आज के डिजिटल युग में हर साल नए स्मार्टफोन लॉन्च होते हैं और लोग अपने पुराने फोन बदल देते हैं। कंपनियां इन पुराने डिवाइस को एक्सचेंज, रीफर्बिशिंग और रिसाइक्लिंग के जरिए दोबारा इस्तेमाल में लाती हैं। इससे ई-वेस्ट कम होता है, लागत घटती है और ग्राहक कम कीमत में भरोसेमंद डिवाइस पाते हैं।
Old Smartphones: जब यूजर्स अपना पुराना फोन एक्सचेंज या रिसाइक्लिंग के लिए देते हैं, तो कंपनियां इन्हें नए जीवन के लिए तैयार करती हैं। भारत में Apple, Samsung, Xiaomi जैसी कंपनियां पुराने डिवाइस को रिसाइक्लिंग सेंटर या रीफर्बिशिंग यूनिट में भेजती हैं। 2025 में इस प्रक्रिया के तहत, फोन की तकनीकी जांच, बैटरी और कैमरा रिपेयर के बाद इन्हें रीफर्बिश्ड फोन के रूप में 30-50% कम कीमत में बेचा जाता है। इस पहल से पर्यावरण सुरक्षित रहता है, ई-वेस्ट घटता है और ग्राहक कम कीमत में भरोसेमंद डिवाइस प्राप्त कर पाते हैं।
1. एक्सचेंज और रीफर्बिशिंग प्रक्रिया
जब कोई ग्राहक एक्सचेंज ऑफर के तहत नया स्मार्टफोन खरीदता है, तो पुराना फोन कंपनी या उसके पार्टनर के पास भेजा जाता है। इसे रिसाइक्लिंग सेंटर या रीफर्बिशिंग यूनिट में भेजा जाता है, जहां इसकी फिजिकल और टेक्निकल जांच की जाती है। फोन का काम कर रहा है या नहीं, बैटरी, मदरबोर्ड और अन्य पार्ट्स की स्थिति चेक की जाती है।
अगर फोन की स्थिति ठीक पाई जाती है, तो इसे रीफर्बिश किया जाता है। बैटरी, स्क्रीन और कैमरा जैसे पार्ट्स बदले जाते हैं, सॉफ्टवेयर रीसेट किया जाता है और फोन को नया जैसा बना दिया जाता है। इसके बाद ये रीफर्बिश्ड फोन के रूप में 30% से 50% कम कीमत में बाजार में बेचा जाता है। भारत में Amazon Renewed, Cashify और ब्रांड के आधिकारिक स्टोर इस तरह के फोनों की बिक्री करते हैं।
2. पुराने डिवाइस से पार्ट्स का पुनः उपयोग
जो फोन बहुत पुराने या डैमेज होते हैं, उनके काम करने वाले पार्ट्स जैसे कैमरा सेंसर, प्रोसेसर, चार्जिंग पोर्ट या बैटरी अलग कर लिए जाते हैं। इन पार्ट्स को स्पेयर मार्केट में बेचा जाता है या नए और रीफर्बिश्ड डिवाइसेज़ में उपयोग किया जाता है। इससे कंपनियों की लागत कम होती है और ई-वेस्ट को भी कम किया जा सकता है।
3. रिसाइक्लिंग और पर्यावरणीय लाभ
हर साल करोड़ों पुराने फोन फेंक दिए जाते हैं, जिससे ई-वेस्ट बनता है। इनमें मौजूद रसायन जैसे लेड, मर्करी और कैडमियम पर्यावरण के लिए हानिकारक होते हैं। इसलिए Apple, Samsung और Xiaomi जैसी बड़ी टेक कंपनियां पुराने फोनों को रिसाइक्लिंग प्रोग्राम में शामिल करती हैं। इन डिवाइस से सोना, तांबा और एल्युमिनियम जैसी कीमती धातुएँ निकाल कर नए डिवाइस बनाने में इस्तेमाल की जाती हैं।
कंपनियों के लिए इससे दोहरा लाभ है: पर्यावरण-हितैषी छवि बनती है और रीफर्बिश्ड या रिसाइक्लिंग पार्ट्स से लागत घटती है। इसके अलावा, एक्सचेंज प्रोग्राम ग्राहकों को नए फोन खरीदने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जिससे बिक्री बढ़ती है।
पुराने स्मार्टफोन केवल बेकार नहीं होते, बल्कि कंपनियों के लिए मूल्यवान संसाधन हैं। रीफर्बिशिंग और रिसाइक्लिंग से न सिर्फ पर्यावरण को फायदा मिलता है, बल्कि ग्राहक भी कम कीमत में नए और भरोसेमंद डिवाइस प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे प्रोग्राम स्मार्टफोन उद्योग को टिकाऊ और जिम्मेदार बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं।