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राज्यसभा में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती पर सियासी घमासान: विपक्ष और सरकार आमने-सामने

राज्यसभा में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती पर सियासी घमासान: विपक्ष और सरकार आमने-सामने

राज्यसभा में सीआईएसएफ की तैनाती पर विपक्ष ने आपत्ति जताई है। खड़गे ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया, वहीं सरकार ने इसे सुरक्षा उपाय करार दिया है।

Rajyasbha Security: राज्यसभा में शुक्रवार को उस समय राजनीतिक गरमाहट तेज हो गई जब विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सदन के वेल में सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती को लेकर गंभीर आपत्ति जताई। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया और सांसदों के अधिकारों के विरुद्ध बताते हुए उपसभापति को पत्र लिखा और इस ‘चौंकाने वाली’ स्थिति पर स्पष्ट जवाब मांगा।

खड़गे का तीखा पत्र

अपने पत्र में मल्लिकार्जुन खड़गे ने लिखा कि विपक्षी सांसद जब जनहित के मुद्दे उठाने के लिए वेल में पहुंचे तो सीआईएसएफ कर्मियों को वहां देखा गया। खड़गे ने इस पर गहरी हैरानी जताते हुए कहा कि ऐसा दृश्य कल भी देखा गया और आज भी दोहराया गया। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या हमारी संसद का स्तर इतना गिर चुका है कि सांसदों को मुद्दे उठाने से रोकने के लिए वर्दीधारी जवानों की जरूरत पड़ रही है?

खड़गे ने उपसभापति से मांग की कि यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में जब कोई सदस्य लोकतांत्रिक तरीके से जनहित के मुद्दे उठाए, तब सीआईएसएफ के जवान सदन के वेल में प्रवेश न करें। उन्होंने इसे बेहद आपत्तिजनक करार देते हुए कहा कि यह संसद की गरिमा के खिलाफ है।

विपक्ष का आरोप

विपक्ष का यह भी आरोप है कि सत्ता पक्ष द्वारा बार-बार उनकी आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सभापति के अचानक और अभूतपूर्व इस्तीफे के बाद अब सदन में सीआईएसएफ का "कब्ज़ा" देखने को मिल रहा है। उन्होंने इसे संसदीय परंपराओं के विरुद्ध बताया और खड़गे के पत्र का समर्थन किया।

सरकार की सफाई

दूसरी ओर, केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह कदम सुरक्षा कारणों से उठाया गया है। उन्होंने कहा कि कई सांसदों की यह मांग रही है कि संसद परिसर और विशेषकर वेल में सुरक्षा बढ़ाई जाए।

रिजिजू ने यह भी कहा कि कई बार कुछ सांसद सत्ता पक्ष की मेजों पर चढ़कर प्रदर्शन करते हैं या वेल में आकर अव्यवस्था फैलाते हैं। ऐसी स्थितियों को रोकने के लिए ही सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कोई भी सुरक्षाकर्मी तब तक हस्तक्षेप नहीं करता जब तक सांसद किसी प्रकार की दुर्भावनापूर्ण हरकत नहीं करते।

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