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मोहन भागवत के बयान पर उदित राज का हमला, बोले– 'RSS की भारतीयता सिर्फ 10% लोगों तक सीमित'

मोहन भागवत के बयान पर उदित राज का हमला, बोले– 'RSS की भारतीयता सिर्फ 10% लोगों तक सीमित'

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत द्वारा भारतीयता को वैश्विक समस्याओं का समाधान बताए जाने पर कांग्रेस नेता डॉ. उदित राज ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने मोहन भागवत के विचारों पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसी भारतीयता केवल समाज के 10 फीसदी लोगों तक सीमित है और इसमें शेष 90 फीसदी लोगों की भागीदारी नहीं दिखती।

उदित राज का आरोप

कांग्रेस नेता ने कहा कि भागवत की भारतीयता की परिभाषा समाज को जातियों में बांटने और नफरत की दीवार खड़ी करने वाली सोच से जुड़ी है। उन्होंने सवाल किया कि आज भी दलित और पिछड़े वर्ग के लोग बराबरी का जीवन क्यों नहीं जी पा रहे? उदित राज ने कहा कि "दलित आज भी घोड़ी पर नहीं चढ़ सकते, छूआछूत आज भी समाज में मौजूद है और यहां तक कि एक दलित राष्ट्रपति को भी मंदिरों में प्रवेश नहीं मिलता।"

उन्होंने यह भी कहा कि आज तक किसी भी बड़े कॉर्पोरेट घराने ने किसी दलित या पिछड़े व्यक्ति को नेतृत्व की भूमिका में जगह नहीं दी है। उदित राज का कहना है कि गरीबी, जातिवाद, धार्मिक विभाजन और सामाजिक असमानता जैसे मुद्दों पर गंभीर संवाद किए बिना भारतीयता की बात करना केवल दिखावा है।

विदेशों में बस रहे हैं भारतीय

उदित राज ने भारतीयता को लेकर एक बड़ा सवाल उठाया कि अगर भारत में सब कुछ आदर्श है तो फिर लोग देश छोड़कर क्यों जा रहे हैं? उन्होंने दावा किया कि अब तक 40 लाख से अधिक भारतीय अमेरिका में बस चुके हैं। "अगर भारतीय जीवन मूल्य और भारतीयता इतनी आकर्षक होती तो विदेशी नागरिक क्यों नहीं भारत में बसना चाहते?" उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि भागवत जैसे नेताओं की भारतीयता असल में उन 10-5 फीसदी लोगों के लिए है जो बाकी लोगों का शोषण करते हैं और उन्हें शूद्र बनाकर सेवा करवाते हैं।

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि भारत में जातिगत असमानता इतनी गहराई से जमी हुई है कि आम नागरिकों को बराबरी का जीवन जीना अब भी मुमकिन नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि जब तक समाज में समानता नहीं आएगी, तब तक भारतीयता की परिभाषा अधूरी ही रहेगी।

भागवत का बयान

गौरतलब है कि मंगलवार को दिल्ली में इग्नू और अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहा था कि भौतिकवाद के कारण पूरी दुनिया समस्याओं से जूझ रही है और अब समाधान के लिए भारत की ओर देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले दो हजार वर्षों में पश्चिमी विचारधाराओं ने लोगों के जीवन में स्थायी सुख और संतोष लाने की कोशिश की, लेकिन वे विफल रहीं।

भागवत का मानना है कि विज्ञान और आर्थिक प्रगति ने भले ही जीवन को आसान और सुविधाजनक बना दिया हो, लेकिन इससे दुखों का अंत नहीं हुआ। उन्होंने भारतीय जीवन मूल्यों और दर्शन को ही इन समस्याओं से निपटने का वास्तविक समाधान बताया और लोगों से इन्हें अपनाने की अपील की।

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