती दिखाई है। एक माँ का त्याग और अपने बेटे को दुनिया की रक्षा के लिए समर्पित करना फिल्म का सबसे मार्मिक हिस्सा बन जाता है। जगपति बाबू, रितिका नायक और जयराम सुब्रमण्यम जैसे कलाकारों ने भी अपने किरदारों को विश्वसनीय बनाया है। राणा दग्गुबाती का कैमियो फिल्म में अतिरिक्त रोमांच और प्रत्याशा भर देता है।
तकनीकी उत्कृष्टता: VFX, सिनेमैटोग्राफी और संगीत
‘मिराई’ का सबसे बड़ा आकर्षण इसके भव्य दृश्य प्रभाव (VFX) और शानदार सिनेमैटोग्राफी हैं। रामजी डॉट और मुथु सुब्बैया की टीम ने एक काल्पनिक दुनिया को इतनी विश्वसनीयता से प्रस्तुत किया है कि हर दृश्य किसी चित्रकला जैसा प्रतीत होता है। ट्रेन का रोमांचक पीछा हो या देवताओं जैसा युद्ध दृश्य—हर फ्रेम शानदार है।
कार्तिक गट्टामनेनी की सिनेमैटोग्राफी पौराणिक भव्यता और आधुनिक विज्ञान के संतुलन का बेहतरीन उदाहरण है। कुछ दृश्य इतने प्रभावशाली हैं कि दर्शक उन्हें देखते रह जाएँ। एक्शन कोरियोग्राफर केचा खम्पाक्डी और उनकी टीम ने एक्शन को आवश्यकता अनुसार रखा है। फिल्म में कहीं भी अनावश्यक हिंसा नहीं है, लेकिन जब भी एक्शन आता है, दर्शकों का रोमांच चरम पर पहुँच जाता है।
गौरा हरि का बैकग्राउंड स्कोर युद्ध, तनाव और भावनात्मक दृश्यों में जान फूंकता है। वहीं, श्रीकर प्रसाद का संपादन फिल्म को निरंतर गति देता है, जिससे कहानी कहीं भी धीमी नहीं पड़ती। संवाद प्रेरक और प्रभावशाली हैं, खासकर वे जो धर्म, बलिदान और भगवान राम की महिमा पर आधारित हैं।
फर्स्ट हाफ बनाम सैकेंड हाफ: शुरुआत में अस्थिरता, अंत में जोश
फिल्म का पहला भाग कुछ जगहों पर अस्थिर लगता है। घटनाएँ तेजी से आगे बढ़ती हैं, जिससे दर्शकों को हर फ्रेम पर ध्यान देना पड़ता है। पहले हिस्से में कई पात्रों और घटनाओं को स्थापित करने के चलते फिल्म थोड़ी खिंचती है। हालाँकि इंटरवल के बाद कहानी नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ती है। सैकेंड हाफ में रोमांच, प्रेरणा, आध्यात्मिकता और भावनाओं का संतुलित मिश्रण मिलता है।
तेजा सज्जा का बार-बार गिरकर उठना और भगवान राम के नाम से ऊर्जा लेना दर्शकों में जोश भर देता है। क्लाइमैक्स एक धार्मिक उत्सव जैसा वातावरण निर्मित करता है, जो थिएटर में ‘जय श्री राम’ के जयकारों में बदल सकता है।