राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन का दौरा करेंगे। डोभाल ने सीमा पर शांति और स्थिरता की पुष्टि की और दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की संभावनाओं पर प्रकाश डाला।
नई दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ नई दिल्ली में बैठक के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात साल बाद चीन का दौरा करेंगे और तिआनजिन में होने वाले SCO शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यह सम्मेलन 31 अगस्त से 1 सितंबर तक आयोजित होगा। डोभाल ने सीमा पर शांति और स्थिरता की पुष्टि की और द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की संभावनाओं पर भी जोर दिया। इस यात्रा में भारत के प्रमुख क्षेत्रीय हितों और सुरक्षा एजेंडों पर चर्चा होगी।
सीमा पर शांति और स्थिरता बनी हुई
अजीत डोभाल ने बैठक के दौरान जोर देकर कहा कि भारत-चीन सीमा पर शांति और स्थिरता कायम है। उन्होंने बताया कि दोनों देशों के बीच लगातार संवाद और आपसी समझ के प्रयास से सीमा पर तनाव कम हुआ है। डोभाल ने कहा, 'सीमाएं शांत हैं, शांति और सद्भाव बना हुआ है। हमारे द्विपक्षीय संबंध पिछले कुछ वर्षों में मजबूत हुए हैं और भविष्य में भी ये और प्रगति करेंगे।'
डोभाल ने यह भी स्पष्ट किया कि सीमा पर शांति बनाए रखना और भरोसा बढ़ाना दोनों देशों की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का दौरा इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
वांग यी का संदेश: सहयोग और समझ बढ़ाना
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भी बैठक में कहा कि दोनों देशों के रिश्तों में आए उतार-चढ़ाव किसी भी देश के हित में नहीं थे। उन्होंने कज़ान बैठक का उदाहरण देते हुए कहा कि उस मुलाकात ने सीमा विवादों के उचित समाधान और द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिए नई राह दिखाई। वांग यी ने कहा, “भारत और चीन के लिए यह आवश्यक है कि साझा हितों और क्षेत्रीय स्थिरता को ध्यान में रखते हुए आपसी सहयोग को बढ़ाया जाए।”
विशेषज्ञों का मानना है कि वांग यी और NSA अजीत डोभाल की बैठक ने दोनों देशों के बीच रिश्तों में नई उम्मीद जगाई है। यह बैठक प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से पहले दोनों देशों के लिए संवाद और रणनीतिक सहयोग को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास थी।
SCO समिट: मोदी की पहली यात्रा 2020 के बाद
प्रधानमंत्री मोदी इस वर्ष SCO समिट में भाग लेने चीन जाएंगे। यह उनकी चीन की पहली यात्रा होगी 2020 में गलवान घाटी विवाद के बाद। इस बार SCO शिखर सम्मेलन तिआनजिन शहर में आयोजित होगा और 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चलेगा।
इस समिट में चीन के अलावा रूस, पाकिस्तान, ईरान, कजाखस्तान, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान के शीर्ष नेता भाग लेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि इस समिट में व्यापार, निवेश, क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद और तकनीकी सहयोग जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी।
भारत-चीन की रणनीतियां और सहयोग
प्रधानमंत्री मोदी की SCO समिट में भागीदारी और NSA डोभाल की चीन दौरे से पहले हुई बैठक से यह संकेत मिलता है कि भारत और चीन आपसी मतभेदों को शांतिपूर्ण और कूटनीतिक ढंग से सुलझाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह पहल आने वाले समय में भारत-चीन संबंधों को स्थिरता और मजबूती प्रदान कर सकती है।
डोभाल ने बैठक में यह भी कहा कि दोनों देशों को आपसी विश्वास बढ़ाने और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने की दिशा में काम करना होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि सीमा पर शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करना, आर्थिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देना तथा क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखना दोनों देशों की प्राथमिकता है।