राहुल गांधी को सेना पर बयान को लेकर दर्ज मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने कार्यवाही पर रोक लगाई और सोशल मीडिया पर बयान देने पर सवाल उठाए।
Rahul Gandhi: सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ लखनऊ की अदालत में चल रही आपराधिक मानहानि की कार्यवाही पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है। यह मामला 2022 में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना पर उनके बयान से संबंधित है, जिसे लेकर बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन के एक पूर्व अधिकारी ने शिकायत दर्ज करवाई थी।
क्या है पूरा मामला
16 दिसंबर 2022 को राहुल गांधी ने भारत-चीन सैन्य झड़पों के संदर्भ में एक बयान दिया था। उन्होंने कहा था, "अरुणाचल प्रदेश में चीनी सैनिक भारतीय सेना के जवानों को पीट रहे हैं।" यह बयान उस समय आया जब अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के बीच सीमावर्ती झड़प हुई थी।
इस बयान के बाद उदय शंकर श्रीवास्तव नामक एक रिटायर्ड सैन्य अधिकारी, जो बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन के निदेशक रह चुके हैं, ने राहुल गांधी के खिलाफ लखनऊ की अदालत में आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज करवाई थी। उनका दावा था कि राहुल गांधी का यह बयान भारतीय सेना के सम्मान को ठेस पहुंचाता है।
हाईकोर्ट से भी नहीं मिली थी राहत
राहुल गांधी ने इस मामले में पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कार्यवाही को रद्द करने की मांग की थी। लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी और मजिस्ट्रेट के समन को बरकरार रखा। हाईकोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता भले ही प्रत्यक्ष रूप से इस कथन के शिकार न हों, लेकिन एक 'अग्रीव्ड पर्सन' के रूप में उन्हें शिकायत दर्ज करने का अधिकार है, क्योंकि उन्हें इस कथन से व्यक्तिगत ठेस पहुंची है।
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और सवाल
सुप्रीम कोर्ट की बेंच में जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल थे। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राहुल गांधी को फटकार लगाते हुए पूछा कि उन्होंने यह बयान सोशल मीडिया पर क्यों दिया और इस संवेदनशील मुद्दे को संसद में क्यों नहीं उठाया।
कोर्ट ने सवाल किया कि यदि राहुल गांधी को इस विषय पर चिंता थी, तो उन्होंने इसका समाधान संसदीय प्रक्रिया के माध्यम से क्यों नहीं तलाशा। जस्टिस ने कहा, "आप विपक्ष के नेता हैं। आपको यह बात संसद में उठानी चाहिए थी, न कि सोशल मीडिया पर।" उन्होंने यह भी पूछा कि क्या राहुल गांधी के पास इस बात की कोई प्रमाणिक जानकारी थी कि चीन ने 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय भूमि पर कब्जा किया है।
'एक सच्चा भारतीय ऐसा नहीं कहेगा'
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जब सीमा पर तनाव हो, तब ऐसा बयान एक सच्चे भारतीय द्वारा नहीं दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने अनुच्छेद 19(1)(a) का हवाला देते हुए कहा कि बोलने की आज़ादी का मतलब यह नहीं है कि कोई भी कुछ भी कह सकता है, खासकर जब बात देश की सुरक्षा और सेना की प्रतिष्ठा की हो।
राहुल की ओर से दी गई दलील
राहुल गांधी की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पैरवी की। उन्होंने कहा कि यह मामला राजनीतिक अभिप्राय से प्रेरित है और इससे राहुल गांधी के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन होता है। सिंघवी ने दलील दी कि राहुल गांधी का बयान किसी विशेष व्यक्ति को लक्षित नहीं था और शिकायतकर्ता कोई प्रत्यक्ष पीड़ित नहीं है।
उन्होंने तर्क दिया कि ऐसे मामलों में किसी तीसरे व्यक्ति को मानहानि की शिकायत दर्ज करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि बयान का उद्देश्य सरकार की नीतियों पर सवाल उठाना था, न कि सेना को अपमानित करना।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई कार्यवाही पर रोक
सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में लखनऊ की अदालत में चल रही कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगा दी। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया गया और तीन सप्ताह में जवाब मांगा गया है। अब यह मामला अगली सुनवाई में फिर से विचार के लिए सूचीबद्ध होगा।