मानेसर प्रकरण में सचिन पायलट को हाईकोर्ट से क्लीन चिट मिलने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहली बार बयान दिया। उन्होंने कहा कि एफआर देने से केस खत्म नहीं होता और 2020 के सरकार गिराने का मामला प्रैक्टिकल था।
जयपुर: राजस्थान की राजनीति में 2020 के मानेसर प्रकरण के बाद से चल रही सियासी उठापटक फिर से चर्चा में है। हाईकोर्ट द्वारा सचिन पायलट और अन्य दो लोगों को क्लीन चिट मिलने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मीडिया के सामने अपनी बात रखी। गहलोत का बयान इस मामले में नया मोड़ लेकर आया है और राजनीतिक गलियारों में गहलोत बनाम पायलट के बीच बहस फिर से तेज हो गई है।
गहलोत का बड़ा बयान
अशोक गहलोत ने जयपुर में मंगलवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 2020 के मानेसर प्रकरण में एफआर देने से केस कभी खत्म नहीं होता। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर हाईकोर्ट एफआईआर को क्वेश कर दे तो बात अलग है। गहलोत ने इस दौरान कहा कि यह मामला सिर्फ थ्योरी नहीं था, बल्कि पूरा कांड प्रैक्टिकल था और इसकी गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
गहलोत ने यह बयान ऐसे समय में दिया जब सचिन पायलट को हाईकोर्ट द्वारा क्लीन चिट दी गई थी। इस बयान से राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है कि क्या 2020 का संकट अभी भी पार्टी के भीतर गहरी ध्रुवीकरण पैदा कर रहा है।
एसीबी रिपोर्ट में विधायक खरीदने के आरोप झूठे
2020 में गहलोत सरकार के दौरान सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ मानेसर चले गए थे। इस घटनाक्रम के बाद उन पर सरकार गिराने की साजिश का आरोप लगा। इस मामले में विधायक खरीदने की कथित कोशिशों की जांच एसीबी ने की। रिपोर्ट में यह साफ किया गया कि निर्दलीय विधायक रामीला खड़िया को पैसे देकर खरीदने की कहानी पूरी तरह फर्जी है।
10 जुलाई 2020 को राजस्थान की एसओजी ने भरत मालानी और अशोक सिंह को गिरफ्तार किया था। उन पर सरकार गिराने की साजिश का मुकदमा दर्ज किया गया था। इस जांच ने यह स्पष्ट किया कि पायलट के खिलाफ लगे आरोपों में कोई ठोस प्रमाण नहीं था, और कथित खरीद-फरोख्त की घटनाएं अफवाह से अधिक कुछ नहीं थीं।
एसीबी रिपोर्ट का खुलासा और फोन रिकॉर्डिंग
हाईकोर्ट में दाखिल एसीबी की रिपोर्ट में बताया गया कि आरोपी की फोन रिकॉर्डिंग में कोई भी राजनीतिक गतिविधि या विधायकों को खरीदने का प्रमाण नहीं मिला। रिकॉर्डिंग में केवल सामान्य राजनीतिक बातचीत, सट्टेबाजी, जुआ, महिलाओं की बातचीत और निजी बातें सुनाई दी गईं।
साथ ही बैंक खातों की जांच में भी कोई बड़ी राशि का लेन-देन सामने नहीं आया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि जांच के दौरान किसी भी विधायक ने आरोपियों से संपर्क करने की बात नहीं बताई। इससे साफ हुआ कि पायलट और अन्य पर लगाए गए गंभीर आरोपों के लिए कोई ठोस सबूत नहीं था।