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OpenAI से टूटी बातचीत, Google ने Windsurf को 2.4 अरब डॉलर में किया अपने नाम

OpenAI से टूटी बातचीत, Google ने Windsurf को 2.4 अरब डॉलर में किया अपने नाम

टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक और बड़ा मोड़ आया है। Google की पैरेंट कंपनी Alphabet Inc. ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) स्टार्टअप Windsurf के साथ एक बड़ी डील कर ली है। इस डील की कुल कीमत करीब 2.4 अरब डॉलर यानी लगभग ₹20,000 करोड़ बताई जा रही है। Google ने यह सौदा ऐसे समय पर किया है जब Windsurf और OpenAI के बीच डील की बातचीत टूट चुकी थी।

Windsurf के CEO वरुण मोहन और को-फाउंडर डगलस चेन समेत कुछ और टॉप मेंबर्स अब Google की AI यूनिट DeepMind के हिस्से बनेंगे। इस डील के तहत Windsurf की AI टेक्नोलॉजी और इसके कोर टैलेंट दोनों का फायदा Google को मिलने जा रहा है।

OpenAI से डील टूटने की असली वजह क्या थी?

Windsurf पहले OpenAI के साथ लगभग 3 अरब डॉलर की डील करने वाला था। इस डील को लेकर बातचीत काफी आगे तक पहुंच चुकी थी और मई 2025 की शुरुआत में इसके एलान की तैयारी भी हो गई थी। दोनों कंपनियों के बीच letter of intent साइन हो चुका था और Windsurf के इनवेस्टर्स को फाइनेंशियल टर्म्स की जानकारी भी दे दी गई थी।

लेकिन एक बड़ी अड़चन Microsoft बनकर सामने आई। Microsoft, OpenAI का मुख्य इन्वेस्टर है और उसका OpenAI के साथ एक ऐसा एग्रीमेंट है जिसके तहत उसे OpenAI की टेक्नोलॉजी तक एक्सेस हासिल है। Windsurf अपनी AI टेक्नोलॉजी Microsoft को देने के लिए तैयार नहीं था। इसी वजह से OpenAI, Microsoft की सहमति नहीं ले पाया और बातचीत वहीं अटक गई।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को OpenAI ने खुद पुष्टि की कि Windsurf के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत का समय अब खत्म हो चुका है। इसका मतलब था कि अब Windsurf दूसरी कंपनियों से भी डील कर सकता है।

Google ने समय गंवाए बिना Windsurf से कर लिया करार

OpenAI के साथ बातचीत टूटते ही Google ने तेज़ी से एक्शन लिया और Windsurf के साथ नया समझौता कर लिया। हालांकि यह कोई सीधे टेकओवर वाली डील नहीं है। इस डील में Google ने Windsurf के कुछ टॉप एग्जीक्यूटिव्स को अपनी AI यूनिट DeepMind में शामिल किया और साथ ही उनकी AI टेक्नोलॉजी के लाइसेंसिंग अधिकार भी हासिल किए हैं।

इस तरह की डील्स को “एक्विजीशन” नहीं कहा जाता लेकिन ये काफी हद तक वैसा ही असर डालती हैं। Google ने Windsurf के CEO वरुण मोहन और को-फाउंडर डगलस चेन को अपने साथ जोड़कर एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह AI की रेस में किसी से पीछे नहीं रहने वाला।

Windsurf क्या बनाता है और क्यों है इतना खास?

Windsurf, जो असल में Exafunction Inc. के नाम से रजिस्टर्ड है, एक AI स्टार्टअप है जो खास तौर पर कोडिंग असिस्टेंट्स बनाने पर काम करता है। ये ऐसे टूल्स हैं जो इंसानों द्वारा दिए गए नैचुरल लैंग्वेज इंस्ट्रक्शंस को समझकर अपने आप कोड जनरेट कर सकते हैं। यानी एक तरह से ये AI-पावर्ड कोडिंग सिस्टम हैं जो प्रोग्रामर्स का काम आसान बनाते हैं।

इस स्टार्टअप की शुरुआत 2021 में हुई थी और अब तक इसने 200 मिलियन डॉलर (करीब ₹1,700 करोड़) की फंडिंग जुटाई है। कई बड़ी वेंचर कैपिटल फर्म्स ने इसमें निवेश किया है और इसका फोकस पूरी तरह से AI-संचालित सॉल्यूशंस पर रहा है।

AI की रेस में आगे निकलने की होड़ तेज

Google, Microsoft, Amazon और Meta जैसी कंपनियां AI स्पेस में आगे निकलने की पूरी कोशिश कर रही हैं। इसके लिए ये कंपनियां सिर्फ नए टूल्स नहीं बना रही हैं, बल्कि ऐसे छोटे और इनोवेटिव स्टार्टअप्स को भी टारगेट कर रही हैं जिनके पास यूनिक आइडिया और शानदार टैलेंट हो।

Google की ये नई डील इसी दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। Windsurf जैसी कंपनी को अपने नेटवर्क में लाकर Google न सिर्फ टेक्नोलॉजी में बढ़त हासिल कर रहा है, बल्कि AI की दुनिया में अपनी पकड़ और मजबूत कर रहा है।

AI स्टार्टअप्स के लिए नए रास्ते खुलते जा रहे हैं

Windsurf की कहानी यह भी दिखाती है कि अब AI स्टार्टअप्स के लिए सिर्फ इन्वेस्टमेंट ही नहीं, बल्कि बड़ी कंपनियों के साथ जुड़ने के नए रास्ते भी खुलते जा रहे हैं। जहां एक तरफ इन स्टार्टअप्स को अपनी टेक्नोलॉजी और टैलेंट को बड़े प्लेटफॉर्म पर इस्तेमाल करने का मौका मिलता है, वहीं दूसरी तरफ टेक दिग्गजों को अपनी AI क्षमता को और तेज करने का मौका मिल रहा है।

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