1 अक्टूबर को आरबीआई की मौद्रिक नीति बैठक में ब्याज दरों के बारे में फैसला होगा। हालांकि आम लोगों में कटौती की उम्मीद है, रॉयटर्स पोल के अनुसार अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आरबीआई अपनी प्रमुख दर 5.50% पर बनाए रखेगा। पिछली कटौतियों के प्रभाव का मूल्यांकन और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण दरों में बदलाव की संभावना कम है।
RBI give Diwali gift to common people: 30 सितंबर से 1 अक्टूबर तक आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक होने जा रही है, जिसमें ब्याज दरों के भविष्य का ऐलान होगा। आम जनता की उम्मीदें इस बार दिवाली से पहले ईएमआई कम होने की हैं। हालांकि रॉयटर्स पोल और विशेषज्ञों के अनुसार, केंद्रीय बैंक पिछली दरों में कटौती के प्रभाव का आकलन कर रहा है और वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच अपनी प्रमुख दर 5.50% पर बनाए रखने की संभावना अधिक है।
पिछली आर्थिक गतिविधियों का असर
साल 2025 आम लोगों के लिए राहत भरा रहा है। केंद्र सरकार ने 12 लाख तक की कमाई को टैक्स फ्री कर दिया। वहीं आरबीआई ने फरवरी, अप्रैल और जून में लगातार ब्याज दरों में कटौती की। इससे लोन सस्ता हुआ और लोगों की जेब पर सकारात्मक असर पड़ा।
इसके अलावा जीएसटी काउंसिल ने इनडायरेक्ट टैक्स में बड़ा बदलाव किया। इस बदलाव से घर के जरूरी सामान और कई अन्य प्रोडक्ट्स व सर्विसेज की कीमतों में गिरावट आई। इन कदमों ने आम लोगों की खर्च क्षमता बढ़ाई।
इन सबके बीच अब लोग आरबीआई से उम्मीद लगा रहे हैं कि ब्याज दरों में कटौती से उनकी ईएमआई और कर्ज पर बोझ कम होगा।
रॉयटर्स सर्वे की क्या जानकारी मिली
रॉयटर्स के सर्वे में अर्थशास्त्रियों ने बताया कि आरबीआई अपनी पॉलिसी दर में बदलाव करने से पहले पिछले कदमों के असर का आकलन कर रहा है। पिछले कुछ महीनों में केंद्रीय बैंक ने जो कटौती की थी, उसका असर पूरी तरह से अर्थव्यवस्था पर नहीं दिखा। सरकारी खर्च बढ़ने के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था ने पिछली तिमाही में साल-दर-साल 7.8 प्रतिशत की दर से वृद्धि दर्ज की।
सर्वे में कहा गया है कि निजी निवेश में गिरावट जारी है। इसका मतलब है कि पॉलिसी में ढील देने के लिए पहले उठाए गए कदम अब तक पर्याप्त प्रभाव नहीं डाल पाए। वहीं महंगाई आरबीआई के लक्ष्य 2-6 प्रतिशत के भीतर रही है। लेकिन अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हुआ है, जिससे आयात महंगा हो गया है।
वैश्विक माहौल
वैश्विक स्तर पर भी अनिश्चितता बढ़ रही है। अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव और नए वीजा नियमों ने भारत की आर्थिक तस्वीर को प्रभावित किया है। इन परिस्थितियों में विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार और अन्य परिसंपत्तियों से अपनी पूंजी निकाल रहे हैं।
मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने अगस्त में सर्वसम्मति से ब्याज दर को स्थिर रखने का निर्णय लिया था। रॉयटर्स सर्वे में लगभग 61 में से 45 अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया कि आरबीआई इस बैठक में भी दरें स्थिर रखेगा। केवल 16 अर्थशास्त्रियों ने 25 आधार अंकों की कटौती की संभावना जताई।
केनरा बैंक का कहना है – ब्याज दरें 2025 तक स्थिर रह सकती हैं
केनरा बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट माधवनकुट्टी ने कहा कि उन्हें ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद नहीं है। उनका कहना है कि आरबीआई पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि मॉनेटरी पॉलिसी का विकास दर को बढ़ावा देने पर सीमित असर पड़ता है। उन्होंने बताया कि प्राइवेट निवेश में वृद्धि नहीं हुई है। इसके पीछे मजदूरी वृद्धि का स्थिर रहना और नौकरी की स्थिरता को लेकर अनिश्चितता मुख्य कारण हैं।
अन्य अर्थशास्त्रियों के पूर्वानुमानों में भी यही दृष्टिकोण देखने को मिला। 50 में से 26 अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ब्याज दरें कम से कम 2025 के अंत तक अपरिवर्तित रहेंगी। इससे पहले अगस्त में अनुमान लगाया गया था कि दिसंबर में दरों में कटौती की संभावना हो सकती है।