OpenAI का Sora App अब Android प्लेटफॉर्म पर लॉन्च हो गया है. यह AI-संचालित वीडियो जनरेशन ऐप यूजर्स को टेक्स्ट या फोटो से 60 सेकेंड तक के वीडियो बनाने की सुविधा देता है. फिलहाल यह सात देशों में उपलब्ध है, जबकि भारत में इसके लॉन्च की तारीख का इंतजार किया जा रहा है.
Sora App Android: OpenAI ने अपने AI-पावर्ड वीडियो जनरेशन ऐप Sora को Android यूजर्स के लिए जारी कर दिया है. यह ऐप पहले iOS पर उपलब्ध था और अब इसे अमेरिका, कनाडा, जापान, साउथ कोरिया, ताइवान, थाईलैंड और वियतनाम में लॉन्च किया गया है. Sora के जरिए यूजर्स सिर्फ टेक्स्ट या इमेज से 60 सेकेंड तक के वीडियो तैयार कर सकते हैं. फिलहाल भारत में इसके रोलआउट को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन ऐप की लोकप्रियता देखते हुए भारतीय यूजर्स में इसके लॉन्च को लेकर उत्सुकता बढ़ रही है.
टेक्स्ट से बनेंगे शानदार वीडियो
Sora एक AI-पावर्ड शॉर्ट वीडियो जनरेशन ऐप है, जो OpenAI के एडवांस्ड Sora 2 मॉडल पर आधारित है. इस ऐप में यूजर्स सिर्फ टेक्स्ट या फोटो अपलोड करके 60 सेकेंड तक के वीडियो बना सकते हैं. खास बात यह है कि ऐप खुद साउंडट्रैक और विजुअल इफेक्ट्स जोड़ देता है, जिससे कंटेंट तैयार करना बेहद आसान हो जाता है.
Android वर्जन में भी वही फीचर्स दिए गए हैं जो iPhone ऐप में मौजूद हैं. इसमें AI Cameo, Remix और Social Share जैसे टूल शामिल हैं, जो यूजर को वीडियो को एडिट और कस्टमाइज करने की पूरी सुविधा देते हैं.

क्रिएटर्स के लिए बड़ा फायदा
OpenAI ने Sora को दो वर्जन में लॉन्च किया है फ्री और पेड. फ्री यूजर्स को बेसिक वीडियो जनरेशन फीचर्स मिलते हैं, जबकि ChatGPT Plus सब्सक्राइबर्स को एक्सक्लूसिव एक्सेस दिया गया है. पेड यूजर्स लंबे और हाई-क्वालिटी वीडियो बना सकते हैं और उन्हें तेज प्रोसेसिंग स्पीड का लाभ मिलता है.
यह ऐप खासतौर पर कंटेंट क्रिएटर्स और इन्फ्लुएंसर्स के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, क्योंकि यह उन्हें मिनटों में यूनिक और आकर्षक वीडियो तैयार करने की सुविधा देता है.
Deepfake और Copyright का मामला
Sora के लॉन्च के तुरंत बाद ही इसे डीपफेक और कॉपीराइट उल्लंघन से जुड़े मामलों में आलोचना का सामना करना पड़ा था. कई यूजर्स ने मशहूर हस्तियों के विवादास्पद डीपफेक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर किए, जिससे ऐप की नीतियों पर सवाल उठे.
इसके बाद OpenAI ने अपनी पॉलिसी में बदलाव करते हुए opt-out की जगह opt-in सिस्टम लागू किया है, ताकि कोई भी यूजर बिना अनुमति किसी और की पहचान का दुरुपयोग न कर सके. कंपनी का कहना है कि वह सुरक्षा और नैतिकता दोनों पर समान ध्यान दे रही है.













