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नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से दिया इस्तीफा

नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से दिया इस्तीफा

महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने देश के अगले उपराष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित होने के बाद गुरुवार को राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी बयान में इसकी पुष्टि की गई है।

नई दिल्ली: नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने गुरुवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई। राधाकृष्णन ने यह कदम देश के अगले उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित होने के बाद उठाया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है। आचार्य देवव्रत अपने वर्तमान कर्तव्यों के अलावा महाराष्ट्र का कार्यभार भी संभालेंगे।

उपराष्ट्रपति चुनाव में मिली 152 वोटों की बढ़त

सीपी राधाकृष्णन ने मंगलवार को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में राजग उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की। उन्हें कुल 452 वोट प्राप्त हुए, जबकि विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले। इस प्रकार राधाकृष्णन ने 152 मतों के अंतर से जीत हासिल की। इस जीत का ऐलान राज्यसभा के महासचिव पी सी मोदी द्वारा किया गया था।

राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदनों के निर्वाचक मंडल ने इस चुनाव में भाग लिया। राधाकृष्णन की जीत से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके गठबंधन ने विपक्ष को महत्वपूर्ण अंतर से हराया।

महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा

राष्ट्रपति भवन के बयान के अनुसार, देश का उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने के परिणामस्वरूप सीपी राधाकृष्णन ने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया।आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त करने के फैसले के बाद राज्य के प्रशासनिक कामकाज में कोई व्यवधान नहीं आएगा। वे अपने पहले के कर्तव्यों के साथ-साथ महाराष्ट्र के राज्यपाल का कार्यभार भी संभालेंगे।

महाराष्ट्र राज्यपाल के रूप में राधाकृष्णन का कार्यकाल सुचारू रूप से चला और उन्होंने राज्य के प्रशासनिक और संवैधानिक मामलों में संतुलित भूमिका निभाई। उनका नेतृत्व कई राज्यों और केंद्र के बीच समन्वय के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहा। सीपी राधाकृष्णन का नाम भारतीय राजनीति में स्थिर और सम्मानित स्थान रखता है। उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में राज्य के संवैधानिक और सामाजिक मामलों में सक्रिय भूमिका निभाई।

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