केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि NEP के तहत बच्चों की मातृभाषा में पढ़ाई, ड्रॉपआउट कम करना और जॉब क्रिएशन पर जोर दिया जाएगा, जिससे शिक्षा और रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे।
Education Conclave: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हाल ही में आयोजित एजुकेशन कॉन्क्लेव में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) के लागू होने के बाद शिक्षा क्षेत्र में आने वाले महत्वपूर्ण बदलावों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि NEP से न केवल बच्चों की पढ़ाई आसान होगी, बल्कि इससे उनकी मानसिक विकास और रोजगार के अवसरों पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा। इस नई शिक्षा नीति के जरिए बच्चों को स्कूली शिक्षा के बाद किसी तरह की उलझन या भटकाव का सामना नहीं करना पड़ेगा।
एजुकेशन सेक्टर की चुनौतियां और NEP की भूमिका
धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि भारत की शिक्षा प्रणाली लंबे समय से कई चुनौतियों से जूझ रही है। खासकर, ड्रॉपआउट रेट बहुत अधिक है। वर्तमान में लगभग 40 प्रतिशत छात्र स्कूल शिक्षा बीच में छोड़ देते हैं, जो कि एक बड़ी समस्या है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का मकसद केवल डिग्री हासिल करना नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे रोजगार के लिए तैयार करने वाली प्रणाली बनाना जरूरी है।
NEP इसी चुनौती का समाधान लेकर आई है। इसमें KG से लेकर 12वीं तक के छात्रों को न्यूनतम स्तर की समझ और योग्यता प्रदान करने पर जोर दिया गया है ताकि वे बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सकें।
अर्ली चाइल्डहुड केयर पर विशेष ध्यान
शिक्षा मंत्री ने कहा कि NEP में अब पहली बार ‘Early Childhood Care and Education’ (ECCE) को गंभीरता से लिया गया है। यह नीति मानती है कि बच्चों का मानसिक विकास लगभग छठी कक्षा तक पूरा हो जाता है, इसलिए शुरुआती वर्षों की शिक्षा बेहद महत्वपूर्ण है।
पहले भी बाल वाटिका और प्ले स्कूल हुआ करते थे, लेकिन अब तीन साल के बच्चों के लिए एक संगठित और समर्पित सिस्टम विकसित किया जा रहा है। यह कदम बच्चों की बुनियादी क्षमताओं को मजबूत करने में मदद करेगा, जिससे उनका समग्र विकास बेहतर होगा।
मातृभाषा में शिक्षा: बच्चों की बेहतर समझ के लिए
NEP का एक बड़ा बदलाव यह है कि शुरुआती कक्षाओं में पढ़ाई मातृभाषा में होगी। शिक्षा मंत्री ने बताया कि विशेषज्ञों की सलाह पर यह निर्णय लिया गया है कि बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाई से बुनियादी ज्ञान और अवधारणाओं को समझना आसान होगा।
कक्षा 1 से 5 तक बच्चे दो भाषाओं में पढ़ेंगे, जिसमें एक भाषा उनकी मातृभाषा होगी और दूसरी भाषा वे अपनी पसंद से चुन सकेंगे। इससे बच्चों का कॉन्फिडेंस बढ़ेगा और वे शिक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे।
ड्रॉपआउट कम करने के लिए नई रणनीतियां
धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि ड्रॉपआउट कम करना सरकार की प्राथमिकता है। NEP के तहत शिक्षा व्यवस्था को ऐसा बनाया जाएगा कि बच्चे अपने स्कूली जीवन के दौरान पढ़ाई में रुचि बनाये रखें।
जॉब क्रिएशन और स्किल डेवलपमेंट पर फोकस
शिक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि हमारी शिक्षा केवल डिग्री हासिल करने तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि यह युवाओं को जॉब क्रिएटर बनाने में मदद करे। NEP में स्किल डेवलपमेंट और रोजगार पर विशेष ध्यान दिया गया है।
यह नीति युवाओं को व्यवसाय शुरू करने, उद्यमिता सीखने और स्वरोजगार के अवसरों की ओर बढ़ने के लिए तैयार करेगी। इससे भारत में न केवल नौकरी पाने वालों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि नौकरी देने वालों की भी वृद्धि होगी।