गर्भावस्था में Syphilis Test कराना बेहद जरूरी है। यह टेस्ट सिफलिस संक्रमण का पता लगाता है, जो मां से बच्चे में फैल सकता है और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है। समय पर जांच और पेनिसिलिन उपचार से संक्रमण पूरी तरह ठीक किया जा सकता है, जिससे बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
Syphilis Test in Pregnancy: गर्भवती महिलाओं के लिए Syphilis Test खून की जांच के जरिए सिफलिस संक्रमण का पता लगाने के लिए जरूरी है। सिफलिस एक यौन संचारित रोग है जो लंबे समय तक लक्षण नहीं दिखाता और गर्भ में बच्चे तक फैल सकता है। भारत सरकार इसे प्रेगनेंसी की शुरुआती जांच का हिस्सा मानती है। VDRL, RPR और TPHA जैसे टेस्ट से संक्रमण की पहचान होती है और समय पर पेनिसिलिन उपचार बच्चे को सुरक्षित रखता है। यह कदम गर्भावस्था में मां और बच्चे दोनों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
Syphilis क्या है?
Syphilis एक यौन संचारित संक्रमण है। यह Treponema pallidum नामक बैक्टीरिया के कारण फैलता है। यह बीमारी शरीर में लंबे समय तक बिना किसी लक्षण के रह सकती है। समय पर पता न चलने पर यह नर्वस सिस्टम, हृदय और दिमाग को प्रभावित कर सकती है। खासतौर पर गर्भवती महिलाओं में सिफलिस का समय पर पता लगाना बेहद जरूरी होता है। अगर मां संक्रमित होती है और इलाज नहीं होता, तो गर्भ में पल रहे बच्चे तक भी यह संक्रमण पहुंच सकता है। इसे Congenital Syphilis यानी जन्मजात सिफलिस कहा जाता है।
Syphilis टेस्ट कैसे काम करता है
Syphilis टेस्ट खून में बनने वाले एंटीबॉडी की पहचान करके संक्रमण की मौजूदगी का पता लगाता है। इस जांच में आमतौर पर VDRL (Venereal Disease Research Laboratory), RPR (Rapid Plasma Reagin) और TPHA (Treponema Pallidum Hemagglutination Assay) जैसे टेस्ट किए जाते हैं। इनसे यह पता चलता है कि किसी महिला को सिफलिस हुआ है या नहीं।
सरकार ने गर्भवती महिलाओं के शुरुआती चेकअप में Syphilis टेस्ट को अनिवार्य कर दिया है। आमतौर पर यह जांच गर्भावस्था की पहली तिमाही में की जाती है। अगर डॉक्टर को जरूरत लगे तो बाद में भी इस टेस्ट को दोबारा कराया जा सकता है।
Syphilis का संक्रमण कैसे फैलता है
Syphilis मुख्य रूप से असुरक्षित यौन संबंध बनाने से फैलती है। इसके अलावा संक्रमित खून चढ़ाने, मां से बच्चे में गर्भावस्था या जन्म के समय और दुर्लभ मामलों में संक्रमित घाव के संपर्क में आने से भी यह बीमारी फैल सकती है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के आंकड़ों के अनुसार हर साल लाखों बच्चों को सिफलिस का संक्रमण होता है। इसके कारण गर्भपात, मृत शिशुओं का जन्म या नवजात बच्चों में गंभीर संक्रमण देखने को मिलता है। कई मामलों में जन्म के बाद बच्चों को अंगों और दिमाग से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
बचाव के उपाय
Syphilis का इलाज पेनिसिलिन इंजेक्शन से किया जाता है। यह एंटीबायोटिक दवा संक्रमण को पूरी तरह समाप्त कर देती है। यदि महिला समय पर इलाज कराती है, तो गर्भ में पल रहे बच्चे को संक्रमण से बचाया जा सकता है।
इसके अलावा कुछ महत्वपूर्ण उपाय संक्रमण से बचाव में मदद करते हैं। इनमें सुरक्षित यौन संबंध बनाना, नियमित स्क्रीनिंग टेस्ट करवाना, संक्रमण होने पर तुरंत इलाज लेना और समय-समय पर यौन रोगों की जांच कराना शामिल है।
क्यों जरूरी है प्रेगनेंसी में यह टेस्ट
गर्भावस्था में Syphilis Test कराना इसलिए जरूरी है क्योंकि यह न केवल मां को गंभीर बीमारी से बचाता है बल्कि बच्चे को जन्म से पहले सुरक्षित रखता है। समय पर जांच और इलाज से सिफलिस पूरी तरह ठीक हो सकती है। डॉक्टरों के अनुसार यह टेस्ट हर गर्भवती महिला के लिए अनिवार्य होना चाहिए।
सिर्फ शुरुआती तीन महीने ही नहीं, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर गर्भावस्था के बाद भी यह टेस्ट दोबारा कराया जा सकता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि मां और बच्चे दोनों सुरक्षित हैं और जन्म के समय कोई संक्रमण बच्चे तक नहीं पहुंचता।