अक्टूबर 2025 के पहले पखवाड़े में भारत का रूस से कच्चे तेल का आयात तेज़ी से बढ़ा, जो सितंबर के 1.60 लाख BPD से बढ़कर लगभग 1.80 लाख BPD हो गया। रूस द्वारा दी गई $3.5-$5 प्रति बैरल की नई छूट और त्योहारी मांग ने इस बढ़ोतरी को बढ़ावा दिया, जबकि ट्रंप के बयान को भारत ने खारिज कर दिया।
Russian Oil Import: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रूस से तेल आयात रोकने संबंधी दावे के बीच भारत ने अक्टूबर 2025 में रूसी तेल की खरीद बढ़ा दी है। जहाज ट्रैकिंग डेटा और केप्लर की रिपोर्ट के अनुसार, रूस से आयात 1.80 लाख बैरल प्रतिदिन (BPD) तक पहुंच गया, जो सितंबर की तुलना में 2.5 लाख BPD अधिक है। रूस द्वारा यूराल ग्रेड पर दी गई $3.5-$5 प्रति बैरल की नई छूट और त्योहारी मांग ने आयात को बढ़ावा दिया। विशेषज्ञों के अनुसार, यह नीतिगत बदलाव नहीं बल्कि आर्थिक और संविदात्मक मजबूरियों के कारण हुआ विस्तार है, जिससे रूस भारत का शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता बना हुआ है।
अक्टूबर में बढ़ी तेल की डिलीवरी
जहाज ट्रैकिंग एजेंसियों के शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर के पहले दो हफ्तों में रूस से भारत को आने वाले कच्चे तेल की आपूर्ति में तेज उछाल देखा गया। यह बढ़ोतरी जुलाई से सितंबर के बीच आई गिरावट के बाद हुई है केप्लर नाम की वैश्विक व्यापार विश्लेषण फर्म के अनुसार, अक्टूबर में रूस से भारत का आयात करीब 18 लाख बैरल प्रतिदिन के स्तर तक पहुंच गया। सितंबर में यह आंकड़ा लगभग 16 लाख बैरल प्रतिदिन था। यानी सिर्फ एक महीने में करीब 2.5 लाख बैरल प्रतिदिन की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
इस बढ़ोतरी का बड़ा कारण रूस द्वारा अपने यूराल और अन्य ग्रेड के तेल पर दी गई नई छूट है। रूस ने हाल ही में औसतन 3.5 से 5 डॉलर प्रति बैरल तक की छूट दी है, जो जुलाई-अगस्त की 1.5 से 2 डॉलर की छूट की तुलना में काफी अधिक है।
रिफाइनरियों ने बढ़ाई उत्पादन क्षमता
त्योहारी सीजन की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय रिफाइनरियों ने भी उत्पादन तेज कर दिया है। तेल कंपनियों ने बताया कि अक्टूबर की शुरुआत से ही वे अपनी अधिकतम क्षमता पर काम कर रही हैं ताकि घरेलू मांग पूरी की जा सके।
जुलाई से सितंबर के बीच कई रिफाइनरियां रखरखाव के कारण आंशिक रूप से बंद थीं, जिससे उस अवधि में आयात घट गया था। अब जब सभी रिफाइनरियां पूरी तरह सक्रिय हैं, तो रूस से शिपमेंट फिर से बढ़ने लगी है।
रूस अब भी भारत का सबसे बड़ा सप्लायर
फरवरी 2022 में यूक्रेन युद्ध के बाद जब पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए, तब भारत ने रूस से सस्ते दामों पर तेल खरीदना शुरू किया। इसके बाद से रूस भारत के लिए सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया। वित्त वर्ष 2019-20 में रूस का भारत के कुल तेल आयात में हिस्सा केवल 1.7 प्रतिशत था, जो अब बढ़कर 2023-24 में लगभग 40 प्रतिशत तक पहुंच गया। वर्तमान में रूस भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर बना हुआ है, जबकि इराक और सऊदी अरब क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
केप्लर के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने अक्टूबर में रूस से 18 लाख बैरल प्रतिदिन तेल खरीदा, जबकि इराक से करीब 10.1 लाख बैरल और सऊदी अरब से 8.3 लाख बैरल प्रतिदिन की सप्लाई रही। अमेरिका से भी भारत ने 6.47 लाख बैरल प्रतिदिन आयात किया, जिससे वह संयुक्त अरब अमीरात को पीछे छोड़ते हुए चौथे स्थान पर आ गया।
गिरावट के पीछे के कारण
जुलाई से सितंबर की तिमाही में जो गिरावट देखी गई थी, वह दरअसल मौसमी कारणों से थी। विशेषज्ञों के अनुसार, इस दौरान कई रिफाइनरियों जैसे एमआरपीएल, सीपीसीएल और बीओआरएल में रखरखाव कार्य चल रहा था।
इन रिफाइनरियों के बंद रहने से उत्पादन घट गया और आयात अस्थायी रूप से कम हुआ। जैसे ही रखरखाव पूरा हुआ, शिपमेंट फिर से बढ़ गई।
वर्तमान स्थिति
अब रूसी तेल भारत के कुल कच्चे तेल आयात का लगभग 34 प्रतिशत हिस्सा बनाता है। यह हिस्सा लगातार बना हुआ है, क्योंकि रूस अभी भी सबसे आकर्षक मूल्य प्रदान कर रहा है। भारत की ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए, रूस से सस्ता तेल खरीदना एक व्यावहारिक विकल्प बना हुआ है। इससे घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर नियंत्रण बनाए रखने में भी मदद मिलती है।
रूस ने भारत को अपने प्रमुख खरीदार के रूप में बनाए रखने के लिए नई छूटें देना जारी रखा है, जिससे भारतीय रिफाइनरियां फिलहाल अन्य देशों की तुलना में रूसी तेल को प्राथमिकता दे रही हैं।