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पीयूष गोयल का बड़ा दावा: अमेरिका के साथ ईंधन और ऊर्जा व्यापार से बढ़ेगी भारत की ऊर्जा सुरक्षा

पीयूष गोयल का बड़ा दावा: अमेरिका के साथ ईंधन और ऊर्जा व्यापार से बढ़ेगी भारत की ऊर्जा सुरक्षा

पीयूष गोयल ने कहा कि भारत अमेरिका के साथ ईंधन और परमाणु ऊर्जा के व्यापार को बढ़ाकर अपनी ऊर्जा सुरक्षा मजबूत करना चाहता है। इसके जरिए ईंधन के विविध स्रोत सुनिश्चित होंगे और दोनों देशों के बीच नए व्यापार अवसर खुलेंगे। रूस से तेल आयात पर भारत ने कोई टिप्पणी नहीं की।

Fuel Trade with USA: भारत ने अमेरिका के साथ ईंधन और परमाणु ऊर्जा में सहयोग बढ़ाने की संभावनाओं पर जोर दिया है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने न्यूयॉर्क में कहा कि आने वाले वर्षों में भारत अमेरिका के साथ ईंधन उत्पादों के व्यापार को बढ़ाकर ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहता है। इसके अलावा, परमाणु ऊर्जा और महत्वपूर्ण खनिजों में सहयोग पर भी काम किया जाएगा। रूस से तेल आयात पर कोई टिप्पणी नहीं की गई, जबकि अमेरिका ने पिछले महीने भारत पर उच्च टैरिफ लगाए हैं। गोयल ने व्यापार समझौते और सीमा-पार आपूर्ति सुरक्षा के मुद्दों पर अमेरिकी अधिकारियों के साथ चर्चा की।

अमेरिका के साथ सहयोग बढ़ाने का मकसद

पीयूष गोयल ने कहा कि भारत आने वाले वर्षों में अमेरिका के साथ ईंधन व्यापार में वृद्धि की योजना बना रहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया मानती है कि ऊर्जा सुरक्षा एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें सभी देशों को मिलकर काम करना चाहिए। गोयल ने यह भी कहा कि अमेरिका के साथ सहयोग से न केवल भारत के लिए ईंधन के विविध स्रोत सुनिश्चित होंगे, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी नए अवसर पैदा होंगे।

उन्होंने अपने संबोधन में यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका की भागीदारी भारत के ऊर्जा सुरक्षा लक्ष्यों में महत्त्वपूर्ण है। इससे व्यापारिक स्थिरता सुनिश्चित होगी और ऊर्जा आयात की सुरक्षा बढ़ेगी।

व्यापार और परमाणु ऊर्जा पर चर्चा

पीयूष गोयल ने न्यूयॉर्क में कहा कि परमाणु ऊर्जा भी एक ऐसा क्षेत्र है जहां भारत और अमेरिका मिलकर योजना बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि लंबे समय से इस क्षेत्र में चर्चा चल रही है, लेकिन कुछ मुद्दों को सुलझाने की जरूरत है। गोयल ने बताया कि भारत निजी क्षेत्र के प्रयासों का समर्थन करते हुए इस क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना चाहता है।

इसके अलावा मंत्री ने खनिजों की आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में भी काम करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत को स्रोतों में विविधता लाते हुए यह सुनिश्चित करना होगा कि व्यापार का उपयोग हथियार बनाने में न हो।

रूस से तेल आयात पर कोई टिप्पणी नहीं

भारत ने रूस से कच्चे तेल के आयात पर फिलहाल कोई स्पष्ट टिप्पणी नहीं की है। यह कदम ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने भारतीय आयात पर कुछ विशेष शुल्क लगाए हैं। इसमें रूस से तेल खरीदने पर जुर्माने के रूप में 25 फीसदी शुल्क शामिल है।

गोयल और विदेश मंत्री एस जयशंकर सहित कई वरिष्ठ अधिकारी इस समय न्यूयॉर्क में अमेरिकी पक्ष से मुलाकात कर रहे हैं। उनका उद्देश्य दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण व्यापार समझौतों को अंतिम रूप देना है।

अमेरिकी अधिकारियों से बैठक

पीयूष गोयल ने अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर से मुलाकात की। इस बैठक में उन्होंने व्यापार से संबंधित मुद्दों और दोनों देशों के बीच संभावित समझौते पर चर्चा की। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी कहा कि रूस से तेल खरीद के मुद्दे पर भारत के साथ काफी प्रगति हुई है।

जलवायु परिवर्तन और व्यापार

गोयल ने यूरोपीय संघ के कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि इससे यूरोपीय अर्थव्यवस्था अलग-थलग हो सकती है और उनके उत्पादों की बाजार हिस्सेदारी घट सकती है। इसके अलावा मुद्रास्फीति बढ़ने और जीवनयापन की लागत बढ़ने की संभावना है।

मंत्री ने बताया कि भारत अपने नियामकीय ढांचे को मजबूत करके यह सुनिश्चित करना चाहता है कि सीमा-पार व्यापार में किसी प्रकार की बाधा न आए। इससे व्यापारिक स्थिरता और सुरक्षा दोनों सुनिश्चित होंगी।

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