सीकर में बाबा रामदेव ने सांसद घनश्याम तिवाड़ी के बेटे आशीष तिवाड़ी का नाम लिया, जिससे स्थानीय राजनीति में हलचल मच गई। यह संकेत माना जा रहा है कि तिवाड़ी परिवार अपने बेटे को सीकर में राजनीतिक रूप से स्थापित करना चाहता है।
सीकर: रैवासा में आयोजित धार्मिक कार्यक्रम के दौरान बाबा रामदेव ने सांसद घनश्याम तिवाड़ी के सुपुत्र आशीष तिवाड़ी का जिक्र किया। यह घटना सोमवार को हुई और जिले की सियासी गलियारों में चर्चा की नई लहर पैदा कर दी। माना जा रहा है कि सांसद तिवाड़ी अपने बेटे को जन्म और कर्मस्थली सीकर में राजनीतिक रूप से स्थापित करने की तैयारी में हैं। इससे यह संकेत भी मिलता है कि आने वाले समय में तिवाड़ी परिवार की सियासत में नई ऊर्जा दिख सकती है।
रैवासा कार्यक्रम में बाबा रामदेव का संदेश
रैवासा में आयोजित धार्मिक कार्यक्रम के दौरान बाबा रामदेव ने आशीष तिवाड़ी का उल्लेख करते हुए कहा कि युवा वर्ग को नेतृत्व के अवसर मिलने चाहिए। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक विश्लेषकों और स्थानीय नेताओं में चर्चा का विषय बन गया कि आने वाले समय में आशीष तिवाड़ी सीकर की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं।
राजनीतिक गलियारों का मानना है कि सांसद घनश्याम तिवाड़ी अपने पुत्र को जन्म और कर्मस्थली सीकर में राजनीतिक रूप से स्थापित करने के लिए लंबे समय से तैयारी कर रहे हैं। बाबा रामदेव द्वारा आशीष तिवाड़ी का नाम लेना इस योजना को पब्लिक प्लेटफ़ॉर्म पर मजबूत समर्थन देने के रूप में देखा जा रहा है।
बाबा रामदेव और सीकर की राजनीति का जुड़ाव
यह पहला अवसर नहीं है जब योग गुरु ने सीकर की सियासत पर अप्रत्यक्ष रूप से हस्तक्षेप किया हो। इससे पहले, जब बाबा रामदेव सीकर में योग शिविर आयोजित करने आए थे, तब आर्य समाज के साधु सुमेधानंद सरस्वती को संसद तक पहुँचाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। इस तरह से बाबा रामदेव ने स्थानीय राजनीतिक ढांचे में अपने प्रभाव का संकेत दिया था।
सियासी जानकार बताते हैं कि रामदेव की पहल से जुड़े इस तरह के कदम केवल धार्मिक या आध्यात्मिक संदेश तक सीमित नहीं रहते, बल्कि इसके पीछे राजनीतिक रणनीति भी होती है।
भाजपा में तिवाड़ी परिवार की ‘घर वापसी’
सांसद घनश्याम तिवाड़ी पहले भाजपा से अलग हो चुके थे और उनके राजनीतिक करियर में थोड़ी सुस्ती देखी गई थी। ऐसे समय में बाबा रामदेव की मदद से उनकी भाजपा में सफल ‘घर वापसी’ हुई। यह कदम न केवल तिवाड़ी परिवार के राजनीतिक प्रभाव को मजबूत करने में सहायक रहा, बल्कि जिले में उनकी लोकप्रियता में भी इजाफा किया।
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, अब बाबा रामदेव का आशीष तिवाड़ी का नाम लेना यह संकेत है कि तिवाड़ी परिवार फिर से सीकर की राजनीति में नई ऊर्जा के साथ कदम रखने वाला है।
नेताओं की मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ
सीकर के राजनीतिक माहौल में इस घटना को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। एक ओर जहां कुछ नेताओं का मानना है कि यह केवल धार्मिक कार्यक्रम के दौरान एक संयोगपूर्ण उल्लेख था, वहीं दूसरी ओर विशेषज्ञ इसे आने वाले चुनावों और राजनीतिक रणनीति की दिशा में महत्वपूर्ण संकेत मान रहे हैं।
युवाओं को राजनीति में लाने की दिशा में यह कदम तिवाड़ी परिवार के लिए रणनीतिक रूप से लाभकारी हो सकता है। इससे उनकी राजनीतिक विरासत को और मजबूती मिलने की संभावना है।