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शेख ज़ायेद बिन सुल्तान अल नाहयान: संयुक्त अरब अमीरात के संस्थापक और राष्ट्रपिता

शेख ज़ायेद बिन सुल्तान अल नाहयान: संयुक्त अरब अमीरात के संस्थापक और राष्ट्रपिता

शेख ज़ायेद बिन सुल्तान अल नाहयान, UAE के संस्थापक और पहले राष्ट्रपति, राष्ट्रपिता के रूप में प्रसिद्ध थे। उन्होंने देश का एकीकरण, आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण सुनिश्चित किया और वैश्विक स्तर पर UAE का सम्मान बढ़ाया।

Zayed bin Sultan Al Nahyan: शेख ज़ायेद बिन सुल्तान अल नाहयान का जन्म: 6 मई 1918 – निधन: 2 नवंबर 2004) संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के संस्थापक और पहले राष्ट्रपति थे। उन्हें UAE में "राष्ट्रपिता" के रूप में जाना जाता है। शेख ज़ायेद ने 1966 से अबू धाबी के शासक के रूप में शासन किया और 2 दिसंबर 1971 से 2004 तक संयुक्त अरब अमीरात के पहले राष्ट्रपति के रूप में सेवा दी। उनका नेतृत्व देश के एकीकरण और विकास में महत्वपूर्ण रहा।

परिवार और प्रारंभिक जीवन

शेख ज़ायेद अबू धाबी के शासक शेख सुल्तान बिन खलीफा अल नाहयान के सबसे छोटे पुत्र थे। उनके पिता 1922 से 1926 तक अबू धाबी के शासक रहे। उनकी मां, शेखा सलामा बिन्त बुट्टी, ने अपने पुत्रों से वादा लिया कि वे एक-दूसरे के खिलाफ हिंसा का प्रयोग नहीं करेंगे, जिसे उनके सभी बेटे निभाते रहे। शेख ज़ायेद का नाम उनके दादा, शेख ज़ायेद बिन खलीफा अल नाहयान ("ज़ायेद द ग्रेट") के नाम पर रखा गया था, जिन्होंने 1855 से 1909 तक अबू धाबी शासित किया।

शेख ज़ायेद का जन्म कास्र अल-होसन, अबू धाबी में हुआ। 1926 में उनके पिता के निधन के बाद वे अल-आइन चले गए। इस समय तटीय क्षेत्रों में आधुनिक स्कूल नहीं थे, इसलिए उन्हें केवल इस्लाम के मूल सिद्धांतों का ही बुनियादी ज्ञान मिला। उन्होंने बडुईन जनजातियों के साथ जीवन बिताया और उनके जीवन, पारंपरिक कौशल और कठिन जलवायु में जीवित रहने की कला को समझा।

करियर और शासन

शेख ज़ायेद को 1946 में अबू धाबी के पूर्वी क्षेत्र का गवर्नर नियुक्त किया गया। वे अल-आइन के मुवाईजी किले में स्थित थे। इस समय क्षेत्र गरीबी और बीमारियों से ग्रस्त था। उन्होंने तेल कंपनियों की खोज कार्यों में सहयोग किया।

1952 में बुरैमी नखलिस्तान पर सऊदी आक्रमण हुआ। शेख ज़ायेद ने सऊदी अरब के क्षेत्रीय दावों का विरोध किया और कथित तौर पर लगभग 30 मिलियन पाउंड का रिश्वत प्रस्ताव अस्वीकार किया। उन्होंने 1955 में बुरैमी मध्यस्थता न्यायाधिकरण में अपने तर्क पेश किए। इसके बाद क्षेत्र में स्थिरता आई और शेख ज़ायेद ने जल प्रणाली "फलाज" की पुनर्स्थापना में विशेष रुचि दिखाई।

अबू धाबी का शासक और तेल की खोज

1958 में तेल की खोज और 1962 में तेल निर्यात शुरू होने के बाद शेख ज़ायेद को अबू धाबी के शासक के रूप में नियुक्त किया गया। उनके बड़े भाई शेख शख़बुत के शासन में विकास धीमा था। 6 अगस्त 1966 को एक शांतिपूर्ण राज्य कूप के माध्यम से शेख ज़ायेद को सत्ता में लाया गया।

शेख ज़ायेद ने अबू धाबी शहर के लिए जापानी आर्किटेक्ट कत्सुहिको ताहाशी और मिस्र के आर्किटेक्ट अब्दुल्रहमान मखलूफ़ के माध्यम से व्यापक योजना बनाई। उन्होंने सड़कें, ग्रीन बेल्ट, और कोर्निच का निर्माण कराया।

संयुक्त अरब अमीरात की स्थापना

8–11 जनवरी 1968 में ब्रिटेन ने घोषणा की कि वह ट्रूशियल राज्यों से अपने संधियों को समाप्त करेगा। 18 फरवरी 1968 को शेख ज़ायेद और दुबई के शेख रशीद बिन सईद अल मक्टूम ने मिलकर संघ की नींव रखने की योजना पर सहमति जताई।

1971 में छह अन्य ट्रूशियल राज्यों के साथ संयुक्त अरब अमीरात की स्थापना हुई। शेख ज़ायेद इसके पहले राष्ट्रपति बने और चार बार फिर से निर्वाचित हुए। 1974 में उन्होंने सऊदी अरब के साथ जेद्दा संधि के माध्यम से सीमा विवाद सुलझाया।

आर्थिक विकास और निवेश

1976 में शेख ज़ायेद ने अबू धाबी निवेश प्राधिकरण की स्थापना की, जो 2020 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी संप्रभु निवेश निधि बन गई। उनके नेतृत्व में तेल की आमदनी का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के विकास में किया गया।

परोपकार और सामाजिक नीतियां

शेख ज़ायेद ने अरब देशों और अफ्रीका के गरीब देशों में आर्थिक सहायता दी। 1959 में उन्होंने अल नाहयानिया मॉडल स्कूल की स्थापना की। उन्होंने अरब दुनिया में हजारों पाउंड का दान किया। उन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता दी, गैर-मुस्लिमों के लिए चर्च और मंदिर बनाए, और महिलाओं की शिक्षा एवं श्रम अधिकारों को बढ़ावा दिया।

उन्होंने ब्रिटिश और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों को अरब-अरबी संबंधों और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग के लिए दान दिया। शेख ज़ायेद की समाज और धर्म के प्रति दृष्टि समावेशी थी।

वैश्विक और क्षेत्रीय दृष्टिकोण

शेख ज़ायेद ने इराक, कुवैत, ईरान और पड़ोसी देशों के साथ शांति और सहयोग के लिए संवाद का समर्थन किया। उन्होंने अपनी उदारता और दूरदर्शिता के लिए प्रसिद्धि पाई। उनके शासन में UAE ने स्थिरता, समृद्धि और वैश्विक सम्मान हासिल किया।

आलोचना और विवाद

शेख ज़ायेद ने कुछ विवादास्पद विषयों पर स्पष्ट दृष्टिकोण रखा। जैसे ज़ायेद सेंटर को लेकर हार्वर्ड विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में विवाद हुआ। हालांकि, उन्होंने अपने उद्देश्यों और अंतरधार्मिक सहिष्णुता की रक्षा के लिए इस केंद्र को 2003 में बंद कर दिया।

व्यक्तिगत जीवन और संपत्ति

शेख ज़ायेद दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक थे। 2004 में उनकी संपत्ति लगभग 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर आंकी गई। संपत्ति का मुख्य स्रोत अबू धाबी और अन्य अमीरातों का तेल था। उन्होंने इंग्लैंड में टिटेनहर्स्ट पार्क खरीदा।

मृत्यु और उत्तराधिकार

शेख ज़ायेद का निधन 2 नवंबर 2004 को हुआ। वे 86 वर्ष के थे और मधुमेह व किडनी की समस्याओं से पीड़ित थे। उन्हें अबू धाबी के नए ग्रैंड मस्जिद के प्रांगण में दफनाया गया। उनके पुत्र शेख खलीफा बिन ज़ायेद अल नाहयान ने राष्ट्रपति पद और अबू धाबी के शासन का कार्यभार संभाला।

शेख ज़ायेद बिन सुल्तान अल नाहयान एक दूरदर्शी नेता, उदार शासक और समाजसेवी थे। उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात के निर्माण, आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण में अमूल्य योगदान दिया। उनके नेतृत्व, परोपकार और दूरदर्शिता ने UAE को वैश्विक स्तर पर सम्मान और समृद्धि दिलाई। उन्हें आज भी UAE में राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित किया जाता है और उनकी नीतियां देश के विकास और सामाजिक संरचना की नींव बनी हुई हैं।

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