सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) का राजनीतिक दल के रूप में रजिस्ट्रेशन रद्द करने की मांग की गई है।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) का राजनीतिक दल के रूप में रजिस्ट्रेशन रद्द करने की मांग की गई है। इसके साथ ही पार्टी नेताओं राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा चुनाव आयोग के खिलाफ चलाए गए ‘वोट-चोरी’ अभियान की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का अनुरोध किया गया है।
याचिका में दावा किया गया है कि कांग्रेस द्वारा चलाया गया प्रचार अभियान चुनाव आयोग की संवैधानिक अधिकारिता और निष्पक्षता को कमजोर करने वाला है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह सीधे तौर पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पवित्रता पर आघात पहुँचाता है।
प्रचार और अभियानों से हुई है आपत्ति
याचिकाकर्ता सतीश कुमार अग्रवाल, जो अखिल भारत हिंदू महासभा के पूर्व उपाध्यक्ष हैं, ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है कि आईएनसी, राहुल गांधी और खड़गे, उनके प्रतिनिधि और एजेंट किसी भी प्रकार का सार्वजनिक बयान, भाषण, प्रचार या प्रकाशन नहीं कर सकते, जिससे चुनाव आयोग की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर असर पड़े।
अग्रवाल का कहना है कि कांग्रेस और उसके नेताओं द्वारा चलाया गया प्रचार अभियान राष्ट्रव्यापी असंवैधानिक गतिविधियों और चुनाव आयोग के अधिकारों के उल्लंघन के समान है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह अभियान मतदाता सूची संशोधन जैसे संवैधानिक अधिकारों में हस्तक्षेप करता है।
जानिए क्या है मामला?
याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि बिहार में SIR (Special Intensive Revision) का मुद्दा पहले से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। ऐसे में कांग्रेस और उसके नेता वोट-चोरी जैसे आरोपों को सार्वजनिक बैठकों में नहीं फैला सकते। याचिकाकर्ता ने कहा कि कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल स्वयं इस मामले में याचिकाकर्ता हैं, इसलिए पार्टी और उसके नेताओं का यह प्रचार अभियान न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालने जैसा है। सुप्रीम कोर्ट के सामने यह मामला इसलिए भी अहम है क्योंकि इसमें लोकतांत्रिक संस्थाओं और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा का सवाल खड़ा है।