लुधियाना उपचुनाव में कांग्रेस की हार पर बीजेपी अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने आरोप लगाया कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने AAP के साथ सौदा किया, जिससे भारत भूषण आशु को हार का सामना करना पड़ा।
Punjab Politics: पंजाब की राजनीति में लुधियाना पश्चिम उपचुनाव के नतीजों के बाद नया बवाल खड़ा हो गया है। आम आदमी पार्टी (AAP) के उम्मीदवार संजीव अरोड़ा ने कांग्रेस के भारत भूषण आशु को 10,000 से ज्यादा वोटों से हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया। चुनावी हार के बाद अब कांग्रेस के भीतर से ही आवाजें उठ रही हैं और विपक्षी दल बीजेपी ने भी इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है।
सुनील जाखड़ ने कांग्रेस पर साधा निशाना
पंजाब बीजेपी अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने दावा किया है कि कांग्रेस की इस हार के पीछे पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं की मिलीभगत है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के ही एक बड़े नेता ने आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर मुख्यमंत्री भगवंत मान से सौदा किया, ताकि भारत भूषण आशु को हराया जा सके। जाखड़ ने यह भी कहा कि कांग्रेस की यह हार भीतरघात और सौदेबाजी का नतीजा है, न कि सिर्फ जनता के फैसले का।
जाखड़ ने अमरिंदर सिंह राजा वडिंग के बयान पर पलटवार किया। वडिंग ने कहा था कि बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच कांग्रेस को हराने के लिए गुप्त समझौता हुआ है। इस पर जाखड़ ने जवाब दिया कि अपनी नाकामी छिपाने के लिए कांग्रेस नेता अब बीजेपी पर झूठे आरोप लगा रहे हैं।
मुख्यमंत्री भगवंत मान पर भी साधा निशाना
बीजेपी नेता सुनील जाखड़ ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को भी घेरा और कहा कि उन्होंने विधानसभा में भ्रष्टाचार के जिन मामलों की बात की थी, उन पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने दावा किया कि यह इस बात का साफ संकेत है कि सरकार ने भ्रष्टाचार के मामलों में गंभीरता नहीं दिखाई, बल्कि इसके पीछे भी किसी प्रकार की अंदरूनी डील हो सकती है।
उन्होंने कहा, "हर कोई जानता है कि मैं किसकी बात कर रहा हूं। मुख्यमंत्री ने परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार के जिन मामलों की बात की थी, क्या उन पर अब तक कोई सख्त कदम उठाया गया है?"
कांग्रेस विधायक खैरा ने भी उठाए सवाल
कांग्रेस के भोलाथ से विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने भी अपनी ही पार्टी के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने आम आदमी पार्टी के साथ गुप्त समझौते किए हैं और इसके पीछे निजी औद्योगिक लाभ हो सकता है। खैरा ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि पार्टी को इस हार के कारणों पर गंभीर आत्मनिरीक्षण करना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी बार-बार उन्हीं नेताओं को उपचुनावों का प्रभारी बना रही है, जो पहले भी पार्टी को जीत दिलाने में विफल रहे हैं। खैरा ने सवाल उठाया कि क्या किसी नेता ने अपनी निजी या कारोबारी फायदे के लिए आप उम्मीदवार के पक्ष में काम किया है?
कांग्रेस की अंदरूनी कलह बढ़ी
उपचुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस के अंदर कलह और असंतोष खुलकर सामने आने लगे हैं। एक तरफ जहां बीजेपी कांग्रेस पर हमलावर है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के अंदर से भी विश्वासघात और संगठनात्मक विफलता को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। लुधियाना पश्चिम जैसी शहरी सीट पर हार से पार्टी को झटका लगा है, और यह हार सिर्फ एक चुनावी पराजय नहीं, बल्कि कांग्रेस की रणनीतिक कमजोरी और अंदरूनी फूट की ओर भी इशारा कर रही है।
AAP को मिला फायदा
इस उपचुनाव में आम आदमी पार्टी को बड़ी जीत मिली है। संजीव अरोड़ा की यह जीत न सिर्फ लुधियाना की स्थानीय राजनीति में बदलाव लाती है, बल्कि AAP के लिए यह संकेत भी है कि राज्य में उनकी पकड़ मजबूत हो रही है। पंजाब की सत्तारूढ़ पार्टी होने के नाते AAP ने इस सीट पर पूरी ताकत झोंकी थी और उसका नतीजा उनके पक्ष में गया।