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पायलट राजवीर सिंह चौहान की तेरहवीं पर मां का निधन, बेटे के गम में टूटा दिल

पायलट राजवीर सिंह चौहान की तेरहवीं पर मां का निधन, बेटे के गम में टूटा दिल

राजस्थान के जयपुर में एक परिवार पर ऐसा दुखों का पहाड़ टूटा कि देखने वालों की रूह तक कांप उठी। पहले उत्तराखंड में हुए हेलीकॉप्टर क्रैश में उनके जवान बेटे की मौत की खबर आई, जिसने पूरे परिवार को तोड़ दिया। 

राजस्थान: जयपुर के एक परिवार पर ऐसी आपदा आई, जिसने हर किसी का दिल दहला दिया। उत्तराखंड के गौरीकुंड हेलीकॉप्टर हादसे में अपनी जान गंवाने वाले पायलट राजवीर सिंह चौहान की तेरहवीं के दिन ही उनकी मां विजय लक्ष्मी चौहान ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया। बेटे की अंतिम रस्मों के बीच मां ने अचानक सीने में उठे दर्द के चलते दम तोड़ दिया।

परिवार वालों का कहना है कि विजय लक्ष्मी अपने जवान बेटे की मौत का गम सह नहीं पाईं। बेटे के संस्कार के बाद जब घर में तेरहवीं की तैयारी चल रही थी, तभी उन्हें सीने में भयानक दर्द उठा। आनन-फानन में घरवालों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने देखते ही मृत घोषित कर दिया।

एक दर्दनाक कहानी

15 जून को उत्तराखंड में हुए भीषण हेलीकॉप्टर हादसे में पायलट राजवीर सिंह समेत 7 लोगों की मौत हो गई थी। राजवीर सिंह चौहान जयपुर के शास्त्री नगर इलाके के निवासी थे और सेना से लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से रिटायर होकर पायलट के तौर पर सेवाएं दे रहे थे। गौरीकुंड के पास उनका हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ, जिसमें किसी की भी जान नहीं बचाई जा सकी। राजवीर सिंह की शहादत की खबर पूरे मोहल्ले में आग की तरह फैली थी, लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने उमड़ पड़े थे। लेकिन परिवार के लिए यह दुख इतना बड़ा था कि उससे उबर पाना नामुमकिन हो गया।

तेरहवीं के दिन टूटा दूसरा पहाड़

बेटे की तेरहवीं पर परिवार किसी तरह रस्में निभा रहा था। घर में रिश्तेदार और परिचित जुटे थे। तभी विजय लक्ष्मी चौहान को अचानक घबराहट और सीने में तेज दर्द की शिकायत हुई। घरवाले और पड़ोसी घबराकर उन्हें नजदीकी अस्पताल ले गए, पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा था और मौके पर ही उनकी मृत्यु हो गई थी।

एक ही परिवार में 13 दिन के भीतर दो-दो मौतों से माहौल गमगीन हो गया। पड़ोसी भी इस दृश्य को देख सिहर उठे। परिवार पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो।

14 साल देश की सेवा, फिर भी जिंदगी हारी

राजवीर सिंह ने भारतीय सेना में 14 साल तक लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर सेवाएं दीं। इसके बाद वे पायलट बने और हेली सेवा में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। उनके पास 2000 घंटे से अधिक का उड़ान अनुभव था। राजवीर की पत्नी दीपिका चौहान खुद भी लेफ्टिनेंट कर्नल हैं। दोनों ने 2011 में विवाह किया था। हाल ही में, करीब चार महीने पहले ही उनके घर जुड़वां बच्चों का जन्म हुआ था। इन मासूम बच्चों को शायद ही कभी याद रहेगा कि उनके पिता ने देश के लिए प्राण न्योछावर कर दिए और उनकी दादी भी बेटे का गम सहते हुए गुजर गईं।

शास्त्री नगर में चौहान परिवार का माहौल देखकर लोग खुद को रोने से नहीं रोक पाए। परिवार पहले ही राजवीर की मौत से टूट गया था, और अब मां विजय लक्ष्मी के अचानक चले जाने से संभल पाना नामुमकिन लग रहा है।

एक पड़ोसी ने बताया, विजय लक्ष्मी जी हर दिन बेटे की तस्वीर को निहारकर रोती थीं। शायद उनकी हिम्मत अब जवाब दे गई। जिस बेटे को इतनी मेहनत से बड़ा किया, वही अचानक चला गया और ये सदमा उनके दिल ने बर्दाश्त नहीं किया। सबसे बड़ी चिंता अब राजवीर के चार महीने के जुड़वां बच्चों को लेकर है। परिवार में लगातार दो-दो मौतों के बाद उनकी देखभाल और भविष्य को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। 

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