जर्मनी की दो बार की ओलम्पिक स्वर्ण पदक विजेता और बहु-विजेता बायाथलॉन स्टार लौरा डाहलमीयर (Laura Dahlmeier) अब हमारे बीच नहीं रहीं। वे हाल ही में पाकिस्तान के कराकोरम पहाड़ों में स्थित Laila Peak की चढ़ाई के दौरान एक माउंटेन स्लाइड की चपेट में आ गईं और उनका निधन हो गया।
Laura Dahlmeier Death: दुनिया की सर्वश्रेष्ठ बायएथलीट्स में शुमार, दो बार की ओलंपिक चैंपियन लौरा डाहलमीयर की पाकिस्तान के खतरनाक पहाड़ी इलाके में एक माउंटेन स्लाइड की चपेट में आकर दर्दनाक मौत हो गई। 30 वर्षीय इस जर्मन एथलीट ने खेल जगत में कई रिकॉर्ड कायम किए थे, लेकिन शौकिया पर्वतारोहण ने उनकी जान ले ली।
18700 फीट की ऊंचाई पर हुआ हादसा
घटना पाकिस्तान के काराकोरम पर्वत श्रृंखला की लैला पीक पर हुई, जो दुनिया के सबसे दुर्गम और खतरनाक पर्वतों में गिना जाता है। यह चोटी लगभग 18,700 फीट ऊंची है और अब तक केवल सात पर्वतारोही ही इसकी चोटी तक पहुंच पाए हैं। डाहलमीयर इस चुनौती को पार करने की कोशिश में थीं, लेकिन तेज बारिश, बर्फबारी और माउंटेन स्लाइड के चलते वे फिसल गईं और हादसे का शिकार हो गईं।
लौरा डाहलमीयर कोई आम पर्वतारोही नहीं थीं। वे इस क्षेत्र में एक अनुभवी पर्वतारोही मानी जाती थीं। हादसे से पहले वह ग्रेट ट्रांगो टॉवर जैसी कठिन पर्वत श्रृंखला पर सफल चढ़ाई कर चुकी थीं। वे जून के अंत से उत्तरी पाकिस्तान में पर्वतारोहण मिशन पर थीं। लेकिन लगातार खराब मौसम ने इस बार उनकी जान ले ली।
ओलंपिक और विश्व चैंपियनशिप में रच चुकी हैं इतिहास
लौरा डाहलमीयर का जन्म 22 अगस्त 1993 को जर्मनी में हुआ था। वे बायएथलॉन (Biathlon) खेल की दिग्गज खिलाड़ी थीं, जो क्रॉस-कंट्री स्कीइंग और राइफल शूटिंग का मिश्रण होता है।
उनकी प्रमुख उपलब्धियां:
- 2018 प्योंगचांग शीतकालीन ओलंपिक में उन्होंने स्प्रिंट और परस्यूट इवेंट्स में गोल्ड मेडल जीता।
- साथ ही इंडिविजुअल इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल भी हासिल किया।
- वे 7 बार की विश्व चैंपियन भी रहीं और कुल 13 विश्व चैंपियनशिप मेडल उनके नाम रहे।
- 2017 में उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में 5 गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया था, जो अब तक एक रिकॉर्ड है।
25 साल की उम्र में खेल से लिया था संन्यास
सफलता की ऊंचाइयों को छूने के बावजूद डाहलमीयर ने मात्र 25 वर्ष की उम्र में बायएथलॉन से संन्यास ले लिया था। उन्होंने खेल से हटकर प्रकृति से जुड़ाव को चुना और पर्वतारोहण को अपना जीवन बना लिया। वे एक प्रमाणित स्की गाइड बन गई थीं और अलग-अलग पर्वतीय क्षेत्रों में रोमांचक अभियान करती थीं।लौरा डाहलमीयर की कहानी न केवल उनके खेल कौशल, बल्कि उनके जुनून और साहस की भी मिसाल है।
उन्होंने जिस खेल में दुनिया भर में नाम कमाया, उससे हटकर अपने शौक को जीवित रखा, लेकिन यही जुनून उनकी मौत का कारण बन गया। उनकी यह दुखद मृत्यु केवल जर्मनी ही नहीं, बल्कि पूरी खेल दुनिया के लिए एक गहरी क्षति है।