हिंदू धर्म और ज्योतिष में भद्रा काल का विशेष स्थान है। मान्यता है कि भद्रा काल में शुभ और मांगलिक कार्यों से बचना चाहिए। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भद्रा सूर्य देव की पुत्री और शनिदेव की बहन मानी जाती हैं। इनका स्वभाव बेहद कठोर और गंभीर होता है। यही कारण है कि जब भद्रा पृथ्वी लोक में निवास करती हैं, तो इसे मनुष्यों के लिए अशुभ समय माना जाता है।
भद्रा काल का निर्धारण चंद्रमा की स्थिति के आधार पर किया जाता है। जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होता है, तब भद्रा पृथ्वी लोक में मानी जाती है। वहीं, जब भद्रा पाताल लोक में होती है, तब उसका प्रभाव शुभ माना जाता है।
भद्रा काल में कौन से कार्य माने जाते हैं अशुभ
भद्रा काल को अशुभ इसलिए माना जाता है क्योंकि इस समय किए गए कार्यों में बाधा, हानि या संकट आने की आशंका अधिक रहती है। खासकर निम्न कार्य भद्रा काल में नहीं करने चाहिए:
- विवाह और सगाई जैसे मांगलिक संस्कार
- मुण्डन या नामकरण संस्कार
- गृह प्रवेश या नया मकान खरीदना
- नई व्यापारिक शुरुआत या ऑफिस की ओपनिंग
- वाहन खरीदना या यात्रा की शुरुआत (विशेषकर शुभ यात्रा)
- यज्ञोपवित या कोई धार्मिक अनुष्ठान
भद्रा में कौन-कौन से कार्य माने जाते हैं शुभ
हालांकि भद्रा को ज्यादातर मामलों में अशुभ माना जाता है, लेकिन कुछ कार्य ऐसे भी हैं जो भद्रा काल में किए जा सकते हैं और उन्हें शुभ माना जाता है:
- विरोधी या शत्रु के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करना
- राजनीतिक रणनीतियों की शुरुआत
- कोर्ट केस या किसी विवाद में पैरवी
- वाहन या मशीनरी की खरीद (अगर वह युद्ध, सुरक्षा या औद्योगिक उपयोग से जुड़ी हो)
- गुप्त कार्य या जोखिम वाले प्रोजेक्ट
भद्रा के प्रभाव से कैसे बचें
भद्रा काल के प्रभाव से बचने के लिए कई धार्मिक उपाय बताए गए हैं। इनमें भद्रा के 12 नामों का जाप करना अत्यंत लाभकारी माना गया है। ये 12 नाम हैं
- धन्या
- दधिमुखी
- भद्रा
- महामारी
- खरानना
- कालरात्रि
- महारुद्रा
- विष्टि
- कुलपुत्रिका
- भैरवी
- महाकाली
- असुरक्षयकारी भद्रा
भद्रा के नामों का जाप करने से इसके दुष्प्रभाव कम हो सकते हैं। इसके अलावा, पूजा-पाठ, हनुमान चालीसा का पाठ और शिव आराधना को भी लाभकारी बताया गया है।
जुलाई 2025 में भद्रा की तारीखें और समय
जुलाई माह में कुल 9 बार भद्रा काल रहेगा। नीचे तारीख और समय दिए गए हैं
2 जुलाई 2025, बुधवार
- आरंभ: सुबह 08:28 बजे
- समापन: रात 09:29 बजे
6 जुलाई 2025, रविवार
- आरंभ: सुबह 04:38 बजे
- समापन: शाम 05:44 बजे
9 जुलाई 2025, बुधवार
- आरंभ: रात 10:06 बजे
- समापन: 10 जुलाई को सुबह 10:25 बजे
13 जुलाई 2025, रविवार
- आरंभ: सुबह 09:56 बजे
- समापन: रात 09:32 बजे
16 जुलाई 2025, बुधवार
- आरंभ: शाम 05:31 बजे
- समापन: 17 जुलाई को सुबह 04:37 बजे
19 जुलाई 2025, शनिवार
- आरंभ: रात 09:58 बजे
- समापन: 20 जुलाई को सुबह 08:42 बजे
23 जुलाई 2025, बुधवार
- आरंभ: रात 01:09 बजे
- समापन: दोपहर 12:01 बजे
28 जुलाई 2025, सोमवार
- आरंभ: सुबह 07:27 बजे
- समापन: रात 07:54 बजे
1 अगस्त 2025, शुक्रवार
- आरंभ: रात 01:28 बजे
- समापन: दोपहर 02:40 बजे
भद्रा काल को लेकर समाज में कई धारणाएं और परंपराएं हैं। इसलिए किसी भी बड़े कार्य को करते समय पंचांग देखकर भद्रा का ध्यान रखना हमेशा जरूरी माना गया है।