बी आर चोपड़ा की महाभारत में कर्ण का किरदार निभाने वाले अभिनेता पंकज धीर का कैंसर से निधन हो गया। इलाज के बाद भी कैंसर लौट सकता है क्योंकि कुछ कैंसर सेल्स शरीर में बच जाते हैं और समय के साथ सक्रिय होकर बीमारी दोबारा पैदा कर देते हैं। कमजोर इम्यूनिटी और जीन परिवर्तन भी इसके कारण बनते हैं।
Cancer: अभिनेता पंकज धीर, जिन्होंने बी आर चोपड़ा की महाभारत में कर्ण का किरदार निभाया, का कैंसर से निधन हो गया। उनके कैंसर का इलाज हुआ था और सर्जरी भी करवाई गई थी, लेकिन बीमारी फिर लौट आई। विशेषज्ञों के अनुसार, इलाज के बाद भी शरीर में बचे छोटे कैंसर सेल्स समय के साथ सक्रिय हो जाते हैं और ट्यूमर बना सकते हैं। गाजियाबाद के मैक्स अस्पताल के डॉ. रोहित कपूर और सफदरजंग के डॉ. मुकेश नागर बताते हैं कि कमजोर इम्यूनिटी और कैंसर सेल्स में जीन बदलाव भी बीमारी दोबारा होने का कारण हैं। नियमित फॉलो-अप और समय पर स्क्रीनिंग से इसके जोखिम को कम किया जा सकता है।
कैंसर दोबारा क्यों लौटता है
गाजियाबाद के मैक्स अस्पताल के ऑन्कोलॉजी विभाग के डॉ. रोहित कपूर बताते हैं कि कई मामलों में कैंसर ठीक होने के बाद भी सालों बाद लौट आता है। इसका मुख्य कारण यह है कि उपचार के दौरान शरीर में कुछ कैंसर सेल्स बच जाते हैं। ये सेल्स इतने छोटे होते हैं कि टेस्ट या स्कैन में नजर नहीं आते और डॉक्टर या मरीज को लगता है कि बीमारी खत्म हो गई।
समय के साथ ये बची हुई कैंसर सेल्स फिर सक्रिय हो जाती हैं और धीरे-धीरे नए ट्यूमर का निर्माण करने लगती हैं। अक्सर इसका पता तब चलता है जब इलाज के बाद कुछ लक्षण, जैसे सांस में तकलीफ, लगातार थकान, वजन में कमी या शरीर में गांठ, फिर से दिखाई देने लगते हैं।
कैंसर सेल्स दवाओं से कैसे बच जाते हैं
सफदरजंग अस्पताल के ऑन्कोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. मुकेश नागर बताते हैं कि कैंसर सेल्स बहुत चालाक होती हैं। ये अपने जीन में बदलाव कर लेती हैं और दवाओं के असर से खुद को सुरक्षित रख लेती हैं। इसलिए इलाज के बाद ये सेल्स दोबारा सक्रिय हो जाती हैं और कैंसर का निर्माण करती हैं।
डॉ. नागर के अनुसार, जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होती है, उनके शरीर में बची हुई कैंसर सेल्स पूरी तरह खत्म नहीं हो पातीं। कमजोर इम्यूनिटी के कारण ये सेल्स दोबारा पनप जाती हैं और बीमारी लौट आती है।
कौन से कैंसर में दोबारा होने का खतरा ज्यादा
डॉ. नागर बताते हैं कि कुछ प्रकार के कैंसर में दोबारा होने का खतरा ज्यादा होता है। उदाहरण के लिए, लंग्स कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर में दोबारा होने की संभावना अधिक रहती है। वहीं कुछ अन्य कैंसर भी ऐसे होते हैं जिनमें रिकरेंस यानी दोबारा होने की संभावना होती है।
कैंसर का प्रकार, मरीज की उम्र, इम्यूनिटी और इलाज की प्रक्रिया तय करती है कि बीमारी दोबारा होगी या नहीं। इसलिए विशेषज्ञ हमेशा मरीजों को इलाज के बाद सतर्क रहने की सलाह देते हैं।
दोबारा कैंसर होने से कैसे बचा जा सकता है
डॉ. मुकेश नागर के अनुसार, कैंसर दोबारा न हो इसके लिए मरीज को इलाज के बाद नियमित फॉलो-अप करना बेहद जरूरी है। इसके लिए हर तीन से छह महीने में ब्लड टेस्ट और स्क्रीनिंग करवाना चाहिए।
इसके अलावा, मरीजों को अपनी सेहत पर नजर रखनी चाहिए। अगर अचानक वजन कम हो रहा है, हमेशा थकान रहती है, या शरीर में कोई गांठ बन रही है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। समय पर जांच और सतर्कता से दोबारा कैंसर होने की संभावना को कम किया जा सकता है।
मरीजों और परिवार के लिए संदेश
कैंसर से जूझ रहे मरीजों और उनके परिवार को समझना चाहिए कि इलाज के बाद भी सतर्क रहना जरूरी है। बीमारी पूरी तरह खत्म होने के बाद भी शरीर की नियमित जांच और डॉक्टर की सलाह का पालन करना बेहद महत्वपूर्ण है।
पंकज धीर के निधन ने यह दिखाया कि कैंसर कितनी गंभीर बीमारी हो सकती है। इलाज के बाद भी यह लौट सकता है और समय पर सतर्कता जरूरी है। डॉक्टरों का कहना है कि इलाज, सर्जरी और दवाओं के बावजूद बची हुई कैंसर सेल्स को पहचान पाना कठिन होता है, इसलिए नियमित फॉलो-अप जीवन रक्षक साबित हो सकता है।