प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राष्ट्रपति भवन जाकर द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि बिहार चुनाव, संसद गतिरोध और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक की तस्वीर राष्ट्रपति भवन ने साझा की।
PM Modi Meets President: पीएम नरेंद्र मोदी ने अचानक राष्ट्रपति भवन जाकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई जब संसद का मानसून सत्र गतिरोध का शिकार है और बिहार में मतदाता सूची पर राजनीतिक टकराव बढ़ रहा है। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में बिहार विधानसभा चुनाव, संसद में विपक्ष का विरोध और अंतरराष्ट्रीय दबाव जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा हुई।
अचानक राष्ट्रपति भवन पहुंचे पीएम मोदी
रविवार को PM मोदी ने राष्ट्रपति भवन जाकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की। यह मुलाकात पूर्व सूचना के बिना हुई, जिससे राजनीतिक हलकों में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं। राष्ट्रपति भवन की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर इस भेंट की एक तस्वीर साझा की गई, जिसमें प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति आपस में संवाद करते दिख रहे हैं।
हालांकि, राष्ट्रपति भवन ने बैठक का कोई आधिकारिक एजेंडा साझा नहीं किया है, लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इस भेंट के पीछे कई सामयिक और गंभीर कारण हो सकते हैं।
बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) बना सियासी मुद्दा
एक बड़ा मुद्दा जो प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की बातचीत का हिस्सा रहा हो सकता है, वह बिहार में चल रहा विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) अभ्यास है।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का आरोप है कि चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे इस अभ्यास के जरिए लाखों बिहारियों को मतदाता सूची से हटाया जा रहा है। पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने यह भी आरोप लगाया कि इससे राज्यों का चुनावी स्वरूप बदला जा रहा है।
प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की बातचीत में इस संवेदनशील विषय पर चर्चा की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता, विशेषकर तब जब संसद में विपक्ष इस मुद्दे को लेकर सरकार पर दबाव बना रहा है।
संसद में लगातार जारी गतिरोध
इस मुलाकात का एक और अहम कारण संसद में चल रहा गतिरोध हो सकता है। 21 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच भारी खींचतान देखी जा रही है। 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष बार-बार सदन की कार्यवाही रोक रहा है, जिससे विधायी कामकाज प्रभावित हो रहा है।
राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख होने के नाते संसद की स्थिति पर भी नजर रखती हैं और ऐसी परिस्थिति में प्रधानमंत्री का उन्हें सीधे जाकर जानकारी देना और परामर्श लेना स्वाभाविक कदम माना जा सकता है।
अंतरराष्ट्रीय दबाव भी हो सकता है एक कारण
इस भेंट का एक और आयाम अंतरराष्ट्रीय दबाव भी हो सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने और रूस से मिलिट्री उपकरण व कच्चा तेल खरीदने पर पेनाल्टी लगाने की बात कही है।
हालांकि यह बयान उनके कार्यकाल में नहीं बल्कि हाल ही में हुए प्रचार अभियान के दौरान आया, लेकिन भारत के रणनीतिक और आर्थिक हितों के लिहाज से यह चिंता का विषय है। संभव है कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति को इन अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों के बारे में जानकारी दी हो और आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया हो।